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REAL से पहले REEL में हुआ था JNU एपिसोड, 3 साल पहले बनी थी फिल्म

Admin
Published on: 29 April 2016 11:47 AM GMT
REAL से पहले REEL में हुआ था JNU एपिसोड, 3 साल पहले बनी थी फिल्म
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Akanksha Singh Akanksha Singh

लखनऊ: अगर बात करें जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की तो इसके एपिसोड से तो आप सभी वाकिफ होंगे। कुछ ऐसी ही कहानी है 13 मई को रिलीज होने वाली फिल्म Buddha in a traffic jam की। ये फिल्म गैर सरकारी संगठनों, शिक्षावाद, और कॉलेजों में होती राजनीति को दर्शाती है।

ये फिल्म जेएनयू में हुए विवाद से पहले ही बन चुकी थी। इसे दादा साहब फाल्के फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म के लिए नॉमिनेट भी किया गया था। इस फिल्म के राइटर एंड डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री शुक्रवार को नवाबों के शहर लखनऊ में आए।

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पूरा का पूरा जेएनयू एपिसोड

-फिल्म के राइटर एंड डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने Newztrack को बताया कि फिल्म "Buddha in a traffic jam" पूरी की पूरी जेएनयू में हुए बवाल को दर्शाती है।

-उन्होंने बताया कि ये फिल्म उन्होंने तीन साल पहले बनाई थी।

-2014 में इसे सेंसर सर्टिफिकेट मिला तब लोग कहते थे अरे यार ये कैसी फिल्म बनाई है ऐसा होता है कहीं।

-लेकिन जब 2016 में सच में ऐसा हुआ तो लोगों ने उनसे कहा अरे वाह आप तो बहुत आगे की सोचने वाले राइटर हैं।

-इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे यूनिवर्सिटी के बच्चों के दिमाग में आतंकवाद की बाते डाली जाती हैं।

-गरीबी और भ्रष्टाचार में डूबे भारत को इस फिल्म में दर्शाया गया है।

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इससे है भारत को खतरा

-विवेक ने बताया की 2014 में ही उन्हें लग गया था कि भारत में सबसे बड़ा संकट बंदूकों का नहीं बल्कि बौद्धिक आतंकवाद का है।

-बौद्धिक आतंकवादी बनाए जा रहे हैं हिन्दुस्तान की यूनिवर्सिटीज में जो कि अब बौद्धिक युद्ध करेंगे।

हर बार एक नई सोच

-आप हर बार एक नई सोच के साथ फिल्म बनाते हैं इस बात पर वो बोले कि सब उनसे यही कहते है कि आपकी फिल्मों की थीम हर बार अलग ही होती है।

-उन्हें नई-नई बातें दर्शकों के सामने लाना पसंद है।

-वो नहीं चाहते हैं कि उनकी छवि एक ही टाइप की फिल्मों के लिए बने इसीलिए हर बार वो दर्शकों के सामने अलग थीम की फिल्म प्रस्तुत करते हैं।

-इस बार वो एक नई थीम के साथ ह्यूमन ड्रामा बनाना चाहते हैं।

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यूपी में लग जाती है भीड़

-उन्होंने बताया कि यूपी में फिल्म बनाने में समस्या ये हो जाती है कि फिल्म की शूटिंग देखने के लिए भीड़ बहुत हो जाती है।

-लेकिन वो पूरी कोशिश करेंगे कि यूपी में भी वो फिल्म बनाए।

ऐसे आया आइडिया

आपको इस फिल्म का आइडिया कहां से आया इस सवाल पर वो बोले कि उन्होंने काफी रिसर्च की और देखा कि हिन्दुस्तान में जिस तरह से युवाओं को तालिबान और आईएसआईएस वाले जिहादी और आंतकवादी बना देते हैं। उसी तरह स्टूडेंस को यूनिवर्सिटीज में आतंकवादी बनाया जा रहा है जैसे कन्हैया तो मुझे लगा कि ये बहुत बड़ा खतरा है हमारे देश पर और इसीलिए मैंने ये फिल्म बनाई।

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चाहते हैं फिल्म सिटी

-विवेक चाहते हैं कि लखनऊ में जल्द ही फिल्म सिटी बन जाए उनका मानना है कि यूपी में भी कई फिल्मों की शूटिंग होती है।

-अगर यहां एक फिल्म सिटी बन जाएगी तो शूटिंग करने में ज्यादा आसानी होगी।

-उन्होंने बताया कि अगर बात करें हिंदी फिल्मों की तो सिर्फ एक ही फिल्म सिटी है मुंबई में और वहां की भी भाषा मराठी है।

-इसीलिए एक फिल्म सिटी लखनऊ में भी होनी चाहिए क्योंकि यूपी में हिंदी ज्यादा बोली जाती है।

यूपी से भी है कनेक्शन

-उन्होंने बताया कि उनकी आधी से ज्यादा फैमली यूपी में ही है।

-वो खुद कानपुर के रहने वाले है।

-उन्होंने दिल्ली और अमेरिका से अपनी पढ़ाई की है।

-वो एडवरटाइजिंग में थे वहां से फिर वो फिल्म इंडस्ट्री में आ गए और मुंबई शिफ्ट हो गए।

जानिए क्या है Buddha in a traffic jam, कब होगी रिलीज

-Budhha in a traffic jam गैर सरकारी सगठनों, शिक्षावाद और भारत की राजनीति को उजागर करती कहानी है।

-यह फिल्म गरीबी और भ्रष्टाचार में डूबे भारत को दर्शाती है। 13 मई को ये फिल्म रिलीज होने वाली है।

दुनिया के बेस्ट बिजनेस स्कूल में शूट हुई मूवी

-ये इण्डिया की पहली मूवी है जो दुनिया के बेस्ट बिजनेस स्कूल इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में शूट हुई है।

-ये स्कूल हैदराबाद में है।

ये हैं इस फिल्म के कलाकार

-इस फिल्म में अरुणोदय सिंह, माही गिल, अनुपम खेर, पल्ल्वी जोशी और आंचल द्विवेदी नगर आएंगे।

इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी हुई प्रदर्शित

-मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2014 के साथ साथ अन्य समारोहों में इस फिल्म का प्रीमियर शो ऑर्गनाइज किया गया था।

-इसमें एक्टिंग के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड पल्ल्वी जोशी को मिला था।

-इसके आलावा दादा साहब फाल्के फिल्म फेस्टिवल में इसे बेस्ट फिल्म के लिए भी नॉमिनेट किया गया था।

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