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Sonbhadra News: सोनभद्र के रेलवे परियोजनाओं में लेटलतीफी, पांच राज्यों में रुक रही विकास की रफ्तार

Sonbhadra News :चोपन-चुनार, सिंगरौली- चोपन, सिंगरौली -कटनी ,चोपन -रेणुकूट -दुद्धी- रमना रेल सहित कई कार्य अब तक पूरे नहीं हो सके, वर्ष 2014 से ही काम चल रहा।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Shraddha
Published on: 19 Oct 2021 12:05 PM GMT
सोनभद्र क्षेत्र में रेलवे परियोजनाओं में लेटलतीफी
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 सोनभद्र क्षेत्र में रेलवे परियोजनाओं में लेटलतीफी

Sonbhadra News : रेल विभाग की परियोजनाओं (Railway Department Projects) के निर्माण में होती देरी पांच राज्यों (यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़) में विकास की रफ्तार रोके हुए हैं। इसके चलते यूपी के आखिरी छोर पर मौजूद, चार राज्यों से जुड़े सोनभद्र (Sonbhadra) और सीमावर्ती राज्यों के जनपदों में बेहतर यात्री ट्रेनों की सुविधा अब तक नहीं मिल पाई है। वहीं यहां से कई राज्यों में होने वाले खनिजों की ढुलाई भी पर्याप्त तेजी नहीं पकड़ पा रही है। इससे जहां ताजा कोयला संकट से निपटने में मुश्किल आ रही है वहीं दूसरे राज्यों में कई परियोजनाओं का निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है।

सोनभद्र और इससे सटे मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में खनिज (minerals) का बड़ा भंडार होने के कारण यह एरिया केंद्र के साथ राज्य सरकारों के खजाने को भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। औद्योगिक परियोजनाओं के कारण संबंधित एरिया में मूल निवासियों के अलावा नौकरी और धंधे की तलाश में आई एक बड़ी आबादी निवासी करती है। इनको आवागमन का सुगम साधन और रेलवे की आय में बढ़ोतरी के लिए सोनभद्र और इससे सटे राज्यों की तरफ जाने तथा आने वाले रेल रूटों को विकसित करने की मांग लंबे समय से उठती रही है।

2014 में जब केंद्र में मोदी सरकार बनी नार्दन कोलफील्ड्स, एनटीपीसी, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम (Uttar Pradesh State Electricity Generation Corporation) तथा निजी औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़ी रेल परियोजना सिंगरौली- चोपन, शक्तिनगर- करेला रोड, सिंगरौली -कटनी, चोपन -रेणुकूट -दुद्धी- रमना रेल लाइनों के दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण का काम तेजी से शुरू किया गया। इन रेल रूटों का दोहरीकरण 2019-20 तक कर दिया जाना था लेकिन कार्य में लेटलतीफी के चलते जहां रेलवे अपनी आय बढ़ाने के लिए माल गाड़ियों को तेजी से नहीं दौड़ा पा रहा है। वहीं नई यात्री ट्रेनों को कौन कहे, जो महत्वपूर्ण ट्रेनें इस कार्य को देखते हुए प्रस्तावित की गई हैं उनका भी संचालन संभव नहीं हो पा रहा है।

चोपन चुनार रेलवे लाइन पर भी नहीं दिया जा रहा अपेक्षित ध्यान


पांच राज्यों में रुक रही विकास की रफ्तार(कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)

उत्तर मध्य रेलवे और पूर्व मध्य रेलवे को जोड़ने वाली चोपन चुनार रेलवे लाइन के सुंदरीकरण और दोहरीकरण के कार्य पर भी अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दोहरीकरण का कार्य जहां सर्वे से आगे नहीं बढ़ सका है। वहीं पूर्व से मौजूद चोपन चुनार एकल रेल लाइन 103 किमी लम्बाई स्थापना काल से ही पर गाड़ियों की गति सीमा 100 किमी प्रति घंटे बढ़ाए जाने के लिए चल रहे इंजीनियरिंग कार्य, इंटरलॉकिंग स्वचालित सिग्नल प्रणाली, हॉल्ट स्टेशन निर्माण आदि कार्य तेजी नहीं पकड़ पा रहे हैं। इसके चलते इस रेल लाइन क़ो रेल विद्युतीकरण का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते खैराही रेलवे स्टेशन को छोड़कर इस रेलवे रूट पर पड़ने वाले सभी स्टेशनों पर अभी 73 साल पुराने सिग्नल प्रणाली से ही काम चलाना पड़ रहा है।

कार्य पूरा होने के बाद रेलवे के आय और बचत में तेजी से होगी बढ़ोतरी


चोपन-चुनार एकल रेलवे लाइन का उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज द्वारा महज 40% कार्य पूरा किए जाने से ही इस रेलखंड से दौड़ने वाली चार माल गाड़ियों की जगह संख्या बढ़कर 24 पहुंच गई है। जानकारों का कहना है कि यदि इस रेलखंड पर स्वीकृत सभी कार्य जल्द पूरे करा दिए जाएं और वर्ष 2020 -21 के बजट में स्वीकृत चोपन-चुनार दोहरीकरण रेल परियोजना का भी कार्य पूर्ण करा दिया जाए तो इससे कई मालगाड़ियों और सवारी ट्रेनों को दो से तीन सौ किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाने से निजात मिलेगी। रेलवे के बचत और आय दोनों में इजाफा तो होगा ही, सोनभद्र और इसके सीमावर्ती राज्यों के जनपदों के लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा मिलेगी सो अलग। वहीं रेलवे क्षेत्रीय परामर्शदात्री बोर्ड के सदस्य एसके गौतम कहते हैं कि आदिवासी बहुल और उद्योग प्रधान अंचल के लिए नई दिल्ली -हावड़ा रेल रुट का एक वैकल्पिक रेल मार्ग भी उपलब्ध हो जाएगा।

पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को सोनभद्र से दौड़ाने की पहल नहीं ले पाई


उपरोक्त रेल परियोजनाओं के अधूरी होने तथा प्रस्तावित कार्य के मूर्त रूप लेने में होती देरी का परिणाम यह है कि सत्ता एक्सप्रेस कोच ओपन होते हुए दौड़ाने की पहल अब तक मूर्त रूप नहीं ले पाई है। वहीं चोपन होते हुए सप्ताह में एक दिन राजधानी एक्सप्रेस को बढ़ाने की कार्य योजना को मंजूरी मिलने के बाद भी, प्रस्तावित रेल रूट के दोहरीकरण का कार्य अब तक पूरा न होने से राजधानी एक्सप्रेस को सोनभद्र होते हुए चलाए जाने की तैयार की गई योजना भी अभी मूर्त रूप लेती नहीं दिख रही।


कई सांसद रेलवे बोर्ड का खटखटा चुके हैं दरवाजा

अपना दल सांसद पकौड़ी लाल कोल, जिले के राज्य सभा सांसद रामशकल कोल, रांची के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार, सीधी सांसद रीती पाठक मैप सोनभद्र सिंगरौली गढ़वा सहित सीमावर्ती राज्यों के अन्य जनपदों से जुड़ी रेल परियोजनाओं के निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा कराए जाने को लेकर कई बार रेलवे बोर्ड का दरवाजा खटखटा चुके हैं। पत्र के जरिए रेल मंत्री तक बात पहुंचाने के साथ ही उनसे मिलकर भी इसकी जरूरत से अवगत करा चुके हैं। बावजूद कार्य में होती देरी जहां यूपी सहित पांच राज्यों में विकास की रफ्तार को रोके हुए है। वही सोनभद्र सहित आसपास के जनपदों में रेल सुविधाओं की बेहतरी के आस लगाए लोगों को अभी तक मायूसी ही हाथ लग रही है।

निर्माण कार्य में होती देरी को कोयला संकट का कारण बताया (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


राबर्टसगंज सांसद ने कार्य पूरा न होने को कोयला संकट का भी बताया कारण


राबर्ट्सगंज सांसद पकौड़ी लाल कोल ने कोल इंडिया कॉरीडोर से जुड़ी रेल लाइन दोहरीकरण परियोजनाओं के निर्माण कार्य में होती देरी को कोयला संकट का एक बड़ा कारण बताया है। कहा कि कार्य पूरा गया हो होता तो इस रूट पर कोयला लदी मालगाड़ी या तेजी से दौड़ती जिससे कोयला संकट की स्थिति शायद इतनी खराब ना होती।

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