×

Sonbhadra News: सीएम के हाथों नहीं मिल पाएगी आदिवासियों को बड़ी सौगात, वन विभाग ने बिगाड़ा खेल, जानें पूरा मामला

Sonbhadra News: जनपद सोनभद्र में वन विभाग की अड़ंगेबाजी के कारण मुख्यमंत्री के हाथों आदिवासियों को मिलने वाली बड़ी सौगात पर अब रुकावट आता दिखाई दे रहा है। लेकिन जनपद के डीएम ने जब सख्ती दिखाई तब जाकर अधिकांश दावों के निस्तारण की प्रक्रिया में तेजी आई है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 20 Dec 2021 1:24 PM GMT
Sonbhadra News: सीएम के हाथों नहीं मिल पाएगी आदिवासियों को बड़ी सौगात, वन विभाग ने बिगाड़ा खेल, जानें पूरा मामला
X

Sonbhadra News: जिले में 22 दिसंबर को सीएम के हाथों आदिवासियों को बड़ी सौगात मिलने की संभावना को फिलहाल विराम लग गया है। सूत्रों की मानें तो वन विभाग (Forest department) की अड़ंगेबाजी के चलते अधिकांश दावों के निस्तारण की प्रक्रिया ही अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। बताते हैं कि इसको लेकर सोमवार की रात डीएम टीके शिबू (DM TK Shibu) ने संबंधितों की बैठक ली।

वन विभाग की तरफ से लगाई जा रही अड़ंगेबाजी पर भी संबंधितों ने अपने-अपने तर्क रखे। देर तक चले विमर्श के साथ ही डीएम ने भी जमकर क्लास ली, तब जाकर वन विभाग के अफसरों ने भी अपनी तरफ से तेजी लाने की हामी भरी। हालांकि सभी लंबित दावों के निस्तारण की प्रक्रिया कब तक पूर्ण हो पाएगी? फिलवक्त इस बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है।

ज्यादा से ज्यादा आदिवासियों को वन अधिकार अधिनियम का लाभ मिले

बताते चलें कि वनाधिकार अधिनियम 2006 (Forest Rights Act 2006) लागू होने के बाद, इसके तहत 65540 आदिवासियों ने तहसील कार्यालयों में आवेदन दिया था। उसमें से तत्कालीन समय में 11920 दावे स्वीकृत कर कर लिए गए थे। वहीं शेष 53620 को अस्वीकृत कर दिया गया था। निरस्तीकरण को गलत ठहराते हुए, शेष दावों पर पुनर्विचार के लिए जहां ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट लगातार उठा रहा था। वही बनवासी कल्याण आश्रम से संबंद्ध सेवा समर्पण संस्थान चपकी की तरफ से भी ज्यादा से ज्यादा आदिवासियों को वन अधिकार अधिनियम का लाभ मिले, इसकी पहल की जा रही थी। परिणाम भी सामने आया और सभी निरस्त दावों पर पुनर्विचार करते हुए, पुनः निस्तारण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

पुनर्विचार प्रक्रिया में अब तक 1255 दावे स्वीकृत भी किए जा चुके हैं। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री के आगमन के समय अधिक से अधिक दावों का निस्तारण कर, सीएम के हाथों ज्यादा से ज्यादा आदिवासियों को पुश्तैनी कब्जे वाली वनभूमि पर भौमिक अधिकार का प्रमाण पत्र दिलाया जाए इसके लिए प्रशासन की तरफ से प्रयास भी शुरू किया गया।

शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिए गए

सेवा समर्पण संस्थान की तरफ से भी पहल तेज की गई और बामणी तथा नूरपुर प्लाट पर विशेष फोकस की योजना भी बनाई गई लेकिन बताते हैं कि प्रशासन की तेजी के निर्देश के बावजूद वनाधिकार से जुड़ी फाइलें वन विभाग से जुड़े मुद्दों और ग्राम स्तरीय समितियों की खुली बैठक से जुड़े नियमों में उलझी पड़ी रह गईं। सूत्रों की मानें तो डीएम की बैठक में यह बात खुलकर सामने आई, जिस पर डीएम की तरफ से अधिनियम के नियमों का हवाला देते हुए शीघ्र निस्तारण के निर्देश दिए गए। डीएम की सख्ती के बाद निस्तारण से जुड़े कुछ बिंदुओं पर असहमति जताते आ रहे वन विभाग के लोगों ने भी आखिरकार, निस्तारण प्रक्रिया में तेजी लाने की हामी भर दी।

22 दिसंबर को आदिवासियों को वनाधिकार की बड़ी सौगात मिलने वाली थी

सीएम के आगमन में महज एक दिन का समय शेष रहने के कारण 22 दिसंबर को आदिवासियों को वनाधिकार की बड़ी सौगात मिलने की उम्मीद तो नहीं दिखाई दे रही, लेकिन माना जा रहा है माह के अंत तक या जनवरी के पहले सप्ताह में आदिवासियों की एक बड़ी आबादी को इसका लाभ मिलता दिखाई दे सकता है। इस बारे में जानकारी के लिए डीएम के सेलफोन पर संपर्क किया गया तो वह मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर हो रही तैयारियों में व्यस्त मिले।

वहीं इसके नोडल, समाज कल्याण अधिकारी रमाशंकर यादव ने सेलफोन पर हुई वार्ता में कहा कि कुछ तकनीकी कारणों के चलते फिलहाल 22 दिसंबर को मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में आदिवासियों को वनाधिकार अधिनियम के तहत प्रमाण पत्र दिलवा पाना संभव नहीं हो पा रहा है। दिक्कत दूर करने के लिए डीएम बैठक भी ले चुके हैं। उनकी तरफ से, लंबित दावों के शीघ्र निस्तारण के लिए संबंधितों को जरूरी निर्देश भी दिए गए हैं।

taja khabar aaj ki uttar pradesh 2021, ताजा खबर आज की उत्तर प्रदेश 2021

Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

Next Story