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Sonbhadra News: अंतरजातीय विवाह करने पर अपनों ने छोड़ दिया साथ, मरने पर भी नहीं दी अग्नि

Sonbhadra News: अंतरजातीय विवाह को समाज आज भी अपनी स्वीकार्यता देने का तैयार नहीं

Kaushlendra Pandey
Published on: 1 Nov 2021 10:00 AM GMT
Jalaun
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Sonbhadra News: अंतरजातीय विवाह (antarjatiya vivah) की स्वीकार्यता को लेकर चाहे कितने ही कानून बना दिये जाएं। ऐसे विवाहों को समाज में स्थान देने की चाहे जितनी वकालत कर ली जाए... लेकिन यह कड़वा सच है कि समाज का एक बड़ा तबका अभी भी ऐसी शादी को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। आदिवासी बहुल बभनी थाना क्षेत्र में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। अंतरजातीय विवाह (antarjatiya vivah) करने पर अपनों ने साथ तो छोड़ा ही, मरने के बाद उसके शव (laawaris shav) को अग्नि देने के लिए भी कोई आगे नहीं आया। स्थिति यह बनी कि लावारिस व्यक्ति (laawaris shav) की तरह उसका शव नदी किनारे ले जाकर बालू के नीचे दफना दिया गया।

मामला बभनी थाना (Babhni Thana) क्षेत्र के चपकी ग्राम पंचायत का बताया जा रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक चपकी ग्राम पंचायत निवासी रामलगन (48) ने दो शादी की हुई थी। उसमें एक शादी अंतरजातीय (antarjatiya vivah) थी। बताया जाता है कि इससे खफा होकर उसके परिवार और बिरादरी वालों ने उसे एक तरफ से बहिष्कृत कर दिया। लगभग 10 दिन पूर्व अज्ञात कारणों से उसकी मौत हो गई। मौत के बाद दाह संस्कार के नाम पर परिवार में विवाद शुरू हो गया जब परिवार का कोई भी व्यक्ति उसके दाह संस्कार के लिए आगे नहीं आया तो कुछ ग्रामीणों के कहने पर प्रधानपति की तरफ से शव को ट्रैक्टर ट्राली में लदवाकर हथियार गांव के पास स्थित नदी पर ले गए और वहां स्थित श्मशान घाट के पास उस शव को बालू में दफन करवा दिया।

धीरे-धीरे यह बात गांव के दूसरे लोगों और आसपास के ग्रामीणों को होनी शुरू हुई तो इसको लेकर चर्चा भी शुरू हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि मृतक का पूरा परिवार था। प्रधानपति को समझा बुझा कर अंतिम संस्कार कराना चाहिए था। वहीं प्रधानपति का कहना कि परिवार में काफी विवाद की स्थिति बन गई थी। इसलिए उन्हें जो सही लगा उन्होंने वह तरीका अपनाया।

बता दें कि हिंदू परंपराओं के मुताबिक दाह संस्कार के समय जो शव को मुखाग्नि देता है उसे कर्मकांड के मुताबिक पूरी प्रक्रिया निभानी पड़ती है। चर्चाओं की मानें तो यही एक बड़ा कारण था कि जब परिवार के लोग शव को अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आए तो गांव के कुछ लोगों ने शव को दफनाना ही उचित समझा। उधर, पुलिस का कहना था कि अगर ऐसा है तो मामले की जानकारी पुलिस को दी जानी चाहिए थी। अगर ऐसा नहीं किया गया है तो गलत है। फिलहाल पुलिस को कोई तहरीर नहीं मिली है। अगर तहरीर मिलती है तो आवश्यक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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Raghvendra Prasad Mishra

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