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Sonbhadra News: MP में खपाया जा रहा यूपी का डीजल, सात रुपये से अधिक है रेट का अंतर

Sonbhadra News: डीजल के अवैध परिवहन का मामला सामने आने के बाद खेल का हुआ खुलासा

Kaushlendra Pandey
Published on: 3 Nov 2021 11:35 AM GMT
diesel ki chori
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मिलावटी तेल से संबंधित सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Sonbhadra News: यूपी-एमपी सीमा पर डीजल के अवैध परिवहन (diesel ka avaidh parivahan) का मामला सामने आने के बाद इसके काले कारोबार को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। मुगलसराय डिपो (Mughalsarai Depo) से चोपन, जयंत डिपो के अलावा एनसीएल की ओबी कंपनियों को होने वाली आपूर्ति से तेल चोरी (diesel ki chori) के नए तरीके सामने आते ही रहते हैं। 2011 की तर्ज पर 2021 में भी मध्य प्रदेश में उत्तर प्रदेश का डीजल खपाए जाने के कथित मामले ने तेल से जुड़े महकमे में खलबली मचा दी है। 2011 में खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं के रेट में 11 रुपये का अंतर डीजल की कालाबाजारी (diesel ka avaidh parivahan) का कारण बना था। इस बार इसे उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में डीजल के रेट में सात रुपये से अधिक का अंतर होना बताया जा रहा है।

सोनभद्र की सीमा चार राज्यों (बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश) से सटी हुई है। इसमें औद्योगिक दृष्टि से समृद्ध मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले वाली एरिया और इससे सटे सोनभद्र की ऊर्जांचल वाली एरिया डीजल-पेट्रोल के खपत के मामले में सभी तेल कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखती है। यहीं कारण है कि सीमा से महज पांच से दस किलोमीटर की एरिया में कई पेट्रोल पंप स्थापित हैं। इसमें से कुछ पेट्रोल पंप ऐसे हैं जिनका संचालन हाल में शुरू हुआ है और दो पेट्रोल पंपों के बीच एक किलोमीटर की भी दूरी नहीं बची है।


सीमा पर पकड़ाए अवैध परिवहन के बाद रेट में अंतर को लेकर गरमाया मामला

यूपी-एमपी सीमा पर टैंकर से बगैर कागजात के 5500 लीटर डीजल एक ओबी कंपनी के लिए ले जाए जाने के मामले में इसकी वजह को लेकर भले ही पुलिस और पूर्ति महकमा अभी कुछ कहने से बच रहा हो लेकिन चर्चाओं में इस मामले को दोनों राज्यों में डीजल के रेट के अंतर से जोड़कर देखा जा रहा है।

चर्चाओं की मानें तो यह प्रकरण किसी एक पेट्रोल पंप से नहीं जुड़ा हुआ है बल्कि रात के अंधेरे में कई लोग इस खेल में शामिल हैं। मुगलसराय डिपो (Mughalsarai Depo) से कंज्यूमर पंपों के लिए ले जाए जाने वाले डीजल में हेराफेरी के बाद निकाले जाने वाले डीजल को भी इसी अंदाज में मध्यप्रदेश के कंज्यूमर पंप को और बड़े ट्रांसपोर्टरों के यहां खपाए जाने की बात चर्चा में बनी हुई है। पूर्व में चलते-फिरते पेट्रोल पंप (पिकअप पर पेट्रोल पंप की टंकी रखकर आन डिमांड दरवाजे पर जाकर आपूर्ति) तक पकड़े जा चुके हैं।

रेट में अंतर की बात करें तो बुधवार को सोनभद्र (यूपी) में जहां डीजल प्रति लीटर 99 रुपये 43 पैसे था। वहीं इससे सटे सिंगरौली (एमपी) में डीजल की कीमत प्रति लीटर 107 रुपये 97 पैसे थी। रेट का यह अंतर, यह बताने के लिए काफी है कि कुछ-कुछ नहीं बहुत कुछ गड़बड़ है।


2011 में इसी तरह का खेल आया था सामने

ऊर्जांचल में तेल का खेल कोई नया मसला नहीं है। 2010 में जहां केरोसिन का बड़ा घोटाला सामने आया था। वहीं 2011 में यूपी के खुदरा पेट्रोल पंपों से टैंकर के जरिए, कंज्यूमर पंप तक तेल पहुंचाकर प्रति लीटर 11 रुपये अतिरिक्त मुनाफा कमाया जाने की बात सामने आई थी। सीबीआई की छापेमारी में कई टैंकर पकड़े भी गए थे। 42 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की लिस्ट भी बनने की बात चर्चा में आई थी लेकिन केंद्र की सरकार बदलने के साथ ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया। एक बार फिर से डीजल के अवैध परिवहन और इसके साथ ही यूपी और एमपी में रेट में अंतर की बात सामने आई है तो फिर से चर्चाओं का बाजार गर्म हो उठा है।

उधर, इंडियन आयल कारपोरेशन के डिवीजनल हेड तनय कुमार ने इस मसले पर कहा कि यूपी-एमपी में डीजल के रेट में अंतर और सीमा पर डीजल का पकड़े गया अवैध परिवहन एक गंभीर मसला है। इसकी जांच कराई जाएगी, जिस किसी पेट्रोल पंप या इससे जुड़े व्यक्ति की संलिप्तता सामने आएगी, उसके खिलाफ आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

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Raghvendra Prasad Mishra

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