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Sonbhadra News:दुद्धी को जिला बनाने की आई याद, चुनाव नजदीक आते ही गरमा उठता है मुद्दा, फिर जाते हैं भूल

Sonbhadra News : 2022 विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही दुद्धी को जिला बनाने की मांग सियासत का केंद्र बनने लगी है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Shraddha
Published on: 20 Aug 2021 2:26 PM IST
दुद्धी को जिला बनाने की आई याद
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दुद्धी को जिला बनाने की आई याद

Sonbhadra News : 2022 के विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही आदिवासी बहुल दुद्धी क्षेत्र (tribal dominated area) के आदिवासी और दुद्धी को जिला बनाने की 40 साल से चल रही मांग एक बार फिर से प्रदेश के सियासत का केंद्र बनने लगी है। 2017 के चुनाव के समय सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट में दुद्धी को जिला बनाने के प्रस्ताव की मंजूरी का वायदा करने वाले भाजपा और अद एस के साथ ही अन्य पार्टियों के लोग फिर से इस मुद्दे को भुनाने के लिए सक्रिय हो उठे हैं।

पिछले दिनों सलखन में हुए सपा के आदिवासी सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष ने आदिवासियों के हक हकूक की हुंकार भरकर इस मसले को गरमाने का संकेत दिया। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाले अपना दल एस के विधायक हरिराम चेरो ने भी अपने तेवर नरम करते हुए मंगलवार को लखनऊ में मुख्यमंत्री से मुलाकात की और दुद्धी को जिले का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई। उन्हें दुद्धी आने का न्यौता भी दिया। आदिवासियों विस्थापितों से जुड़े मसलों पर भी उनके सामने अपनी बात रखी। बता दें कि हरिराम चेरो पूर्व में संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष का दायित्व संभाल चुके हैं।

1994 से मुद्दे ने पकड़ लिया सियासी जोर

चार मार्च 1989 को सोनभद्र के रूप में जनपद सृजन होने के बाद से ही दुद्धी को जिला मुख्यालय का दर्जा दिए जाने की मांग उठने लगी थी। 1995 में इस मांग ने तेजी से जोर पकड़ा और संगठनात्मक तरीके से यह मांग राजधानी लखनऊ तक पहुंचाई जाने लगी। इस मांग को शांत करने के लिए 1994 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने रेणुकूट के पास पिपरी में सोनभद्र के जिला मुख्यालय की आधारशिला रख दी लेकिन उनके कार्यकाल के बाद आई मायावती सरकार ने राबर्ट्सगंज में ही जिला मुख्यालय फाइनल कर दिया। इसके बाद से जहां यह मुद्दा प्रमुख दलों के लिए सियासी लड़ाई का केंद्र बन गया। वहीं सोन नदी के दक्षिणी भूभाग को दुद्धी जिला का दर्जा दिए जाने की मांग तेजी से जोर पकड़ने लगी।

पूर्व सीएम अखिलेश ने कार्यकाल के आखिरी समय में तेजी से की थी पहल

इसको लेकर शासन स्तर से भी काफी कुछ प्रक्रिया पूरी की गई। इसको लेकर अप्रैल 2016 में शासन से मांगी गई रिपोर्ट के क्रम में दुद्धी के तत्कालीन एसडीएम विश्राम ने मांग को जायज ठहराया और क्षेत्रफल तथा आबादी दोनों का मानक पूरा बताते हुए नए तहसील और ब्लॉक के सृजन का प्रस्ताव भी दिया। 22 से 25 मई 2016 तक दुद्धी जिला बनाओ संघर्ष मोर्चा के लोगों ने लखनऊ में डेरा डाले रखा। उस समय मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का, उनसे मिलने पहुंचे लोगों से कहना था कि सरकार बनने के चार साल बाद इस मुद्दे को लेकर आप लोग लखनऊ आए हैं पहले आए होते तो दुद्धी को जिला का दर्जा मिल गया होता। उन्होंने शीघ्र सारी प्रक्रिया पूरी करने और दुद्धी को जिला का दर्जा दिए जाने का भरोसा भी दिया, लेकिन आश्वासन मूर्त रूप नहीं ले पाया।

भाजपा ने दिया था कैबिनेट की पहली बैठक में मंजूरी का भरोसा

भाजपा और अपनादल एस (एनडीए गठबंधन) के लोगों ने इसे झुनझुना बताते हुए 2017 में उनकी सरकार बनने पर पहले कैबिनेट की बैठक में ही दुद्धी को जिला बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाने का भरोसा दे डाला। इस वायदे ने रंग भी दिखाया और पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड़ की ताकत समझे जाने वाले दुद्धी के आदिवासी वोटरों का एक बड़ा तबका एनडीए गठबंधन के पाले में चला गया और अप्रत्याशित तरीके से गठबंधन कोटे से अपना दल एस उम्मीदवार हरिराम चेरो ने सात बार के अविजित विधायक विजय सिंह गोंड़ को मात देकर एक नया इतिहास रच दिया। चुनाव के समय सभा करने आए मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने दुद्धी के लोगों से सरकार बनते ही जिले का दर्जा दिलाने का भरोसा दिया था लेकिन सरकार बनने के साढ़े चार साल बाद भी यह मसला ज्यों का त्यों बना हुआ है।


दुद्धी को जिला बनाने की मांग


मांग करने वाले सत्तापक्ष से करने लगे किनारा


अब एक बार फिर से यह मुद्दा जोर पकड़ने लगा है। वहीं इसको लेकर नाराजगी भी दिखने लगी है। पिछले दिनों बार एसोसिएशन के शपथ ग्रहण में सपा के एमएलसी को बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रण और भाजपा के लोगों द्वारा उनका किए गए विरोध के समय अधिवक्ताओं द्वारा मजबूती से आगे आकर बचाव को सत्तारूढ़ पार्टी के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जाने लगा है। वहीं इस मसले को लेकर बगावती तेवर अपनाने वाले विधायक हरिराम चेरो द्वारा एक बार फिर से मुख्यमंत्री से लगाई गई फरियाद क्या परिणाम देती है? यह तो वक्त बताएगा लेकिन चुनावी बतकही में अटकल बाजी और सियासी निष्कर्ष निकाले जाने का काम शुरू हो गया है। बता दें कि दुद्धी को जिला बनाने की मांग के समर्थन में अधिवक्ताओं और समाजसेवियों का दल मजबूती से आगे है। दुद्धी में स्थित दोनों बार एसोसिएशन के अधिवक्ता और आमजन एकजुट होकर प्रत्येक शनिवार को न्यायिक कार्य से विरत रखते हुए, लगातार दुद्धी को जिला बनाने की, मांग के समर्थन में आवाज भी उठाते चले आ रहे हैं।


संघर्ष मोर्चा के लोगों ने इन आंकड़ों को बनाया हुआ है आधार


दुद्धी जिला बनाओ संघर्ष मोर्चा के लोग का सोन नदी के दक्षिणी तरफ के 389 राजस्व गांवों की एरिया को अलग जिले का दर्जा देने की मांग कर रहे है। इसके पीछे तर्क है कि शामली में 264, बागपत में 287, हापुड़ में 331, गौतमबुद्ध नगर में 381 राजस्व गांवों को ही शामिल कर जिले का दर्जा दे दिया गया है। दुद्धी अंग्रेजी हुकूमत के समय से एक स्टेट का दर्जा प्राप्त तहसील है, जो वर्ष 1850 से स्थापित है। 14 जुलाई 1994 को पिपरी में जिला मुख्यालय का शिलान्यास करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि यदि जिला मुख्यालय मुख्यालय दुद्धी तहसील के पिपरी में नहीं बनता तो मिर्जापुर से अलग दूसरा जिला बनाने का कोई औचित्य नहीं है।

दावा किया जा रहा है कि जिला मुख्यालय का विवाद सुलझाने के लिए गठित की गई आचार्य कमेटी ने भी पिपरी में ही जिला मुख्यालय बनाने की सिफारिश की थी। वहीं 2016 में शासन को जिला प्रशासन की तरफ से भेजी गई आंख्या में भी इसे सही ठहराया गया था।

मुख्यालय पहुंचने के लिए तय करनी पड़ती है डेढ़ सौ किमी दूरी

जिला बनाओ मोर्चा के लोगों का कहना है कि दुद्धी तहसील के लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचाने के लिए डेढ़ से दो सौ किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। ओबरा को तहसील का दर्जा दिए जाने के बाद प्रस्तावित जिले की एरिया में दो तहसीलें भी अस्तित्व में आ गई हैं। इसकी कुल आबादी लगभग 14 से 15 लाख और क्षेत्रफल 2380 वर्ग किलोमीटर है। जनसंख्या के परिप्रेक्ष्य से भी प्रस्तावित दुद्धी जिले की जनसंख्या महोबा, हमीरपुर, श्रावस्ती, शामली, बागपत , औरेया जनपद से ज्यादा बताई जा रही है। क्षेत्रफल की ²ष्टि से उत्तर प्रदेश में वर्तमान 34 जिले प्रस्तावित जिले से आकार में छोटे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के बलरामपुर और सूरजपुर जनपद की भी कम जनसंख्या, कम क्षेत्रफल को मांग का आधार बनाया गया है।

राष्ट्रपति के सामने रख चुके हैं दुद्धी को जिला बनाने की मांग

गत फरवरी माह में महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के आगमन के समय दुद्धी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश कुमार गुप्ता, सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष नागेंद्र नाथ श्रीवास्तव, सिविल बार एसोसिएशन दुद्धी के चेयरमैन रामलोचन तिवारी, नगर पंचायत दुद्धी तथा दुद्धी जिला बनाओ संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष राज कुमार अग्रहरी, दुद्धी जिला बनाओ संघर्ष मोर्चा के महासचिव प्रभु सिंह एडवोकेट, दुद्धी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष कुलभूषण पांडेय, जितेंद्र श्रीवास्तव, रामपाल चौधरी, सिविल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष जवाहरलाल ने दुद्धी को जिला बनाने का दर्जा दिए जाने के लिए पहल की मांग की थी।


वहीं इससे पहले 19 नवंबर 2019 को महामहिम राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र में भी अधिवक्ताओं ने दुद्धी को जिले का दर्जा दिए जाने की मांग उठाई थी या सामूहिक मृत्यु की अनुमति देने की गुहार लगाई थी। संघर्ष मोर्चा से जुड़े अधिवक्ता आशीष कुमार गुप्ता का कहना है कि आम जनता, समाजसेवियों के साथ अधिवक्ताओं का समूह लगातार लड़ाई को धार देने में लगा हुआ है। इसी कड़ी में सभी अधिवक्ता प्रत्येक शनिवार को न्यायिक कार्य से विरत रखते हुए आवाज उठाते चले आ रहे हैं।



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