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Sonbhadra: बिजली घरों की राख का सुरक्षित निस्तारण बनी बड़ी चुनौती, NGT को सौंपी गई रिपोर्ट
NTPC रिहंद ने 52%, NTPC सिंगरौली ने 33% राख के सुरक्षित निस्तारण का दावा किया है..
सोनभद्र। देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सोनभद्र में NGT की सख्ती और ओवरसाइट कमेटी के दबाव के बाद भी बिजली घरों से निकलने वाली कोयले की राख का सुरक्षित निस्तारण बड़ी चुनौती बना हुआ है। NTPC रिहंद ने 52%, NTPC सिंगरौली ने 33% निस्तारण का आंकड़ा छू लिया है, लेकिन राज्य सेक्टर के ओबरा और अनपरा परियोजना की स्थिति अभी भी खराब बनी हुई है। इसके कारण राख बांध के ओवरफ्लो, लीकेज, पाइप लीकेज के कारण रिहंद जलाशय और रेणुका नदी के जरिए सोन नदी में राख लगातार जा रहा है। तीन दिन पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपी गई वस्तुस्थिति की रिपोर्ट के बाद सुरक्षित निस्तारण बढ़ाने के लिए अफसरों ने कवायद तेज कर दी है।
NTPC रिहंद ने 52%, NTPC सिंगरौली ने 33% राख के सुरक्षित निस्तारण का किया दावा
NTPC रिहंद की तरफ से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में 26 अगस्त को दाखिल रिपोर्ट में बताया गया है कि 1 अप्रैल 2020 से लेकर 31 मार्च 2021 के बीच 3000 मेगावाट क्षमता वाली NTPC रिहंद से जितनी राख निकली उसका 52.02 प्रतिशत राख का सुरक्षित निस्तारण किया गया है। बता दें कि जिले के दौरे पर आई NGT की ओवरसाइट कमेटी ने परियोजना प्रबंधन को निर्देशित किया था कि वह राख का 100% सुरक्षित निस्तारण सुनिश्चित करें। NTPC सिंगरौली परियोजना के दौरे के समय NGT की ओवरसाइट कमेटी ने पाया था कि NTPC सिंगरौली के बिजली संयंत्र जलाए जाने वाला कोयला के 32% राख के रूप में उत्सर्जित कर रहे हैं। बिजली घर से निकलने वाली राख का 68 फीसद सीधे राख बांध में डाला जा रहा है। राख के सुरक्षित निस्तारण का प्रतिशत 32 से बढ़ाकर 33.41 कर लिया गया है।
ओबरा-अनपरा साबित हो रहे फिसड्डी
राज्य के स्वामित्व वाली ओबरा और अनपरा परियोजना में राख के सुरक्षित निस्तारण का प्रतिशत 20% के ही इर्द-गिर्द बना हुआ है। पिछले वर्ष ओवरसाइट कमेटी ने अनपरा परियोजना को लैंको परियोजना के लिए अलग राख बांध बनाने का निर्देश दिया था। उन्होंने बांंध से रिस कर रिहंद डैम में जाती राख पर भी नाराजगी जताई थी। परियोजना के बंदी तक की नोटिस जारी कर दी थी। शीघ्र नए ऐश डैम के निर्माण का आश्वासन देने के बाद मामला शांत हुआ था। फिलहाल, अनपरा से निकलने वाली राख को NCL के गोरबी खदान तक ले जाने पर विचार चल रहा है। इसी तरह ओबरा में भी चकाड़ी स्थित ऐश डैम की ऊंचाई तो बढ़ाई गई है, लेकिन पाइप लीकेज और ओवरफ्लो के जरिए नदी में राख जाने का क्रम जारी है।
2015 में ही हालात पर जताई जा चुकी है चिंता
राख के निस्तारण के लिए बनाए गए ऐश डैमों की स्थिति पर NGT की कोर कमेटी 2015 में ही चिंता जता चुकी है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया था कि अधिकांश ऐश डैम भरने की स्थिति में पहुंच गए हैं। राख का असुरक्षित निस्तारण वातावरण को विषैला बनता जा रहा है। उन्होंने वर्ष 2020 तक स्थिति बेहद खराब होने की चेतावनी दी थी। यह चिंता सही भी साबित हुई और प्रदूषण के लिहाज से चयनित सिंगरौली परिक्षेत्र (सोनभद्र और सिंगरौली जनपद) में 2019 से अब तक तीन बार ऐशडैम के टूटने की घटनाएं हो चुकी हैं। इससे जहां लाखों टन राख रिहंद बांध में समा चुकी है। वहीं, यहां की हवा, पानी और मिट्टी में भी प्रदूषण का जहर बढ़ता जा रहा है।
सोनभद्र-सिंगरौली के बिजली घर प्रतिवर्ष पैदा कर रहे 28.078 मिलियन टन राख
ऊर्जांचल के बिजलीघरों से प्रतिवर्ष 28.078 (दो करोड़ अस्सी लाख 78 हजार टन) मिलियन टन राख उत्सर्जित हो रही है। NGT कोर कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, ऊर्जांचल (सोनभद्र-सिंगरौली) स्थित कुल 18838 मेगावाट क्षमता वाले, NTPC विंध्याचल, रिहंदनगर, सिंगरौली, रिलायंस का सासन पावर प्रोजेक्ट, राज्य सेक्टर का ओबरा, अनपरा और निजी क्षेत्र के लैंको में प्रतिवर्ष 82.176 (आठ करोड़ 21 लाख 76 हजार टन) मिलियन टन कोयले की खपत है। इनसे प्रतिवर्ष 28 मिलियन टन से अधिक राख निकल रही है। सितंबर 2017 में आई AIIA की टीम ने भी हालात पर चिंता जताई थी और कोयले के नमूनों में फ्लोरीन पीक की मौजूदगी का सनसनीखेज खुलासा किया था। 2012 में सेंटर फार साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई) ने सोनभद्र के रग-रग में पारा होने का खुलासा कर खलबली मचा दी थी।
लापरवाही की शिकायत मिलने पर की जा रही कार्रवाई
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी त्रिलोकी नाथ सिंह का कहना है कि NGT की ओवरसाइट कमेटी की तरफ से राख के शत-प्रतिशत निस्तारण के दिए गए निर्देश के पालन का लगातार प्रयास जारी है। नदियों, जलाशयों में राख का बहाव न होने पाए इसके लिए कड़े निर्देश दिए गए हैं। लापरवाही की शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी की जा रही है।