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Sonbhadra Coal Sankat: निजी घरानों को मिली मनमाना मुनाफा कमाने की छूट, ₹20 प्रति यूनिट तक बेची जा रही बिजली
ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) ने केंद्रीय विद्युत मंत्री को पत्र भेजकर एनर्जी एक्सचेंज में निजी घरानों द्वारा 20 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली बेचने की कालाबाजारी को रोकने के लिए तत्काल फोरम ऑफ रेगुलेटर्स की बैठक बुलाने, एनर्जी एक्सचेंज में बिजली बेचने की अधिकतम दरें तय करने की मांग की है।
Sonbhadra Coal Sankat: यूपी सहित अन्य राज्यों को सस्ती बिजली देने वाले परियोजनाओं में गहराते जा रहे कोयला संकट (Coal Sankat) ने बिजली उत्पादन से जुड़े निजी घरानों को एनर्जी एक्सचेंज के जरिए मनमाना मुनाफा कमाने की खुली छूट दे दी है। 2 से ₹3 प्रति यूनिट में मिलने वाली बिजली की जगह ₹20 प्रति यूनिट बिजली बेचकर मोटा मुनाफा कमाया जा रहा है।
उधर, ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) ने केंद्रीय विद्युत मंत्री को पत्र भेजकर एनर्जी एक्सचेंज में निजी घरानों द्वारा 20 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली बेचने की कालाबाजारी को रोकने के लिए तत्काल फोरम ऑफ रेगुलेटर्स की बैठक बुलाने, एनर्जी एक्सचेंज में बिजली बेचने की अधिकतम दरें तय करने, मौजूदा कोयला संकट की जांच के लिए उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का गठन करने की मांग की है।
केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह को भेजे पत्र में AIPEF के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने कहा है कि कोयला संकट (Coal Sankat) से उत्पन्न बिजली संकट के इस दौर में निजी घरानों को मनमाना मुनाफा कमाने और लूट की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसके लिए फोरम आफ रेगुलेटर्स की बैठक तत्काल बुलाई जाए, जो इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 62 (1) ए के प्रावधानों के तहत बिजली की कालाबाजारी रोके और यह सुनिश्चित करें कि एनर्जी एक्सचेंज में किसी भी स्थिति में 5 रुपये प्रति यूनिट से अधिक की कीमत पर बिजली न बेची जा सके।
फेडरेशन ने मौजूदा कोयला संकट (Coal Sankat) को बिजली संकट का मुख्य कारण मानते हुए मांग की है कि एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का तुरंत गठन किया जाए जो मौजूदा कोयला संकट की जांच कर कोयला संकट की जिम्मेदारी तय करें और यह भी सुझाव दे की ऐसी परिस्थिति में भविष्य में क्या कदम उठाए जाएं, जिससे दोबारा ऐसी स्थिति न आने पाए। यह भी मांग की गई है कि उच्च स्तरीय समिति में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के वह प्रतिनिधि भी शामिल किए जाएं, जो कोयले की स्थिति की लगातार मॉनिटरिंग करते रहते हैं।
नहीं दिया गया ध्यान तो कंगाली की हालत में पहुंच जाएंगी बिजली वितरण कंपनियां
जिस तरह से वर्तमान में कोयला संकट (Coal Sankat) में कई बिजली घरों में विद्युत उत्पादन की रफ्तार थाम रखी है, उसने उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों को महंगी बिजली खरीदने के लिए विवश कर दिया है। इससे पहले से घाटे में चल रही बिजली वितरण कंपनियों की वित्तीय हालत और बिगड़ना तय है। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे कहते हैं कि इस स्थिति को रोकने के लिए केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग और राज्य के विद्युत नियामक आयोगों की यह ड्यूटी बनती है कि वे इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 62(1) ए के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित कराते हुए बिजली की कालाबाजारी को रोकें और फोरम आफ रेगुलेटर्स की बैठक तत्काल बुलाएं।
टाटा और अडानी घरानों के बंद पड़े बिजली घरों को चलाया जाए
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (All India Power Engineers Federation) ने बिजली संकट के समय मूंदड़ा स्थित 4000 मेगावाट के टाटा बिजली घर और 4000 मेगावाट के अदानी बिजली घर की बंदी पर चिंता जताई है। कहा है कि इन बिजली घरों को आयातित कोयले से संचालित किया जाता है। इसलिए भारत में उत्पन्न कोयला संकट से यह प्रभावित नहीं है। उल्लेखनीय है कि आयातित कोयले से चलने वाले लगभग 30 % बिजली घर इस संकट के दौर में बंद हैं।
इसी तरह निजी क्षेत्र के रोजा बिजली घर, ललितपुर बिजली घर और बारा बिजली घर से आधी क्षमता से ही उत्पादन लिया जा रहा है। फेडरेशन का कहना है कि इसको देखते हुए जरूरी है कि केंद्र और राज्य सरकारें हस्तक्षेप करें और बंद पड़ी परियोजनाओं का संचालन सुनिश्चित कराएं ताकि मौजूदा बिजली संकट का आसान हल निकाला जा सके।
बिजली संकट से जूझ रहे यूपी के 17 सहित पूरे देश में 110 परियोजना केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट बताती है कि यूपी में जहां 17 बिजली परियोजनाएं कोयला संकट से जूझ रही हैं वहीं पूरे देश में 135 तापीय बिजलीघरों में से 110 परियोजनाओं के सामने कोयले का पर्याप्त भंडारण बड़ी चुनौती बन गया है।
कर्मियों को सताने लगा निजी करण का डर
निजी करण की आशंका को लेकर जब-तब आवाज उठा रहे विद्युत कर्मचारियों को एक बार फिर से निजी करण का डर सताने लगा है। दबी जुबान कई कर्मियों का कहना है कि कहीं कोयला का संकट उत्तर प्रदेश के राज्य सेक्टर को निजी करण से राह पर ले जा करना खड़ा कर दे। इसके पीछे दलील दी जा रही है कि उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन 95000 करोड़ के घाटे में है। इसमें से 15 हजार करोड़ का बकाया सरकारी विभागों पर है। वही उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन की भी 9000 करोड़ की देनदारी पावर कारपोरेशन पर बनी हुई है।
वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम को कोयला संकट से निबटने के लिए 14 सौ करोड़ रुपए की जरूरत है, जो उन्हें अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है। सरकारी विभागों के बकाए का दसवां हिस्सा भी इस जरूरत को आसानी से पूरी कर सकता है लेकिन इसको लेकर अब तक की जो स्थिति दिख रही है, उससे कर्मियों को एक बार फिर से निजीकरण का डर सताने लगा है। इस संबंध में जानकारी के लिए अभियंता संघ के अध्यक्ष वीपी सिंह के सेलफोन पर रिंग की गई, लेकिन कॉल रिसीव न किए जाने के कारण उनसे वार्ता नहीं हो सकी।
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