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Sonbhadra News: कोर्ट ने दलित उत्पीड़न और जानलेवा हमले के आरोपियों पर सुनाया फैसला, 4 लोगों को 7 साल की कैद
दलित उत्पीड़न के मामले में चार व्यक्तियों को सात-सात साल के कैद की सजा सुनाई गई है...
Sonbhadra News: सोनभद्र जिले में जुगैल थाना क्षेत्र के गोठानी गांव में दलित बिरादरी के व्यक्ति पर जानलेवा हमला करने और दलित उत्पीड़न (Dalit Utpidan) के मामले में चार व्यक्तियों को सात-सात साल के कैद की सजा सुनाई गई है। घटना पांच वर्ष पूर्व की है। विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट खलिकुज्ज्मा की अदालत ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। मामले में दोषी पाए गए धीरज तिवारी, छविनाथ तिवारी, टिंकू तिवारी और राकेश तिवारी को सात-सात साल कारावास के अलावा छह-छह हजार रुपये अर्थदंड की भी सजा सुनाई गई है। अर्थदंड अदा न करने पर एक-एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा।
अभियोजन कथानक के मुताबिक जुगैल थाना क्षेत्र के गोठानी गांव निवासी दलित बिरादरी के रामसूचित ने 11 अक्तूबर 2016 को जुगैल थाने में तहरीर दी थी। आरोप लगाया था कि 10 अक्तूबर 2016 की रात उसकी भतीजी अपने भाई सरोज कुमार के साथ महलपुर गांव में रामलीला देखने गई हुई थी। तभी रात करीब 11 बजे के करीब बात-बात में उसके भतीजे सरोज कुमार के साथ तीन-चार लड़कों ने मारपीट की। सरोज ने घर आकर घटना की जानकारी अपने पिता को दी।
तहरीर के आधार पर केस की विवेचना शुरू की गई थी
आरोप है कि सरोज के पिता गुलाब जब इस बारे में मारपीट करने वाले लड़कों के घर पूछने गए तो महलपुर गांव निवासी धीरज तिवारी, छविनाथ तिवारी, टिंकू तिवारी और राकेश तिवारी ने लाठी-डंडे से हमला बोल दिया। बेरहमी से पिटाई किए जाने के कारण उनके सिर में भी गंभीर चोटें आईं। घटना की जानकारी मिलने पर दवा-इलाज के लिए चोपन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर भर्ती कराया। इसके बाद पुलिस को तहरीर दी गई। तहरीर के आधार पर पुलिस ने जानलेवा हमले और एससी/एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दी।
पर्याप्त सबूत मिलने पर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई। सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना। गवाहों के बयान औल पत्रावली का अवलोकन किया। इसके आधार पर दोष सिद्ध पाते हुए धीरज तिवारी, छविनाथ तिवारी, टिंकू तिवारी व राकेश तिवारी को सात-सात वर्ष की कैद और छह-छह हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। अर्थदंड न देने की दशा में एक-एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतने का निर्णय दिया गया। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी अधिवक्ता सी. शशांक शेखर कात्यायन ने पैरवी की।