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Sonbhadra Today News:बीजीआर डेको कंसोर्टियम कंपनी का खेल, कर्मचारी मर गया तो कोरोना टीका मौत के सात दिन बाद का दिखाया

Sonbhadra Today News: कोरोना वैक्सीन के बाद बीमार पड़े संविदा कर्मी से जबरिया काम कराने और इसके चलते हालत ज्यादा बिगड़ने पर उपचार के दौरान मौत का मामला सामने आया है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Shweta
Published on: 2 Oct 2021 3:29 PM IST (Updated on: 2 Oct 2021 5:05 PM IST)
relatives of the deceased
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मृतक के परिजन 

Sonbhadra Today News: कोरोना वैक्सीन लगने के बाद बीमार कर्मी से जबरदस्ती काम करवाते रहे, हालत गंभीर होने पर अस्पताल ले जाया गया तो देर हो गई थी उसकी मौत हो गई, मामले तूल पकड़ा तो मौत के सात दिन बाद दिखा दी गई वैक्सीनेशन डेट। अब पुलिस ने मामले की जांच शुरू की है।

मिनी रत्न कंपनी एनसीएल के बीना कोल परियोजना में ओवरबर्डन हटाने का काम कर रही बीजीआर कंपनी के जिम्मेदारों द्वारा कोरोना वैक्सीन के बाद बीमार पड़े संविदा कर्मी से जबरिया काम कराने और इसके चलते हालत ज्यादा बिगड़ने पर उपचार के दौरान मौत का मामला सामने आया है।

मामला तूल पकड़ने पर कहीं गर्दन फंस ना जाए, इसके लिए वैक्सीनेशन की डेट तो बदलवाई ही गई, यूपी में लगी वैक्सीन को एमपी में लगा होना भी दिखा दिया गया। महत्वपूर्ण बात यह है कि संबंधित संविदा कर्मी के वैक्सीनेशन की जो ऑनलाइन रिपोर्ट लोड की गई वह मौत के एक सप्ताह बाद की दिखा दी गई है। अब मृतक की पत्नी पूरे मामले को लेकर एसपी के यहां पहुंच गई है। वहां से शक्तिनगर पुलिस को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

यह है पूरा मामला


शक्ति नगर थाना क्षेत्र के बांसी गांव निवासी रामप्रसाद यादव बीना कोल परियोजना में ओवर बर्डन हटाने का काम कर रही बीजीआर डेको कंसोर्टियम कंपनी में संविदा चालक के रूप में कार्य कर रहा था। पत्नी मीना देवी का आरोप है कि कंपनी के कर्मचारियों को वैक्सीनेशन के लिए गत 4 अगस्त को कंपनी के बीना परियोजना स्थित ऑफिस पर कैंप लगाया गया था। उसी में रामप्रसाद यादव को भी कोरोना की वैक्सीन लगाई गई। पत्नी का कहना है कि वैक्सीन लगने के बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। आरोप है कि बीमारी की हालत में आराम के लिए रामप्रसाद कंपनी के मैनेजर अरुण कुमार कार्तिक सिंह और कंपनी के एचआर हेड धीरज उपाध्याय से दो-चार दिन की छुट्टी के लिए गुहार लगाते रहे लेकिन छुट्टी नहीं दी गई और बिगड़ी हालत में लगातार 20 दिन तक काम कराया गया। मीना देवी का कहना है कि जब हालत ज्यादा खराब हो गई तो छह सितंबर को वह अपने पति को लेकर जिला अस्पताल पहुंची, वहां चिकित्सकों ने हालत नाजुक बताते हुए बीएचयू वाराणसी के लिए रेफर कर दिया। बीएचयू में उपचार के दौरान आठ सितंबर को उनकी मौत हो गई। मौत के कुछ दिन बाद उसने कंपनी के कैंप ऑफिस जाकर पति पर लगाए गए वैक्सीनेशन का प्रमाण पत्र मांगा तो उसे देने से इनकार कर दिया गया। काफी प्रयास के बाद भी जब प्रमाण पत्र नहीं मिला तो उसने आधार कार्ड नंबर के जरिए ऑनलाइन चेक किया तो पता चला कि उसके पति को वैक्सीन की जो पहली डोज चार अगस्त को लगाई गई थी, वह मौत की तिथि (आठ सितंबर) के सात दिन बाद 15 सितंबर की शो कर रहा है। वैक्सीनेशन स्थल भी बीना की बजाय, मध्यप्रदेश के दुधीचुआ में दिखाया गया है।

बड़ा सवाल, मौत के 7 दिन बाद यूपी का व्यक्ति एमपी में कैसे पहुंच गया वैक्सीन लगवाने

सवाल उठता है कि यूपी का रहने वाला, यूपी में काम करने वाला आदमी मौत के सात दिन बाद वैक्सीन लगवाने दूसरे राज्य मध्य प्रदेश कैसे पहुंच गया? वह भी तब, जब यूपी में कैंप लगाकर कर्मियों को वैक्सीन लगाई गई। पीड़िता ने जहां पूरे मामले की शिकायत एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह से की है। वहीं एसपी के यहां से शुक्रवार को शक्तिनगर पुलिस को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस के मुताबिक मामले की जांच शुरू कर दी गई है।

गहनता से हुई जांच तो सामने आ सकता है बड़ा रैकेट

ध्यान देने वाली बात यह है कि बगैर वैक्सीन लगे ही वैक्सीन लगने का डाटा शो करने, बगैर टेस्ट कराए ही कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के तो कई मामले सामने आ ही चुके हैं, अब मृतकों को भी वैक्सीन लगाए जाने का मामला सामने आने लगा है। वह भी संबंधित व्यक्ति के क्षेत्र में टीका लगाने का स्थान दिखाने के बजाय उसका राज्य ही बदल दिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि अगर मामले की गहनता से जांच हुई तो कोरोना वैक्सीनेशन के फर्जीवाड़े से जुड़ा बड़ा रैकेट भी सामने आ सकता है। इस संबंध में वार्ता के लिए कंपनी के मैनेजर कार्तिक सिंह के सेलफोन नंबर 9177533339 पर काल की गई। उनके व्हाट्सएप पर मैसेज भी भेजा गया। मैसेज डिलीवर होने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला।



Shweta

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