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VP Singh Birth Anniversary: जून की दोपहर, लखनऊ की दलित बस्ती और धरने पर वीपी सिंह

VP Singh Birth Anniversary: दरअसल, लवकुश नगर में प्रशासन की ओर से कुछ अभियान चलाया जाना था। वीपी सिंह जी को जब ये पता चला तो वे दलित भाइयों और बहनों के लिए अस्वस्थ होने के बावजूद जून की भीषण गर्मी में धरने पर बैठ गए।

Raj Kumar Singh
Written By Raj Kumar Singh
Published on: 25 Jun 2024 8:56 AM GMT
VP Singh Birth Anniversary
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पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह (Pic: Social Media)

VP Singh Birth Anniversary: बात 2003 या 2004 के जून माह की है। तब मैं लखनऊ में एक रीजनल न्यूज़ चैनल में ब्यूरो चीफ था। भीषण गर्मी की उस दोपहर एक फ़ोन आया कि राजा साहब लखनऊ में कुकरैल बंधे के पास की दलित बस्ती लवकुश नगर में धरने पर बैठने जा रहे हैं। राजा साहब मतलब विश्वनाथ प्रताप सिंह। फ़ोन पूर्व पीएम वीपी सिंह जी के साथ रहने वाले एक सज्जन का था। तब वीपी सिंह जी को लखनऊ में राजभवन कॉलोनी में घर मिला हुआ था। मैंने कैमरामैन को लिया और निकल पड़ा। मुझे आश्चर्य भी हो रहा था कि इतनी भीषण गर्मी में कोई दिग्गज नेता कैसे धरने पर बैठ सकता है। और वह नेता जो डायलसिस पर रहता हो।

दरअसल, लवकुश नगर में प्रशासन की ओर से कुछ अभियान चलाया जाना था। वीपी सिंह जी को जब ये पता चला तो वे दलित भाइयों और बहनों के लिए अस्वस्थ होने के बावजूद जून की भीषण गर्मी में धरने पर बैठ गए। उन दिनों वे अस्वस्थ भी रहते थे और उनका रूटीन में डायलिसिस हुआ करता था। उनके साथ संभवतः राजबब्बर और दलित नेता श्यामलाल वाल्मीकि व दुर्गेश वाल्मीकि और युवा नेता जुगल किशोर वाल्मीकि भी थे। ख़ैर प्रशासन ने अपने पाँव वापस खींच लिए।


दलितों-पिछड़ों के लिए समर्पित थे वीपी सिंह

यह क़िस्सा सिर्फ़ इसलिए बता रहा हूँ ताकि पता चले कि उन दिनों बड़े नेता किस तरह जनता के लिए खड़े रहते थे। वह भी पूर्व पीएम विश्वनाथ प्रताप सिंह जैसे क़द्दावर नेता। आज के संदर्भ में यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गई है कि आजकल अधितकर नेता सोशल मीडिया पर ही पीड़ितों की लड़ाई लड़ लेते हैं। यह बात इसलिए भी लिख रहा हूँ ताकि ये पता चले कि पिछड़ों और दलितों को लेकर वीपी सिंह जी के मन में कितनी संवेदना थी। खास बात यह है कि तब तक वीपी सिंह जी सक्रिय राजनीति से अलग हो चुके थे और किसानों के लिए काम कर रहे थे। मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के कारण राजा मांडा विश्वनाथ प्रताप सिंह आज तक सवर्णों के निशाने पर रहते हैं। लेकिन विडंबना यह है कि जिस ओबीसी समाज को उनके फैसले लाभ हुआ वह भी उन्हें याद नहीं करता है। उनकी जयंती पर कोई बड़ा कार्यक्रम होता हो ऐसा मुझे याद नहीं है।


नेता के साथ साथ संवेदनशील कवि भी देश में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलाव के अगुवा वीपी सिंह एक कवि भी थे और उनकी इस कविता में आप उन्हें और उनका दर्द समझ सकते हैं।

मैं और वक्त

काफिले के आगे आगे चले

चौराहे पर…

मैं एक ओर मुड़ा

बाकी वक्त के साथ चले गए।

जयंती पर नमन।

Jugul Kishor

Jugul Kishor

Content Writer

मीडिया में पांच साल से ज्यादा काम करने का अनुभव। डाइनामाइट न्यूज पोर्टल से शुरुवात, पंजाब केसरी ग्रुप (नवोदय टाइम्स) अखबार में उप संपादक की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद, लखनऊ में Newstrack.Com में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। भारतीय विद्या भवन दिल्ली से मास कम्युनिकेशन (हिंदी) डिप्लोमा और एमजेएमसी किया है। B.A, Mass communication (Hindi), MJMC.

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