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सोनभद्र: दूरदर्शन पर दिखेगी सोनभद्र के सेनानियों की गौरव गाथा

स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों की गौरव गाथा जल्द ही दूरदर्शन पर दिखाई देगी...

Kaushlendra Pandey
Written By Kaushlendra PandeyPublished By Ragini Sinha
Published on: 13 Aug 2021 6:27 PM GMT
Sonbhadra fighters will be seen on Doordarshan
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दूरदर्शन पर दिखेगी सोनभद्र के सेनानियों की गौरव गाथा

जनपद के स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों की गौरव गाथा जल्द ही दूरदर्शन पर दिखाई देगी। इसके लिए दूरदर्शन केंद्र वाराणसी की तरफ से डॉक्यूमेंट्री फिल्म का निर्माण शुरू हो गया है। शुक्रवार को जनपद में स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े कई स्थलों का फिल्मांकन किया गया। उनके परिवार वालों से बात कर जरूरी जानकारी जुटाई गई। शहीद स्तंभ और गौरव स्तंभों के रखरखाव की स्थिति भी जानी।

1857 की अगस्त क्रांति हो या 1920 का असहयोग आंदोलन या फिर 1925 का काकोरी कांड, 1930 का नमक सत्याग्रह हो या फिर 1942 का 'भारत छोड़ो आंदोलन'। देश में जब-जब मजबूती से आजादी के आंदोलन की आग धधकी, तब-तब जनपद में भी सेनानियों का दल आगे आकर गोरी हुकूमत के वजूद की चूलें हिलाता रहा।

1857 में हुई अगस्त क्रांति के नायक के रूप में जहां लक्ष्मण सिंह का नाम सामने आया था। वहीं 1920 से 1942 तक के आंदोलनों में मिर्जापुर के गांधी कहे जाने वाले पं. महादेव प्रसाद चौबे ने अग्रणी भूमिका निभाई थी। पं. महादेव प्रसाद चौबे के साथ जनपद मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज के सेनानी बलराम दास केसरवानी, पं. प्रभाशंकर चौबे, पं. देवेंद्रनाथ चौबे का स्वाधीनता आंदोलन में दिया गया योगदान जहां युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है। वहीं दुद्धी के युसूफ मशीह, महिला सेनानी राजेश्वरी आदि का योगदान अविस्मरणीय है। जिले के कई सेनानियों ने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया। गोरी हुकूमत की लाठियां सहीं। शरीर पर घोड़े तक दौड़ाए गए। जेल में बंद कर असीम यातनाएं दी गईं, लेकिन 1857 की अगस्त क्रांति के बाद 1920 में स्वाधीनता आंदोलन की जो मशाल राबर्ट्सगंज क्षेत्र के परासी दूबे से लेकर प्रदेश के अंतिम छोर दुद्धी तहसील तक जली। वह 1920 से 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने तक जलती रही।

सेनानियों को फूल बरसाकर स्वागत किया गया

इस आंदोलन से जनमानस का जुड़ाव कितना था, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आजादी मिलने के बाद मिर्जापुर जेल से राबर्ट्सगंज तहसील लाकर जब सेनानियों को छोड़ा गया, तब अपार जनसमूह उमड़ा पड़ा था। सेनानियों को हाथी पर बैठाकर और फूल बरसाकर स्वागत किया गया था। फिल्म निर्माण में सहयोगी की भूमिका निभा रहे विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के निदेशक दीपक कुमार केसरवानी ने बताया कि दूरदर्शन टीम ने स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े हुए स्थल शहीद उद्यान परासी, रॉबर्टसगंज में चाचा नेहरू पार्क, सिंचाई डाक बंगला, स्वर्ण जयंती चौक, संस्कृत महाविद्यालय, सन 1921 में नगर के प्रथम चेयरमैन बद्रीनारायण केसरवानी द्वारा स्थापित कॉग्रेस कार्यालय, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बलराम दास केसरवानी के आवास की शूटिंग की गई। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार वालों का साक्षात्कार लिया गया।

दूरदर्शन केंद्र और सोशल मीडिया पर किया जाएगा

बताया कि दूरदर्शन केंद्र वाराणसी की टीम जनपद के रॉबर्ट्सगंज, घोरावल, दुद्धी तहसील के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवन वृत्त, सेनानी परिजनों के साक्षात्कार और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े स्थलों को क्रमशः इस फिल्म में शामिल करती जाएगी। इसका प्रसारण दूरदर्शन केंद्र और सोशल मीडिया पर किया जाएगा।

Ragini Sinha

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