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बिजली संकट : दशहरा-दिवाली पर रहेगा अंधेरा, खत्म होने की कगार पर कोयला, बहुत बुरे हुए हालात

Bijali Sankat : उत्तर प्रदेश के बिजली घरों में लगातार बढ़ती कोयले की किल्लत से बढ़ते कोयला संकट से बिजली संकट और इससे बिजली आपूर्ति के हालात धीरे-धीरे बेकाबू होने की तरफ बढ़ने लगे हैं।

Kaushlendra Pandey
Published on: 11 Oct 2021 2:55 AM GMT (Updated on: 11 Oct 2021 4:55 PM GMT)
बिजली संकट : दशहरा-दिवाली पर रहेगा अंधेरा, खत्म होने की कगार पर कोयला, बहुत बुरे हुए हालात
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Bijali Sankat : बिजली संकट चरम पर पहुंच गया है। लैंको की 600 मेगावाट की एक ईकाई बंद हो गई है। लगभग 20 परियोजनाएं प्रभावित हैं। दशहरा-दिवाली पर दिख सकता है अंधेरा। उत्तर प्रदेश के बिजली घरों में लगातार बढ़ती कोयले की किल्लत से बढ़ते कोयला संकट से बिजली संकट और इससे बिजली आपूर्ति के हालात धीरे-धीरे बेकाबू होने की तरफ बढ़ने लगे हैं। एक तरफ जहां परियोजनाओं का कोयला स्टाक तेजी से घटता जा रहा है। वहीं कोल इंडिया का बकाया 1400 करोड़ अदा न किए जाने से कोल इंडिया से बिजली घरों को मिलने वाले कोयले की उपलब्धता में आती कमी ने पूरे प्रदेश में बिजली संकट गहरा दिया है।

करीब-करीब कोयला समाप्त

हालात यह हो गए हैं कि गांव से शहर तक ताबड़तोड़ कटौती शुरू हो गई है। हालात ये हैं कि दशहरा-दिवाली तक प्रदेश अंधेरे में डूबने के आसार बन गए हैं क्योंकि कटौती की रोस्टरिंग अभी सात घंटे से लेकर 13 घंटे तक पहुंच गई है। कोल इंडिया आपूर्ति में वृद्धि भी करे तो भी 15 से 20 दिन तक हालात खराब खराब बने रह सकते हैं। आने वाले दिनों में बिजली कटौती बढ़ सकती है।

बिजली संकट को लेकर राज्य सेक्टर के बिजली घरों पर कोल इंडिया का बकाया गत अप्रैल से ही बड़ा इशू बना हुआ है। उस समय ढाई हजार करोड़ का बकाया था जिसको लेकर कोल इंडिया के चेयरमैन और यूपी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन के बीच वार्ता भी हुई थी। इसके बाद कोल इंडिया के बकाए की अदायगी शुरू की गई लेकिन अभी भी 14 सौ करोड़ का बकाया बना हुआ है।

कोयला संकट के मूल में बकाय अदा न किया जाना है। इस को लेकर कोल इंडिया ने राज्य सेक्टर के बिजली घरों को दिए जाने वाले कोयले की आपूर्ति करीब करीब आधी कर दी है। इसका परिणाम यह है कि परीक्षा, हरदुआगंज में जहां करीब-करीब कोयला समाप्त हो चला है। वहीं ओबरा-अनपरा सुपर क्रिटिकल स्थिति में पहुंच गए हैं।

बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम का पावर कारपोरेशन पर 9000 करोड़ का बकाया है। इसमें से महज 14 सौ करोड़ रुपए तत्काल उपलब्ध करा दिया जाए तो कोल इंडिया के बकाए से विद्युत उत्पादन निगम को निजात मिल सकती है।

कोयला संकटः कोल इंडिया की नई पालिसी ने बिगाड़ी स्थिति

कोयला संकट पर खुलासाः केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की तरफ से तय मानक के मुताबिक बिजलीघरों में कम से कम 20 दिन का कोयला स्टाक होना चाहिए। जुलाई से सितंबर तक बारिश के सीजन के चलते कोयला उत्पादन में आने वाली दिक्कत और बिजली घरों में खुले में रखे जाने वाले कोयले के भीगने की दिक्कत को देखते हुए अप्रैल से जून माह तक परियोजनाएं कोयले का ज्यादा से ज्यादा स्टाक बनाने पर ध्यान देती हैं।

बिजली संकट की मूल वजहः कोरोना कॉल के समय बिजली की कम खपत को देखते हुए कोयले की उपलब्धता पर ध्यान नहीं दिया गया। राज्य सरकार के जिम्मेदारों ने भी उदासीनता बरती। परिणाम यह हुआ कि सितंबर-अक्टूबर में अचानक से सभी उद्योग धंधे पूर्ण संचालन पर आ गए तो कोयले को लेकर हाय तौबा मच गई।

कोयला संकट के मूल में नीतिः कोल इंडिया की तरफ से एडवांस भुगतान करने वाले को सबसे पहले, उसके बाद बकाया चुकता कर देने वाले और उसके बाद यानी तीसरे नंबर पर बकाया रखने वाले परियोजनाओं को कोयला देने की पालिसी लागू कर दी गई।

इसका सीधा असर उत्तर प्रदेश सरकार के स्वामित्व वाली परियोजनाओं पर पड़ा और अचानक से एक से डेढ़ हजार मेगावाट उत्पादन लुढ़क गया। यह वह बिजली है, जो दो से तीन रुपये प्रति यूनिट की दर से राज्य को उपलब्ध है। अब इसकी जगह राज्य को 12 से ₹20 प्रति यूनिट तक की बिजली खरीदनी पड़ रही है। यह दौर लंबा चला तो प्रदेश के खजाने की स्थिति क्या होगी? बताने की जरूरत नहीं है।

अदा हो बकाया, तभी जल्द सुधार पाएंगे हालात

यूपी में मौजूदा कोयला संकट से उत्पन्न बिजली संकट के लिए ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दूबे राज्य सरकार की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराते हैं। कहते हैं कि राज्य सरकार राज्य विद्युत उत्पादन के बकाया 9000 करोड़ में से 1400 करोड़ कोल इंडिया को तत्काल भुगतान करे।

साथ ही केंद्र सरकार भी इसमें हस्तक्षेप करें तभी स्थिति जल्द सुधर सकती है। क्योंकि जब परियोजनाओं में स्टाक बढ़ाना चाहिए था, तब ध्यान नहीं दिया गया। अब जब बारिश के दौर के बाद तेजी से कोयला उत्पादन बढ़ाना चुनौती है तो बकाए वाली परियोजनाओं को कोयला आपूर्ति बगैर केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के सुधरने वाली नहीं है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय विद्युत मंत्री को उन्होंने एक पत्र भी भेजा है जिसमें उन से अनुरोध किया गया है कि वह कोल मंत्रालय से संपर्क स्थापित कर स्थित नियंत्रित करने का प्रयास करें।

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Vidushi Mishra

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