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Sonbhadra News: गुजर गए 14 साल, अदालत नहीं पहुंची मारपीट की फाइल, वर्षों गुजारने के बाद पीड़िता पहुंची अदालत

Sonbhadra News: आरोप पत्र दाखिला के बाबत जानकारी मांगी गई तो पता चला कि आरोप पत्र कोतवाली से न्यायालय में पहुंचा ही नहीं।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Monika
Published on: 6 Jan 2022 8:37 PM IST
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 सजा (photo : social media )

Sonbhadra News: राबर्ट्सगंज (robertsganj) कोतवाली क्षेत्र से जुड़े मारपीट (marpit mamla) के एक मामले में पुलिस की तरफ से 14 वर्ष गुजरने के बाद भी आरोप पत्र अदालत में दाखिल नहीं किया गया। इसका खुलासा तब हुआ, जब न्याय की आस में वर्षों गुजारने के बाद पीड़िता न्यायालय पहुंची (victim reached the court) । हैरत की बात यह है कि कोर्ट को भी 2012 में ही आरोप पत्र भेजे जाने की जानकारी दे दी गई। जब आरोप पत्र दाखिला के बाबत जानकारी मांगी गई तो पता चला कि आरोप पत्र कोतवाली से न्यायालय में पहुंचा ही नहीं। इसको गंभीरता से लेते हुए सीजेएम सूरज मिश्र ने बुधवार को मामले की सुनवाई की और एसपी को विभागीय जांच कराने का आदेश दिया। एक माह के भीतर इसकी आख्या मांगी। संबंधित आरोप पत्र को भी न्यायालय में दाखिल कराने का आदेश दिया। अगले छह फरवरी को इस मामले पर आगे की सुनवाई की जाएगी।

यह है पूरा मामला

राबर्ट्सगंज थाना क्षेत्र के जमगांव गांव निवासी अमरावती देवी पत्नी कन्हैया लाल ने राबर्ट्सगंज कोतवाली में तहरीर दी थी। उसमें 22 जनवरी 2008 की सुबह आठ बजे गांव के बबलू, गुप्तानाथ व मुन्नी देवी पर मारपीट और गाली गलौज का आरोप लगाया। पुलिस ने एनसीआर दर्ज (FIR Darj) की। कोर्ट ने धारा 155(2) सीआरपीसी के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए 19 अगस्त 2008 को इस मामले की विवेचना का आदेश दिया। तब से लेकर अब तक पीड़िता न्याय का इंतजार (nyay ka intzar) करती रही लेकिन उसके मामले की उसे कोई खोज खबर नहीं मिली। तब वह अपने अधिवक्ता के जरिए थाने से प्रगति आख्या मांगने के लिए कोर्ट म़े प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगाई। नौ अगस्त 2021 को राबर्ट्सगंज कोतवाली से गई आख्या में जानकारी दी गई कि आरोप पत्र 18 अगस्त 2012 को ही भेज दिया गया है लेकिन आरोप पत्र न्यायालय में आखिर क्यों नहीं दाखिल हुआ? इसके लिए पुनः अधिवक्ता प्रेम प्रताप विश्वकर्मा ने अदालत में सितंबर माह में प्रगति आख्या के लिए प्रार्थना पत्र दिया। इसके क्रम में भेजी गई आख्या में अवगत कराया गया कि तत्कालीन चुर्क चौकी इंचार्ज रहे अशोक मिश्र ने आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित नहीं किया है। क्योंकि अपराध रजिस्टर नम्बर चार में इसका कोई उल्लेख नहीं है।

धारा 173 (2) सीआरपीसी के तहत रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि किसी प्रकरण के विवेचना उपरांत धारा 173 (2) सीआरपीसी के तहत रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है लेकिन ऐसा न किए जाने को गंभीर मामला मानते हुए सोनभद्र एसपी को विभागीय जांच कराने का निर्देश दिया है। साथ ही एक माह के भीतर आख्या प्रस्तुत करने को कहा गया है। इसके अलावा तैयार आरोप पत्र को न्यायालय में दाखिल कराने का आदेश पारित किया है। अगली सुनवाई छह फरवरी को होगी।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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