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Sonbhadra: पीड़िता को मिला न्याय, नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को मिली 10 साल की सजा और जुर्माना

सोनभद्र में दुष्कर्म के दोषी को 10 साल की कैद और अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Ashiki
Published on: 14 Sept 2021 8:08 PM IST
Sonbhadra News
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कॉन्सेप्ट इमेज 

सोनभद्र: करीब चार वर्ष पहले साल 2017 म़ें नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने और उसके साथ दुष्कर्म करने के मामले में दोषी को 10 वर्ष कैद की सजा मिली है। अपर सत्र न्यायाधीश/ विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट पंकज श्रीवास्तव की अदालत ने मंगलवार को इस मामले में दोषी पाए गए उमेश को 10 वर्ष कारावास के साथ ही 40 हजार रुपये अर्थदंड की भी सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा न करने की दशा में नौ माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। जेल में बताई गई अवधि को इस सजा में समाहित किया जाएगा। अर्थदंड की धनराशि जमा होने के बाद पीड़िता को प्रदान कर दिया जाएगा।

ये है पूरा मामला

बभनी थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने 6 दिसंबर 2017 को बभनी थाने पहुंचकर तहरीर दी। तहरीर में उसका आरोप था कि उसकी 15 वर्षीय पुत्री 21 नवंबर की रात से लापता है। उसे इस बात का पूरा विश्वास है चपकी गांव निवासी उमेश पुत्र रामप्रताप उसे बहला फुसलाकर कहीं भगा ले गया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर छानबीन शुरू की तो लापता किशोरी को आरोपी के कब्जे से बरामद कर लिया गया। उससे पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म समेत विभिन्न धाराओं में कार्रवाई सुनिश्चित की गई। विवेचना में आरोपी के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने के बाद न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई। इसके बाद मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई की गई।

अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना। गवाहों के बयान और पत्रावली का अवलोकन किया। इसके आधार पर दोषसिद्ध पाते हुए दोषी उमेश को 10 वर्ष की कैद एवं 40 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। फैसले में यह निर्धारित किया गया कि अगर दोषी अर्थदंड अदा नहीं करता है तो उसे नौ माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी पड़ेगी। दोषी ने मामले के विचारण के दौरान जेल में जो भी अवधि बताई है उसे कुल सजा में समाहित कर लिया जाएगा। पीड़िता को अर्थदंड की समस्त धनराशि प्रदान की जाएगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता दिनेश अग्रहरि और सत्यप्रकाश त्रिपाठी एडवोकेट ने पैरवी की।



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Ashiki

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