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Sonbhadra: 17 साल से तैनाती, चार साल से जांच, शासन से कई पत्र, बावजूद सरकारी नीति-निर्देश बेमानी

Sonbhadra: मलेरिया विभाग में जहां एक निरीक्षक की 17 साल से तैनाती और शासन की तरफ से चार साल से दिए जा रहे जांच के निर्देश लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 19 Nov 2021 4:01 PM IST
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कर्मचारियों की तैनाती (फोटो- सोशल मीडिया)

Sonbhadra : 17 साल से तैनाती और चार साल से जांच। सुनने में यह शब्द जरूर अटपटा लग सकता है लेकिन सोनभद्र में ऊंची पैठ रखने वाले कर्मियों के लिए यह हकीकत है। मलेरिया विभाग में जहां एक निरीक्षक की 17 साल से तैनाती और शासन की तरफ से चार साल से दिए जा रहे जांच के निर्देश लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं। वहीं सरकारी नीति -नियमों को दरकिनार कर कई कर्मचारी कुंडली जमाए बैठे हुए हैं।

सामान्यता एक जिले में सरकारी अधिकारियों के लिए तीन साल और कर्मचारियों के लिए छह साल तैनाती के नियम लागू हैं, लेकिन सोनभद्र के कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जिनके लिए ऐसे नियम मायने नहीं रखते। ताजा मामला मलेरिया विभाग में तैनात निरीक्षक प्रवीण कुमार सिंह से जुड़ा हुआ है।

जिले में उनकी 17 साल से तैनाती को लेकर सवाल तो उठाए ही जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी कई गड़बड़ियों में उनके शामिल होने की बात जब-तब चर्चा में बनी रहती है। लंबे समय से तैनाती और स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी गड़बड़ियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाते हुए वर्ष 2017 से ही उनके खिलाफ शासन में लगातार शिकायतें जारी हैं।


शासन ने जताई नाराजगी, विलंब के लिए उत्तरदायित्व निर्धारित करने का निर्देश

विशेष सचिव डा. मन्नान खां ने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं तथा जिलाधिकारी को भेजे पत्र में कहा है कि 21 अगस्त 2017, 10 अगस्त 2018, दो अगस्त 2019, 28 अक्टूबर 2020, 14 दिसंबर 2020 और 17 अगस्त 2021 को सोनभद्र में तैनात मलेरिया निरीक्षक प्रवीण कुमार सिंह के खिलाफ की गई विभिन्न शिकायतों के क्रम में, जिसमें कुछ शिकायतें विधायक एवं सांसद प्रकोष्ठ से भी आच्छादित हैं, की जांच कर आख्या प्रेषित करने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन अभी तक जांच आख्या प्राप्त नहीं हुई है। विलंब के लिए संबंधितों का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए शीघ्र जांच आख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

साक्ष्य की आती है बारी तो मामला हो जाता है मैनेज

लंबे समय से तैनाती और शासन के निर्देश के बावजूद जांच लंबित होने से भी बड़ा दिलचस्प मामला यह है कि जब जांच अधिकारी के सामने शिकायतकर्ता को साक्ष्य प्रस्तुत करने की बारी आती है तो अचानक से मामला मैनेज हो जाता है पूर्व में हुई कई शिकायतों को यह कह कर खारिज किया जाता है कि उन्होंने कोई शिकायत ही नहीं की है या उनके पैड का किसी ने गलत इस्तेमाल कर लिया। इसमें माननीयों से लेकर सत्ता पक्ष के कद्दावरों के भी नाम शामिल हैं।


निरीक्षक से आरोपों के संबंध में मांगा गया जवाब

महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं की तरफ से मिले जांच के निर्देश के मसले पर सीएमओ डॉ. नेम सिंह का कहना था कि यह ऑफिशियल मामला है। जांच हो रही है या जांच पूरी हो गई है, इस सवाल पर चुप्पी साध ली। पीके सिंह से बात की गई तो उनका कहना था कि उन्हें इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है।

डीएम के निर्देश पर जांच कर रहे डीडीओ रामबाबू तिवारी ने बताया कि जांच जारी है संबंधित निरीक्षक पीके सिंह से आरोपों के संबंध में जवाब मांगा गया है। पूर्व की शिकायतों पर हुई जांच के संबंध में उनका कहना था कि पत्र निर्गत करने के बावजूद कोई शिकायतकर्ता उनके यहां साक्ष्य देने नहीं पहुंचा, इससे कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई।

जिला प्रोबशन और डीएमएफ में भी तैनाती को लेकर उठ रहे सवाल

जिला प्रोबेशन कार्यालय में कई आरोपों के लेकर यहां से स्थानांतरित कर्मी राजेश सिंह को वापस आने पर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देने और जिला खनिज फाउंडेशन कार्यालय में सेवानिवृत्त कर्मी से कार्य लिए जाने को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। राजेश सिंह का कहना है कि आरोप खारिज हो चुके हैं कुछ लोग बेवजह उसे तूल देने में लगे हुए हैं।



Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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