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Sonbhadra:सोनभद्र में नींव खुदाई के दौरान मिली भगवान विष्णु की मूर्ति, सातवीं-आठवीं शताब्दी का होने का अनुमान

घोरावल तहसील क्षेत्र के वीरकला (मंदहा) गांव में मकान निर्माण के लिए नींव की खुदाई के दौरान भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप वाली मूर्ति मिली। सातवीं-आठवीं शताब्दी का होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Deepak Kumar
Published on: 23 Aug 2021 10:01 PM IST (Updated on: 24 Aug 2021 6:19 AM IST)
Statue of Lord Vishnu found during foundation excavation in Sonbhadra
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खुदाई के दौरान मिली भगवान विष्णु की मूर्ति।

सोनभद्र। घोरावल तहसील क्षेत्र के वीरकला (मंदहा) गांव में सोमवार को मकान निर्माण के लिए नींव की खुदाई के दौरान भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप वाली मूर्ति मिली है। डेढ़ फुट ऊंचे विग्रह को सातवीं-आठवीं शताब्दी का होने का अनुमान लगाया जा रहा है। मूर्ति मिलने की खबर मिलने के बाद वीर कला गांव में दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। प्राचीन काल में भगवान शिव के साथ ही, घोरावल क्षेत्र भगवान विष्णु के साधना का केंद्र रहा है। प्राचीन समय में यह अंचल मूर्तिकला का भी बड़ा केंद्र रहा है। इस कारण पुरातात्विक दृष्टि से भी मूर्ति को महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।

बताया जा रहा है वीरकला गांव में मलधर आदिवासी पुत्र दद्दी मकान का निर्माण करवा रहे हैं। उसी के लिए सोमवार को मजदूर नींव की खुदाई कर रहे थे। दोपहर बाद खुदाई के दौरान उन्हें फावड़ा किसी पत्थर पर लगने का एहसास हुआ। ध्यान से देखा तो वह किसी देवता की मूर्ति जैसी आकृति थी। सावधानी बरतते हुए उसके अगल-बगल की मिट्टी हटाई तो सामने सामने करीब डेढ़ फुट ऊंचा भगवान विष्णु का चतुर्भुजी स्वरूप देख दंग रह गए। इलाके में इसकी सूचना मिलते ही मौके पर ग्रामीणों का हुजूम टूट पड़ा। भगवान विष्णु के जयघोष के साथ ही उनकी पूजा-अर्चना भी शुरू हो गई। कई ग्रामीणों ने मूर्ति स्थापना के लिए मंदिर निर्माण की तैयारी भी शुरू कर दी। ग्रामीणों का कहना था कि घोरावल तहसील क्षेत्र में कई जगहों पर पुरातात्विक महत्व की प्रस्तर प्रतिमाएं मिल चुकी हैं। शिवद्वार, सतद्वारी, बर कन्हरा, देवगढ़ आदि जगहों पर मिली बेशकीमती मूर्तियां लाखों भक्तों के श्रद्धा का केंद्र बनी हुई है।

छह इंच मोटे पत्थर पर उत्कीर्ण है मूर्ति

सोनभद्र की धरा अपने गर्भ में कई बेशकीमती, ऐतिहासिक, पुरातात्विक और धार्मिक धरोहरों से संजोए हुए हैं। वीरकला में भी जिस जगह मूर्ति मिली है। वह प्राचीन काल में मूर्ति-शिल्प कला के साथ साधना का बड़ा केंद्र तो रहा ही है। बेलन नदी घाटी सभ्यता का क्षेत्र होने के कारण पुरातात्विक दृष्टि से भी यह जगह काफी महत्वपूर्ण है। महज दो फीट की खुदाई के बाद ही भगवान विष्णु का यह अद्भुत विग्रह प्राप्त हुआ है। इसकी ऊंचाई डेढ़ फीट और चौड़ाई एक फीट है। छह इंच मोटे पत्थर पर यह मूर्ति बनाई गई है। चार भुजाओं वाले विष्णु की इस मूर्ति के हाथ में शंख,चक्र, गदा, पद्म है। एक पांव के पास युवती की आकृति दिख रही है। दूसरे पांव के पास एक मानवाकृति दिख रही है। बता दें कि प्राचीन समय में यह स्थल मूर्तिकला के साथ तंत्र साधना का भी बड़ा केंद्र रहा है। इस कारण इस मूर्ति को भगवान विष्णु के दुर्लभ स्वरूप के रूप में भी देखा जा रहा है।

इस इलाके में पूर्व में भी मिल चुके हैं भगवान विष्णु के अद्भुत विग्रह

4 वर्ष पहले वीरकला से नौ किमी दूर महांव गांव में इसी तरह की भगवान विष्णु की मूर्ति प्राप्त हुई थी। इसी तरह सात साल पहले सतद्वारी गांव में खेत की जुताई करते समय शेषनाग की शैया पर लेटे भगवान विष्णु की मूर्ति मिल चुकी है। वरकन्हरा गांव में सन् 1985 में अंकोरवाट सरीखी विष्णु मूर्ति मिली थी। एक बार चोरी जाने पर इसे बरामद कर लिया गया था। दूसरी बार चोरों ने मूर्ति को खंडित कर दिया। लोगों की आस्था को देखते हुए हूबहू मूर्ति का निर्माण कराया गया है लेकिन जो सौंदर्य पुरानी मूर्ति का था। वह अब नहीं है।



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Deepak Kumar

Deepak Kumar

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