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पूर्वांचल के मतदाताओं ने दिया भाजपा को गच्चा, इस बार दिया आप का साथ

पूर्वांचल से ताल्लुक रखने वाले मनोज तिवारी को भाजपा दिल्ली प्रदेश बनाने का दांव भी भाजपा के काम नहीं आ सका। चुनाव नतीजों से साफ है कि पूर्वांचल के मतदाताओं का समर्थन पाने में आप कामयाब रही और उसे इतनी भारी विजय हासिल हुई।

SK Gautam
Published on: 11 Feb 2020 8:23 PM IST
पूर्वांचल के मतदाताओं ने दिया भाजपा को गच्चा, इस बार दिया आप का साथ
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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार का एक बड़ा कारण पूर्वांचल के वोटर्स का गच्चा देना भी रहा। पूर्वांचल के जिन मतदाताओं ने पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा की झोली वोटों से भर दी थी, वे इस विधानसभा चुनाव में भाजपा से दूर छिटक गए। पूर्वांचल से ताल्लुक रखने वाले मनोज तिवारी को भाजपा दिल्ली प्रदेश बनाने का दांव भी भाजपा के काम नहीं आ सका। चुनाव नतीजों से साफ है कि पूर्वांचल के मतदाताओं का समर्थन पाने में आप कामयाब रही और उसे इतनी भारी विजय हासिल हुई।

मतदाता आप के पाले में खड़े नजर आए

दिल्ली के चुनाव में पूर्वांचल के मतदाताओं की बड़ी भूमिका होती है। 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल के मतदाताओं को समर्थन आप को ही मिला था। तभी आप उस चुनाव में 67 सीटें जीतने में कामयाब रही थी जबकि भाजपा के खाते में सिर्फ तीन सीटें आई थीं। 2016 में पूर्वांचल के मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए ही भाजपा ने मनोज तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। लोकसभा चुनाव में तो पूर्वांचल के मतदाताओं का समर्थन जरूर भाजपा को मिला मगर विधानसभा चुनाव में फिर ये मतदाता आप के पाले में खड़े नजर आए।

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पूर्वांचल के मतदाताओं की बड़ी भूमिका

एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में पूर्वांचल के मतदाता 25 से 30 सीटों पर गहरा असर रखते हैं। इनमें से 15 सीटें तो ऐसी हैं कि उनका समर्थन पाए बगैर जीत नहीं हो पाती। चुनाव नतीजों से साफ है कि आप पूर्वांचल के मतदाताओं के समर्थन के बल पर ये सीटें जीतने में कामयाब रही। भाजपा सिर्फ आठ सीटों पर ही जीत सकी। ये नतीजे इस बात का संकेत है कि भाजपा को उम्मीद के मुताबिक पूर्वांचल के मतदाताओं का समर्थन नहीं मिल सका। हालांकि जिन सीटों पर भाजपा को विजय मिली है वहां भी पूर्वांचल के मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है, लेकिन इतना तो साफ है कि भाजपा अन्य सीटों पर उनका समर्थन पाने में नाकाम रही। इस चुनावी नतीजे से पता चलता है कि 2015 की तरह इस बार भी पूर्वांचली वोटर्स ने आम आदमी पार्टी को ही अपना वोट दिया है।

सीएम के रूप में केजरीवाल पसंद

2019 के लोकसभा चुनाव के बाद सीएसडीएस ने पूर्वांचल के मतदाताओं पर एक सर्वे कराया था। इस सर्वे में लोकसभा के चुनाव में बीजेपी को वोट देने वाले 56 फीसदी पूर्वांचल के मतदाताओं में से 24 फीसदी ने कहा था कि वो राज्य विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी को वोट करेंगे। मतलब कि बीजेपी के आधे वोटर्स पहले से ही मन बना चुके थे कि वो 2020 के विधानसभा चुनाव में आप को वोट करेंगे। चुनाव के नतीजे इसकी ओर इशारा भी कर रहे हैं।

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नहीं काम आया नेताओं का चुनाव प्रचार

पूर्वांचल के मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए ही भाजपा ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत पूर्वांचल व बिहार के सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतारा। इन नेताओं ने हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया मगर हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद का मुद्दा भी पूर्वांचली मतदाताओं का दिल नहीं पिघला सका। केजरीवाल ने लगातार सकारात्मक चुनाव प्रचार और विकास के मुद्दों पर चर्चा करके पूर्वांचल के वोटर्स का समर्थन नहीं छिटकने दिया।

आप ने पूर्वांचल के सर्वाधिक उम्मीदवार उतारे

माना जा रहा है कि बिजली व पानी की मुफ्त सुविधा और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण भी पूर्वांचल का मतदाता आप के साथ खड़ा रहा। सरकारी स्कूलों की बेहतर हालत ने भी उसे आकर्षित किया। उसने केन्द्र में तो मोदी को समर्थन दिया मगर सीएम के तौर पर केजरीवाल ही उसकी पसंद थे। आप ने इस बार के चुनाव में सबसे ज्यादा 13 पूर्वांचली उम्मीदवार मैदान में उतारे थे जबकि भाजपा ने पूर्वांचल के आठ उम्मीदवार मैदान में उतारे थे।

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