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यूपी में वाटर मैनेजमेंट को बनेगी जल उपभोक्ता समिति, करेगी नदियों का जल प्रबंधन
लखनऊ। यूपी में वाटर मैनेजमेंट के लिए जिला स्तर पर जल उपभोक्ता समिति का गठन किया जाएगा। यह नदियों के जल का प्रबंधन करेगी। प्रदेश में अभी यह समितियां उन जगहों पर बनायी जाएगी, जहां विश्व बैंक के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। बाद में प्रदेश भर में इन समितियों का गठन किया जाएगा। सरकार के छ: साल पूरे होने पर सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने अपने विभाग की उपलब्धियां गिनाते समय यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्ष से यूपी में जल उपभोक्ता समिति का गठन नहीं हुआ है। कुलाबा, रजवाहा और अल्पिका संघ का चुनाव दिसम्बर तक कराा जाएगा। जिलों में यह डीएम की देख रेख में होगा। मतदान में बैलेट पेपर का इस्तेमाल होगा। नहरों से सींच करने वाले किसान ही इसकी मतदाता होंगे।
मंत्री ने कहा कि समितियों के चुनाव होने से पानी का प्रबंध हो जाएगा। उन्होंने इसे समझाते हुए बताया कि जिन किसानों के खेत नहरों के आगे यानि हेड की तरफ होते हैं। वह बार—बार अपने खेत का पानी बदलते हैं। इसकी वजह से जिन किसानों के खेत नहरों के टेल यानि अंतिम छोर पर होते हैं। उन तक पानी नहीं पहुंच पाता है। इसके अलावा कई जगहों पर नहरों को बीच में ही काट दिया जाता है। यह समितियां पानी के इस तरह के कुप्रबंधन पर लगाम लगाएगी।
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पर्यटन या नगर विकास देखेगा गोमती रिवर फ्रंट का प्रबंधन
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि गोमती रिवर फ्रंट में गंदे पानी को साफ करने के अलावा जल्द ही इसमें पानी की कमी पूरी की जाएगी। इसके बाद इसका प्रबंधन पर्यटन विभाग या नगर विकास विभाग करेंगे। रिवर फ्रंट की जांच में अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर दी गई है। जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। मंत्री ने कहा कि सिंचाई विभाग की जिन जमीनों पर भूमाफियाओं का कब्जा है, जिन्होंने इन जमीनों पर शापिंग माल, सिनेमा घर और बारात घर बना लिए हैं। उन पर कार्यवाही करेंगे। ऐसे भूमाफियाओं को जेल भी भेजना हुआ तो जेल भेजेंगे।
सरयू नदी भारतीय सभ्यता का प्रतीक पर दर्ज नहीं दस्तावेजों में नाम
एक सवाल के जवाब में धर्मपाल सिंह ने बताया कि वह घाघरा नदी का नाम बदलकर सरयू रख रहे हैं। क्योंकि सरयू नदी भारतीय सभ्यता का प्रतीक है। पर दस्तावेजों में इसका नाम कहीं दर्ज नहीं है। राज्य मंत्रिपरिषद से पास कराकर यह प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा जाएगा।
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