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UP Election 2022: राबर्ट्सगंज में जिसको मिली जीत उसकी बनी सरकार, इस बार उलझे हुए हैं समीकरण

UP Election 2022: राबर्ट्सगंज विधानसभा सीट (Robertsganj Assembly Seat) विस चुनाव 2022 के सियासी समीकरणों को लेकर चर्चा में है। पिछले दो दशक में यहां जीतने वाली पार्टी की उत्तर प्रदेश में सरकार बनने की स्थिति के कारण सियासी हल्कों में इस सीट का खासा महत्व है।

Kaushlendra Pandey
Report Kaushlendra PandeyPublished By Deepak Kumar
Published on: 15 Dec 2021 11:42 AM GMT (Updated on: 15 Dec 2021 11:43 AM GMT)
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UP Election 2022 Sonbhadra: कभी दस्यु गिरोह के सरगना रहे और बाद में विधायक बनने वाले घमड़ी सिंह खरवार को लेकर चर्चा में रह चुकी राबर्ट्सगंज विधानसभा सीट (Robertsganj Assembly seat) विस चुनाव 2022 (UP Election 2022) के सियासी समीकरणों को लेकर चर्चा में है। पिछले दो दशक में यहां जीतने वाली पार्टी की उत्तर प्रदेश में सरकार (Uttar Pradesh Government) बनने की स्थिति के कारण सियासी हल्कों में इस सीट का खासा महत्व है।

वर्षों तक भाजपा (BJP) की गढ़ रही इस सीट पर 2002 से 2017 के बीच सपा-बसपा का कब्जा रहा तो 2017 के मोदी लहर में फिर से भाजपा ने कब्जा जमा लिया, लेकिन इस बार न तो यहां पूरी तरह से मोदी मैजिक दिख रहा है और ना ही सीधे-सीधे बेस वोटरों का समीकरण। ऐसे में जहां भाजपा-बसपा (BJP-BSP) के सामने परंपरागत वोटरों को साधे रखने की चुनौती है। वहीं, सपा (SP) के सामने बैकवर्ड और फॉरवर्ड वोटरों में पैठ बनाए रखने की।

राबर्ट्सगंज विधानसभा के मतदाताओं के सामने चेहरा चमकाने की मची होड़

चुनावी रणभेरी बजने से पहले ही इस सीट के जातिगत समीकरणों ने चुनावी हालात दिलचस्प बना दिए हैं। सपा की तरफ से जहां पूर्व विधायक अविनाश कुशवाहा (Former MLA Avinash Kushwaha) की दावेदारी लगभग कंफर्म मानी जा रही है। वहीं भाजपा के मौजूदा विधायक भूपेश चौबे (BJP MLA Bhupesh Choubey) का टिकट उनके करीबी इस बार भी फाइनल रहने का दावा कर रहे हैं लेकिन भाजपा के ही अन्य लोगों की तरफ से हो रही टिकट की दावेदारी, सोशल मीडिया हैंडल, वॉल पेंटिंग और होर्डिंगों के जरिए राबर्ट्सगंज विधानसभा (Robertsganj Assembly seat) के मतदाताओं के सामने चेहरा चमकाने की मची होड़ को देखते हुए चर्चाओं का बाजार गर्म है। बसपा से अविनाश शुक्ला (Avinash Shukla from BSP) को टिकट का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। अंदरखाने कुछ और नामों पर भी चर्चा बनी हुई है। कांग्रेस की तरफ से दावेदारी को लेकर कोई खास तस्वीर सामने नहीं आई है।

चुनावी पंडितों के सामने बड़ा सवाल, क्या होगा इस बार का जिताऊ समीकरण?

घोरावल विधानसभा (Ghorawal Assembly) के मुकाबले राबर्ट्सगंज विधानसभा (Robertsganj Assembly) के जातिगत समीकरण इस बार ज्यादा उलझे हुए हैं। भाजपा (BJP) परंपरागत वोटरों को अपना मान कर चल रही है। वहीं कोरोना काल में व्यापारियों के उत्पीड़न और पार्टी से लेकर विभागीय महकमों में भी ब्राह्मणों के बड़े ओहदेदार होने के बावजूद, ब्राह्मणों में भविष्य को लेकर दिखती निराशा को सपा-बसपा अपने पक्ष में मान कर चल रही है। इनके बीच पैठ बनाने के लिए दोनों दलों के संभावित उम्मीदवार जी-तोड़ कोशिश भी कर रहे हैं। बसपा (BSP) को अपने परंपरागत वोटरों पर भरोसा है लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) को देखते हुए बसपा (BSP) इस बार परंपरागत वोटरों को सहेजे रखने में कितना कामयाब रहेगी? इसकी अटकलबाजी जारी है।

हाल के चुनावों में यह रही है स्थिति

2007 में दलित वोटरों के साथ ब्राह्मण मतदाताओं के मिले सपोर्ट ने बसपा उम्मीदवार सत्यनारायण चैनल (BSP Candidate Satyanarayan Channel) को जीत दिलाई। 2012 में बैकवर्ड फैक्टर के साथ ही ब्राह्मण और वैश्य मतदाताओं के एक बड़े तबके ने सपा के अविनाश कुशवाहा (SP Avinash Kushwaha) को पसंद किया। नतीजा परंपरागत वोटरों के साथ ही बैकवर्ड तबके के एक खेमे से अच्छा-खासा वोट मिलने के बाद भी बसपा उम्मीदवार को हार सहनी पड़ी और अविनाश पूर्वांचल के सबसे युवा विधायक के रूप में निर्वाचित हुए। 2017 में मोदी मैजिक ने सारे समीकरण तोड़ दिए और पिछली बार से ज्यादा मत हासिल करने के बावजूद अविनाश कुशवाहा (SP Avinash Kushwaha) को भाजपा के भूपेश चौबे (BJP's Bhupesh Choubey) से 30 हजार से भी अधिक वोटों से हारना पड़ा। बसपा से सुनील यादव (Sunil Yadav form bsp) को उम्मीदवार होने के कारण सपा के परंपरागत वोटों में भी सेंध लगी। लेकिन इस बार समीकरण बदले-बदले दिख रहे हैं। भाजपा को जहां परंपरागत वोटरों को साधे रखने की चुनौती है। वहीं अंतर्विरोध से समय रहते पार पाने की भी चुनौती है। जीत किस करवट बैठेगी? यह तो चुनाव परिणाम बताएगा। लेकिन चुनावी पंडितों और चट्टी चौराहों पर इसको लेकर बतकही शुरू हो गई है।

जिसको मिली जीत उसकी बनी सरकार

राबर्ट्सगंज विधानसभा सीट (Robertsganj Assembly seat) से जीतने वाली पार्टी की उत्तर प्रदेश में सरकार भी बनती रही है। 2007 में बसपा को यहां जीत के साथ ही पूर्ण बहुमत से प्रदेश में सरकार बनी। 2012 में यही स्थिति सपा और 2017 में भाजपा के साथ रही। इसको देखते हुए 2022 में भी पूरे जिले की निगाहें राबर्ट्सगंज विधानसभा (Robertsganj Assembly seat) पर टिकी हुई हैं।

राबर्ट्सगंज विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या

पुरुष-1,78,848

महिला-1,55,292

कुल-3,34,147.

कुछ यह बताए जा रहे जातिगत आंकड़े

ब्राह्मण: 50,000

दलित: 44,000

वैश्यः 30,000

अल्पसंख्यक-20,000

यादवः16000

कुशवाहाः 24000

पटेल: 21000 धांगरः1 6000

क्षत्रियः 14000

कनौजियाः 15000

चेरो- 8000

खरवार: 16000

बिंद,बियार,अगरिया: 25000

कायस्थ:7000

कुम्हार: 4000

नाई, गोंड़, अन्यः 24147.

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Deepak Kumar

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