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Sonbhadra News: कोयला संकट से जूझ रहे लोगों के लिए सुधरने लगे हालात, आयातित कोयले की अनुमति ने बढ़ाई चिंता
Sonbhadra News: केंद्र सरकार की तरफ से भारतीय कोयले से चलने वाले बिजली घरों में 15% आयातित कोयले के प्रयोग की अनुमति ने ऊर्जा जगत से जुड़े विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है।
Sonbhadra News : सर्दी की आहट के साथ तेजी से घटी बिजली की मांग (Bijli ki mang) में कोयला संकट (coal crisis) से जूझ रहे बिजली घरों को बड़ी राहत दे दी है। इससे बेहद क्रिटिकल हालात में पहुंच सके बिजली घरों में भी चार से 6 दिन का कोयला स्टाक (coal stock) जमा हो गया है लेकिन इसी बीच केंद्र सरकार की तरफ से भारतीय कोयले से चलने वाले बिजली घरों में 15% आयातित कोयले (imported coal) के प्रयोग की दी गई अनुमति ने ऊर्जा जगत से जुड़े विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। इससे एक तरफ जहां बिजली उत्पादन की लागत बढ़ेगी। वहीं निजी घरानों को इसकी आड़ में मनमानी कीमतों पर बिजली बेचने की छूट सी मिल जाएगी।
ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन (All India Power Engineers Federation) ने केंद्रीय विद्युत मंत्री आर के सिंह (Union Power Minister RK Singh) को पत्र भेजकर चिंता जताई है और निजी बिजली घरों (private power houses) की सीएजी और एनर्जी ऑडिट कराने की मांग की है।
कम से कम 01.15 प्रति यूनिट बढ़ जाएगी लागत
पत्र में कहा गया है कि 15 प्रतिशत आयातित कोयला प्रयोग करने की अनुमति देने से बिजली उत्पादन की लागत में कम से कम रु 01.15 प्रति यूनिट की बढ़ोत्तरी होगी। वहीं इसकी आड़ में निजी घरानों को बिजली दरों में फर्जीवाड़ा कर, मनमानी कीमत पर बिजली बेचने की छूट भी मिलती जाएगी। इस पर रोक के लिए जरुरी है कि निजी बिजली उत्पादन घरों का सीएजी आडिट और एनर्जी ऑडिट कराया जाए। ताकि यह पता चल सके की वास्तव में कितना आयातित कोयला ब्लेंड (मिश्रण कर उपयोग) किया गया।
भारतीय कोयले की कीमत, आयातित कोयले से एक चौथाई से भी कम
दक्षिण अफ्रीका से आने वाले 5500 केलोरिफिक वैल्यू के आयातित कोयले की कीमत 22205 प्रति टन है और इण्डोनेशिया से आयातित 5000 केलोरिफिक वैल्यू के कोयले की कीमत 21720 प्रति टन है। जबकि 4000 केलोरिफिक वैल्यू के भारतीय कोयले की कीमत महज 5150 प्रति टन है। भारतीय कोयले की यह कीमत, आयातित कोयले की कीमत के एक चौथाई से भी कम है। इससे स्पष्ट है कि आयातित कोयले की अनुमति बिजली उत्पादन की लागत तो बढ़ाएगी ही, ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन का कहना है कि इससे जहां निजी घरानों को अपने यहां उत्पादित बिजली की मनमाना कीमत लेने की छूट मिलती जाएगी। क्योंकि वह सीएजी आडिट और एनर्जी ऑडिट के दायरे में नहीं आते। आयातित कोयले के नाम पर चल रहे अदानी और कई अन्य निजी घरानों के फर्जीवाड़े की डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस पहले से जांच भी कर रहा है।
वित्तीय संकट झेल रही बिजली वितरण कंपनियों की हालत होगी और खराब
ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दूबे के मुताबिक भारतीय कोयले से एक यूनिट बिजली बनाने में लगभग 03.22 का कोयला खर्च आता है। वहीं इसमें 15 % आयातित कोयला मिश्रण करने पर खर्च बढ़कर 04.37 प्रति यूनिट पहुंच जाएगा। इससे प्रति यूनिट बिजली उत्पादन में कोयले की कीमत में ही कम से कम 01.15 की बढ़ोत्तरी हो जाएगी। इसके चलते पहले ही भारी वित्तीय संकट झेल रही बिजली वितरण कंपनियां और अधिक बदहाली में चली जाएंगी।
आयातित कोयले का प्रयोग बढ़ाने की जगह इन पर किया जाए विचार
ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने मांग की है कि केवल आयातित कोयले से चलने वाले 17000 मेगावाट के ताप बिजली घरों को निर्देश दिए जाएं कि वह अपने बिजली घरों को पूरी क्षमता पर चलाएं और कोयले से उत्पन्न बिजली संकट के दौर में अपने बिजली घर बंद कर संकट और न बढ़ाएं। खासकर गुजरात में टाटा के मूंदड़ा स्थित बिजली घर और राजस्थान में अदानी के कवाई बिजली घर को पूरी क्षमता पर चलाने के निर्देश दिए जाएं। उल्लेखनीय है कि संकट के दौर में एक ओर इन्होंने अपने बिजली घरों को बंद कर दिया या उत्पादन घटा दिया। दूसरी ओर एनर्जी एक्सचेंज में अन्य श्रोतों व उत्पादन घरों से उत्पादित बिजली इन्हीं घरानों ने 20 रुपये प्रति यूनिट तक बेच मोटा मुनाफा कमाया। यह भी मांग की गई है कि कोल इंडिया को निर्देश दिया जाए कि बिजली घरों को पूर्वानुमानित मांग के अनुसार समय से कोयला आपूर्ति बनाए रखी जाए ताकि भविष्य में 2021 जैसा संकट उत्पन्न न होने पाए।
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