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Sonbhadra News: ओबरा-दुद्धी विस सीट के आरक्षण का मसला गरमाया, सुप्रीम कोर्ट में त्वरित सुनवाई का आदेश
Sonbhadra News: उत्तर प्रदेश के जनपद सोनभद्र के 2017 के विधानसभा चुनाव से ही ओबरा और दुद्धी विधानसभा सीट का मामला बार फिर गरमा उठा है। याचिकाकर्ता की तरफ से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने मामले की त्वरित सुनवाई के आदेश दिए हैं।
Sonbhadra News: विधानसभा चुनाव 2017 के समय ऐन वक्त पर जिले की ओबरा और दुद्धी विधानसभा सीट (Obra and Duddhi assembly seats) को अनुसूचित जनजाति (scheduled tribe) के लिए आरक्षित किए जाने का मसला एक बार फिर गरमा उठा है। याचिकाकर्ता की तरफ से दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने मामले की त्वरित सुनवाई के आदेश दिए हैं। इस सप्ताह के अंत तक या अगले सप्ताह में इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
बताते चलें कि 2017 के विधानसभा चुनाव (assembly elections 2017 ) से पूर्व ओबरा सीट सामान्य थी। वहीं दुद्धी सीट अनुसूचित जाति (scheduled caste) के लिए आरक्षित थी। चुनाव आयोग की तरफ से चार जनवरी 2017 को यूपी सहित पांच राज्यों में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते समय दोनों सीटों को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर दिया गया था।
मामला लंबित
पंकज कुमार मिश्रा (Pankaj Kumar Mishra) एवं अन्य की तरफ से इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई लेकिन चुनावी अधिसूचना जारी होने तथा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के कारण इस मामले में कोई निर्णय नहीं आ पाया। इसके बाद से यह मामला लंबित पड़ा हुआ है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शेखर जी देवासा के जरिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई के लिए प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया।
दलील दी गई कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया आगामी (assembly elections 2022) 45 से 60 दिनों में शुरू की जा सकती है। इसको देखते हुए, ओबरा-दुद्धी विधानसभा के आरक्षण को चुनौती देने वाले याचिका के चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से पहले निस्तारण के लिए त्वरित सुनवाई की जानी चाहिए। सेलफोन पर हुई वार्ता में अधिवक्ता शेखर जी देवासा ने बताया कि त्वरित सुनवाई का अनुरोध स्वीकार कर लिया गया है। इस सप्ताह के आखिरी में या अगले सप्ताह इस केस के सुनवाई की पूरी उम्मीद है।
आरक्षण का मसला
बता दें कि आरक्षण का मसला (reservation issue) 2017 से ही गरमाया हुआ है। पंकज मिश्रा व अन्य द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में निर्वाचन आयोग के निर्णय को चुनौती देते हुए कहा गया है कि चुनाव आयोग की तरफ से सूचना के अधिकार अधिनियम-2005 (Right to Information Act-2005) के तहत तीन अगस्त 2015, तीन फरवरी, 2016 को उपलब्ध कराई गई सूचना के साथ 26 जून, 2015 को भारत सरकार के विधि व न्याय मंत्रालय को भेजा गया पत्र उपलब्ध कराया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि ओबरा और दुद्धी विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित किये जाने के बाबत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 व 170 के तहत राष्ट्रपति का आदेश अनिवार्य है। लेकिन बगैर राष्ट्रपति के आदेश के ही दोनों विधानसभा सीटों को अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया।
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