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Bijali Sankat: 3 परियोजनाओं का स्टाक खत्म, जेपी चुर्क से बिजली उत्पादन बंद, 1180 मेगावाट की आपात कटौती
उत्तर प्रदेश की 7 परियोजनाओं के पास महज एक दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है और 3 परियोजनाओं का कोयला स्टॉक खत्म हो गया है। कोयला संकट के चलते जेपी चुर्क की विद्युत उत्पादन इकाइयां ठप हो गई हैं।
Sonbhadra Bijali Koyala Sankat: कोयला संकट (Koyala Sankat) से जूझ रही प्रदेश की बिजली परियोजनाओं को फिलहाल कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। ताजा हालात यह है कि सात परियोजनाओं के पास महज एक दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है। तीन परियोजनाओं का कोयला स्टॉक जहां खत्म हो गया है। वहीं कोयला संकट (Koyala Sankat) के चलते जेपी चुर्क की विद्युत उत्पादन इकाइयां ठप हो गई हैं।
एनटीपीसी के रिहंद और सिंगरौली परियोजना को छोड़ दें तो यूपी की ऐसी कोई परियोजना नहीं है, जहां कोयला संकट (coal crisis in india) की स्थिति न दिखाई दे रही हो। कोयला खदान (Koyla khdan) के मुहाने पर स्थित 2630 मिलावट वाली अनपरा परियोजना में पिछले कई दिन से कोयले का स्टॉक दो दिन पर ही टिका हुआ है। मिल रहे कोयले की आपूर्ति में बढ़ोत्तरी की तत्काल कोई उम्मीद भी नहीं दिखाई दे रही। ऐसे में प्रदेश में सबसे सस्ती बिजली देने वाली इस परियोजना की भी इकाइयां, दूसरे परियोजनाओं की तरह कोयला संकट के चलते बंद पड़ी दिखाई दें तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
फिलहाल यहां चार से पांच सौ मेगावाट उत्पादन घटाकर स्थिति संभाली जा रही है। राज्य सेक्टर की जनपद में स्थित दूसरी परियोजना ओबरा के भी हालात कुछ अच्छे नहीं है। यहां का भी दो से ढाई दिन का ही कोयला स्टॉक (coal crisis in india) बचा रह गया है। बिजली संकट (Bijali Koyala Sankat) की स्थिति को देखते हुए तकनीकी खामियों के चलते बंद चल रही 200 मेगावाट वाली 12वीं इकाई को भी उत्पादन पर ले लिया गया है।
कोयला (coal crisis in india) उपलब्धता की स्थिति यह है कि यहां रोजाना के खपत का आधा कोयला ही पहुंच पा रहा है। निजी क्षेत्र के लैंको में तीन दिन के कोयला स्टाक की स्थिति बनी हुई है। यहां की 600 मेगावाट वाली एक इकाई बंद होने के कारण फिलहाल यहां कोयले की खपत आधी हो रही है। निजी क्षेत्र की 180 मेगावाट वाली जेपी चुर्क परियोजना जिससे 60 से 70 मेगावाट ही बिजली मिल पाती है, उससे भी उत्पादन ठप हो गया है। इससे पीक आवर में इस बिजली की जरूरत भी महंगी बिजली खरीदकर पूरी करनी पड़ रही है।
अनपरा परियोजना के मुख्य महाप्रबंधक इं. आरसी श्रीवास्तव का कहना है कि कोयले (coal crisis in india) की आपूर्ति बढ़े, इसके लिए एनसीएल से लगातार संपर्क बना हुआ है। मुख्यालय को भी स्थिति से लगातार अवगत कराया जा रहा है। फिलहाल उनके पास दो दिन का ही कोयला स्टॉक बचा है। उसको ध्यान में रखते हुए सभी इकाइयों से बेहतर उत्पादन लेने की कोशिश बनी हुई है।
कोयला संकट (UP Me Koyala Sankat) से उबर नहीं पा रही प्रदेश की 17 परियोजनाएं
उत्तर प्रदेश में स्थित केंद्र राज्य और निजी सेक्टर की नियमित बिजली देने वाली 17 परियोजनाएं प्रदेश सरकार के प्रयास के बाद भी कोयला संकट (Koyala Sankat) से नहीं उबर पा रही हैं। बिजली संकट (Bijali Koyala Sankat) की स्थिति को देखते हुए दो दिन पूर्व ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी संबंधितों से मीटिंग कर तत्काल स्थित सुधारने के लिए प्रयास शुरू करने के निर्देश दिए थे। अधिकारियों ने दो से तीन दिन में स्थिति बेहतर दिखने का दावा भी किया था। ...लेकिन जो हालात दिख रहे हैं, उसमें फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं दिखाई दे रही।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की तरफ से दिखाए जा रहे आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश की तीन बिजली परियोजनाओं में कोयला स्टॉक खत्म हो चुका है। अब यहां उत्पादन रोजाना आने वाले कोयले (coal crisis in india) पर ही निर्भर है। कब कौन सी इकाई बंद हो जाए या कब परियोजना की सभी इकाइयों को शटडाउन करने की स्थिति बन जाए, कहा नहीं जा सकता। सात परियोजनाएं ऐसी हैं जहां के भंडारण में सिर्फ एक दिन का कोयला बचा है। यानी एक दिन भी आपूर्ति ब्रेक हुई तो कोयला खत्म। तीन परियोजनाएं ऐसी हैं जहां दो दिन का कोयला बचा है। दो परियोजनाएं ऐसी हैं, जहां तीन दिन का कोयला शेष है। वहीं दो परियोजनाएं ऐसी हैं, जहां चार दिन का कोयला स्टॉक बचा हुआ है। जहां तीन दिन या इससे कम कोयला है। उस परियोजना की स्थिति को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखते हुए कोयला आपूर्ति में सुधार करवाने के प्रयास जारी हैं, लेकिन पिछले एक सप्ताह से जो स्थिति दिख रही है, उससे यह स्पष्ट है कि प्रयासों का नतीजा नहीं निकल पा रहा।
केंद्र और राज्य दोनों करें संयुक्त प्रयास तभी निकल पाएगा हल
पावर सेक्टर के विशेषज्ञों का कहना है कि ताजा कोयला संकट (coal crisis in india) का हल बगैर केंद्र और राज्य के संयुक्त प्रयास के बिना जल्द निकलना संभव नहीं दिखाई दे रहा। उनका कहना है कि कोल मंत्रालय और विद्युत मंत्रालय दोनों में समन्वय स्थापित करा कर सस्ती बिजली देने वाली परियोजनाओं को कोयला आपूर्ति बढ़ाया जाए, तभी मौजूदा बिजली संकट से निकला जा सकता है। नहीं तो आगे चलकर स्थिति और खराब होने की दशा में लगातार महंगी बिजली खरीदने की स्थिति तो बनेगी ही, कटौती की दशा में कानून व्यवस्था की समस्या भी मुंह बाए खड़ी मिलेगी। राज्य के खजाने पर बढ़ने वाला बोझ, अर्थव्यवस्था के लिए मुश्किल खड़ा करने वाला साबित होगा सो अलग..।
20 हजार मेगावाट के पार पहुंची बिजली (Bijali Koyala Sankat) की मांग
प्रदेश में लगातार बढ़ती बिजली की मांग ने एयर कंडीशंड कमरों में बैठे अधिकारियों के भी पसीने छुड़ाने शुरू कर दिए हैं। मंगलवार की रात बिजली की अधिकतम मांग 20259 मेगावाट तक पहुंच गई। वहीं इसके मुकाबले राज्य और निजी सेक्टर की कुल 14224 मेगावाट वाली परियोजनाओं से महज 8859 मेगावाट ही बिजली उपलब्ध हो पाई। केंद्र सेक्टर से मिलने वाले बिजली में कमी रही तो अलग। इसके चलते जहां पावर सेक्टर में देर तक हड़कंप की स्थिति बनी रही। वही पीक आवर में महंगी बिजली खरीदने के बावजूद पर्याप्त उपलब्धता नहीं बन पाई। इसके चलते 1180 मेगावाट की आपात कटौती कर हालात संभालने पड़े।