TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Sonbhadra News: उम्भा कांड के बाद सरकारी जमीनों की खोज अभियान में प्रशासन की बड़ी चूक

जिला प्रशासन की तरफ से सरकारी जमीनों के खोज को लेकर चलाए गए अभियान में बड़ी चूक सामने आई है।

Kaushlendra Pandey
Published on: 4 Sept 2021 5:50 PM IST
Ubbha Massacre
X

उभ्भा हत्याकांड के बाद पीड़ितों ढांढस बधाती प्रियंका गांधी की फाइल तस्वीर (फोटो-न्यूजट्रैक)

Sonbhadra News: जुलाई 2019 में घोरावल क्षेत्र के उम्भा में जमीन को लेकर हुए खूनी संघर्ष के बाद जिला प्रशासन की तरफ से सरकारी जमीनों के खोज को लेकर चलाए गए अभियान में बड़ी चूक सामने आई है। पुलिस लाइन और इंजिनियरिंग मेडिकल कॉलेज के पास की जमीन के प्रकरण की सुनवाई करते हुए जहां मंडलायुक्त विंध्याचल मंडल ने यह माना है कि पक्षकारों को बगैर नोटिस, बगैर सम्मन, बगैर सुनवाई का अवसर दिए उनके नाम जमीन से खारिज कर दिए गए। वहीं हाईकोर्ट ने इसको गंभीरता से लेते हुए, संबंधित जमीन को सरकारी जमीन के रूप में दर्ज करने के आदेश के प्रभाव और क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों से जवाब तलब कर लिया है।

इसी तरह अभियान के तहत खारिज की गई लोढ़ी गांव की जमीन के मामले में भी हाईकोर्ट ने आदेश के प्रभाव और उसके क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। मंडलायुक्त को मामले की अपील की सुनवाई करने का आदेश दिया गया है। अपील के निस्तारण तक संबंधित जमीन पर नाम खारिज करने के आदेश का प्रभाव नहीं रहेगा।


बताते चलें कि उम्भा में हुए खूनी संघर्ष में जनजाति वर्ग के 10 लोगों की मौत हो गई थी। उस समय यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर कई दिनों तक सुर्खियों में बना रहा था। यहां जमीनों पर नाम दर्ज कराने और संबंधित समिति के संचालन में भी गड़बड़ी सामने आई थी। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री स्तर से सोनभद्र और मीरजापुर में समिति की जमीनों और गलत नामांतरण की जमीनों के खिलाफ अभियान चलाने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद जिला प्रशासन ने पूरे जिले में जमीनों की जांच शुरू कर दी।


तत्कालीन डीएम एस. राजलिंगम ने इसकी जिम्मेदारी अपर जिला अधिकारी योगेंद्र बहादुर सिंह को सौंपी थी। कम समय में काफी सरकारी जमीन खोज निकालने के लिए उन्हें पुरस्कृत भी किया गया था, लेकिन अब जब प्रशासन द्वारा लोगों के नाम खारिज कर सरकारी खाते में दर्ज की गई जमीन के मामले को उपर की अदालतों में चुनौती दी जाने लगी है तो बगैर नोटिस, बगैर सुनवाई ही आदेश पारित कर देने की बात सामने आने लगी है।

यह है पूरा मामला-केस नंबर एक

जिला प्रशासन ने जनवरी, 2020 में रौप ग्राम पंचायत में राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज और पुलिस लाइन के पास स्थित सौ बीघे से अधिक जमीनों के अभिलेखों की जांच की। अपर जिलाधिकारी द्वारा 14 जनवरी, 2020 को जिलाधिकारी को भेजी गई आख्या में अवगत कराया गया कि उक्त जमीनों पर बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के ही विभिन्न लोगों का नाम अंकित कर दिया गया। जमीन काफी कीमती भूखंड है। प्रविष्टियां छल कपट पर आधारित हैं। अंकित नामों को खारिज कर संबंधित जमीन को ग्राम सभा या राज्य सरकार के खाते में दर्ज करने की संस्तुति की। इस पर डीएम ने संबंधित जमीन पर अंकित नामों को फर्जी इंट्री बताते हुए 16 जनवरी, 2020 को तत्काल रिकार्ड दुरुस्त करने, दोषी कार्मिकों के खिलाफ एफआईआर कराने, विभागीय जांच कार्रवाई के लिए भी निर्देशित किया।




मामला मंडलायुक्त के पास पहुंचा तो वहां सुनवाई के दौरान पारित निर्णय में स्पष्ट रूप से माना गया कि बिना संबंधित पक्षों को नोटिस दिए, बिना साक्ष्य-सुनवाई का अवसर दिए आदेश पारित कर दिया गया। मंडलायुक्त ने 16 जनवरी, 2020 के आदेश को निरस्त कर फाइल एसडीएम कोर्ट को वापस कर दी, लेकिन प्रभावित पक्ष को लाभ नहीं मिला। तब इस प्रकरण को लेकर राजेंद्र प्रसाद पाठक ने अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि प्रश्नगत प्रकरण की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजय भनोट (Ajay Bhanot) की बेंच ने संबंधित भूभाग पर जिला प्रशासन के आदेश के प्रभाव और क्रियान्वयन दोनों पर रोक लगा दी है। 16 नवंबर को सुनवाई की अगली तिथि मुकर्रर की गई है। इस बीच सभी पक्षों से जवाब दाखिल करने को कहा गया है।

क्या है मामला-केस नंबर दो

इसी तरह के मामले को लेकर लोढ़ी ग्राम पंचायत निवासी अनीता सिंह एवं दो अन्य ने अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका के जरिए कहा गया कि बिना सुनवाई- साक्ष्य का अवसर दिए उनके नाम वाले जमीनों का अभिलेख संशोधित करने का आदेश पारित कर दिया गया है। याचिका में क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित करने की भी बात कही गई। अधिवक्ता अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि न्यायमूर्ति नीरज तिवारी (Neeraj Tiwari) की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त विंध्याचल मंडल को मामले की अपील की सुनवाई करने के लिए कहा है। अपील के निस्तारण होने तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया गया है।



\
Raghvendra Prasad Mishra

Raghvendra Prasad Mishra

Next Story