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Prayagraj News : माघ मेले का दूसरा स्नान पर्व आज, पौष पूर्णिमा स्नान पर्व पर कोरोना का ग्रहण

Prayagraj News : माघ मेले के दूसरे दिन कोरोना वायरस के बढ़ते मामले के कारण श्रद्धालुओं को भीड़ कम देखने को मिली।

Syed Raza
Report Syed RazaPublished By Ragini Sinha
Published on: 17 Jan 2022 11:36 AM IST (Updated on: 17 Jan 2022 12:22 PM IST)
Magh mela dusra din
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sonbhadra News : माघ मेले का दूसरा स्नान पर्व आज

Prayagraj News : माघ मेले (Magh mela) के दूसरे स्नान पर पौष पूर्णिमा के मौके पर कोरोना का ग्रहण (Corona virus) देखने को मिल रहा है। इस बार श्रद्धालुओं में वह उत्साह नहीं देखा गया, जो उत्साह हर साल देखा जाता था। देश में लगातार बढ़ रहे कोरोना मामले (Corona Virus cases in up) संख्या के कारण माघ मेले (Magh mela Second day) के दूसरे स्थान पर भीड़ ना के बराबर देखी जा रही है।

आज से ही कल्पवास (kalpvass) की शुरुआत है। आज के स्नान पर्व के साथ ही देश के कोने-कोने से आये श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के बाद 1 महीने तक संगम की रेती पर कल्पवास करते नजर आते हैं।


जो भी श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं उनका कहना है कि वह मां गंगा से प्रार्थना कर रहे हैं कि देश दुनिया से जल्द से जल्द कोरोना महामारी दूर हो और सामान्य जीवन एक बार फिर से लौट आए । आज के दिन से ही कल्प प्रवासी पितरों के मोक्ष और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति का संकल्प लेकर कल्पवास की शुरुआत करते हैं। यह कल्पवास पौष पूर्णिमा से लेकर माघी पूर्णिमा तक चलता है।


श्रद्धालु सुबह 4 बजे से ही आस्था की डुबकी लगा रहे है और कोरोना जैसी महामारी खत्म हो इसके लिए प्रार्थना कर रहे है। मेला क्षेत्र इस बार 640 हेक्टेयर के 6 सेक्टरों में बसाया गया है। कोविड के चलते स्नान घाटों का भी विस्तार किया गया है।


स्नान घाटों पर डीप वाटर बैरिकेडिंग की गई है औ पुलिस की भी तैनाती की गई है। संगम तट पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी तो लगा ही रहे है साथ ही माँ गंगा के गीत गाकर पूजा भी कर रहे है ।

पौष पूर्णिमा के स्नान के बाद से ही माघ महीने की शुरुआत हो जाती है। प्रयागराज में माघ के महीने में हर साल लाखों श्रद्धालु यहीं रहकर कल्पवास करते हैं। समूची दुनिया में कल्पवास सिर्फ प्रयागराज में त्रिवेणी के तट पर ही होता है। मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन से सभी तैंतीस करोड़ देवी-देवता भी संगम की रेती पर आकर एक महीने के लिए अदृश्य रूप से यहाँ विराजमान हो जाते हैं। मान्यताओं के मुताबिक़, संगम की रेती पर कल्पवास करने वाले को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन- मरण के बन्धनों से आज़ाद हो जाता है।

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Ragini Sinha

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