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लापरवाह अधिकारियों को छोडूंगा नहीं, सख्त से सख्त होगी कार्रवाई: महेंद्र सिंह
जलशक्ति मन्त्री महेन्द्र सिंह सरयू नदी पर चल रहे बाढ़ को रोकने के काम का निरीक्षण करने बाराबंकी पहुँचे।
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के मंत्री महेंद्र सिंह बाराबंकी से होकर गुजरने वाली सरयू नदी पर चल रहे बाढ़ रोकने के काम का निरीक्षण करने पहुँचे। इस दौरान उन्होंने कुछ अधिकारियों को कार्य धीरे करने के लिए उनको दोषी मानते हुए उन पर सख्त से सख्त कार्यवाही करने की बात कही। जलशक्ति मंत्री ने कहा कि केवल बाराबंकी के लिए 53 करोड़ की परियोजना से काम हो रहा है और जनता को कोई दिक्कत न हो इसलिए वह कार्य का निरीक्षण करने के लिए आये हैं, लेकिन सवाल खड़ा होता है कि हर साल सरकार के मन्त्री बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा करते है और बड़ी - बड़ी बातें करके चले जाते है लेकिन बाढ़ का कोई स्थायी समाधान नही खोज पाते ऐसे में मंत्री जी का यह दौरा जो पूरे 5 साल तक होता रहा तो समाधान क्यों नही निकला ?
बाराबंकी की रामनगर और दरियाबाद विधानसभा यह ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ हर वर्ष बाढ़ का प्रकोप ग्रामीणों पर होता ही है और हर साल सरकार किसी भी पार्टी की रही हो उनके मन्त्री दौरा करने आते जरूर हैं । योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली भाजपा सरकार के मन्त्री का भी यह पाँचवा दौरा था और इस दौरे का फर्ज निभाने प्रदेश सरकार के जलशक्ति मन्त्री महेन्द्र सिंह आये । मन्त्री जी यहाँ बाढ़ को रोकने के लिए चल रहे कार्य का मौके पर पहुँच कर निरीक्षण कर रहे थे। उनके साथ विभाग के अधिकारी और सांसद विधायक मौजूद थे । कुछ जगहों पर कार्य की गति धीमी होने से मन्त्री जी का पारा भी चढ़ा और उन्हें चेतावनी और निर्देश दिए ।
निरीक्षण के बाद जलशक्ति मन्त्री महेन्द्र सिंह ने कहा कि उनकी सरकार गरीबो के साथ खड़ी है उनके सुख - दुख का हिस्सा है । केवल बाराबंकी में 53 करोड़ की परियोजना लाकर बाढ़ को रोकने के इन्तजाम किये जा रहे हैं । कुछ स्थानों पर काम ठीक चल रहा है और एक गाँव में काम काफी धीमा है जहाँ अधिकारियों को चेतावनी के साथ जल्द काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं । किसी भी दोषी अधिकारी को बख्शा नही जाएगा और सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी । जनता के काम में कोई कोताही बर्दास्त नही की जाएगी ।
मंत्री जी का दौरा तो हो गया लेकिन बाढ़ प्रभावित गाँवो की हालत में कोई सुधार हो पायेगा इसमें संसय है क्योंकि हर साल दौरा, हर साल केवल बाढ़ रोकने के नाम पर पैसे की बरबादी और बाढ़ आने के बाद बाढ़ राहत कार्य का शुरू होना उसमें पैसों की बरबादी होना और समस्या जस की तस । बाढ़ प्रभावित गाँव के ग्रामीणों का मानना है कि जितना पैसा हर साल बरबाद हो जाता है अगर दो साल का पैसा स्थायी समाधान खोजने में लगा दिया जाए तो बाढ़ की समस्या ही नही रहेगी । बाढ़ का समय आते ही ग्रामीणों की बरबादी और अधिकारियों , नेताओ के उत्सव शुरू हो जाते है । यह समय पैसे की बंदरबांट का होता है जो इनके लिए किसी उत्सव से कम नही होता ।