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Sonbhadra News: सोनभद्र से वाराणसी के लिए निकली छह दिवसीय गुप्तकाशी दर्शन यात्रा, सोन त्रिवेणी संगम से हुई शुरुआत
Sonbhadra News: सोनभद्र से वाराणसी के लिए 622 किमी दूरी वाली छह दिवसीय गुप्तकाशी दर्शन यात्रा सोमवार को त्रिवेणी संगम से रवाना हुई।
Sonbhadra News: सोनभद्र से वाराणसी के लिए 622 किमी दूरी वाली छह दिवसीय गुप्तकाशी दर्शन यात्रा सोमवार को त्रिवेणी संगम से रवाना हुई। तमिलनाडु, कर्नाटक, अयोध्या से आए संतों के अलावा जनपद एवं अन्य जिलों से आए शिवभक्तों ने हर-हर महादेव के गोश्त के साथ यात्रा की शुरुआत की। पहले दिन गोठानी, ओबरा, डाला, सलईबनवा होते हुए यात्रा ओमकारेश्वर घाटी स्थित महामंगलेश्वर धाम पहुंची और यही रात्रि विश्राम का पड़ाव डाला।
मंगलवार की सुबह दर्शन-पूजन के बाद यात्रा यहां से आगे के लिए रवाना हो जाएगी। गुजरात के बलसाड़ तथा प्रयागराज के पकरी सेवार गांव स्थित सीताराम आश्रम के महंत समर्थ गुरु रामदास महाराज ने यात्रा की अगुवाई की।
गुप्तकाशी दर्शन यात्रा
उनके साथ यात्रा में वेदव्यास महाश्मशान रामनगर, वाराणसी के नागमलय महादेश्वर मुनि, अयोध्या से आए स्वामी विजयनारायण आचार्य, देवरहा बाबा आश्रम से आए संत अरुण महाराज, सोनभद्र नगर के दंडइत बाबा मंदिर के लक्ष्मी महाराज, योगी नागा मौनी बाबा, प्रयाग दास गिरि महाराज, तमिलनाडु और कर्नाटक से आए संतों की टोली के अलावा यात्रा के संयोजक गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष रवि प्रकाश चौबे, संपादकीय प्रमुख धर्मेंद्र कुमार पांडेय राजू, विपिन मिश्रा, काजू मिश्रा, राजीव चतुर्वेदी, प्रयाग से आए रमेश चतुर्वेदी आदि ने यात्रा में प्रतिभाग किया। गोठानी स्थित सोन-रेणुका-बिजुल नदी के संगम में स्नान तथा नदी तट स्थित सोमेश्वर महादेव के दर्शन पूजन के साथ यात्रा की शुरुआत हुई।
चंद्रमा ऋषि की तपोस्थली के रूप में पहचान रखने वाले इस स्थल से यात्रा का शुभारंभ विश्व हिंदू परिषद काशी प्रांत के धर्म प्रसार प्रमुख नरसिंह त्रिपाठी, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष धर्मवीर तिवारी आदि ने वरुण पूजन कर कराया।
संतों का कहना था कि गुप्तकाशी के रूप में वैदिक कालीन महत्व रखने वाली सोनभद्र की धरा पर ऋषि-मुनियों द्वारा पूजित एवं स्थापित कई सिद्धपीठ विद्यमान हैं। प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के निमित्त लोक कल्याण का संकल्प लेकर यह गुप्तकाशी दर्शन यात्रा निकाली जा रही है।
अचलेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन
पहले दिन की यात्रा सोन-रेणुका-बिजुल संगम तट स्थित सोमेश्वर महादेव के जलाभिषेक से शुरू हुई । इसके बाद यात्रियों का दल आस्था के साथ ही रहस्य और रोमांच से भरे ओबरा नगर के सेक्टर तीन स्थित भूतेश्वर दरबार पहुंचा। यहां नगर के लोगों ने यात्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया।
संतो और भक्तों की टोली ने गुफा के अंदर प्राकृतिक रूप से विराजमान 50 से अधिक शिवलिंग, गुफा के अंदर ही गुंबद नुमा करीब 20 आकृति सहित अन्य देवी-देवताओं के प्राकृतिक स्वरूप का दर्शन पूजन किया और उसके बारे में जानकारी ली।
ओबरा नगर पंचायत अध्यक्ष प्रानमति देवी ने यात्रा में शामिल संतों और श्रद्धालुओं का अंगवस्त्रम् भेंट कर स्वागत किया। यहां के बाद यात्रा डाला-ओबरा मार्ग के पास स्थित सलईबनवा स्थित दुअरा घाटी पहुंची। यहां 40 फुट गहरी गुफा में अमरकंटक सरीखा भोले बाबा का दरबार देख सभी अभिभूत रह गए।
इसके बाद डाला अचलेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन करते हुए यात्रा ओमकारेश्वर घाटी स्थित महामंगलेश्वर धाम पहुंची। मंदिर पासी पहाड़ी पर रात्रि विश्राम का पड़ाव डाला। सभी जगह श्रद्धालु यात्रा में शामिल लोगों का स्वागत कर उत्साह बढ़ाने में लगे रहे।