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'तालाब' पर बने हाईकोर्ट की बिल्डिंग के सामने घंटे भर की बारिश में बना 'तालाब'!

राजधानी में मानसून की पहली बारिश में ही नगर निगम की पोल खुल गई। घंटे भर की बारिश में सड़कों पर पानी भर गया।

tiwarishalini
Published on: 1 July 2017 3:08 PM GMT
तालाब पर बने हाईकोर्ट की बिल्डिंग के सामने घंटे भर की बारिश में बना तालाब!
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लखनऊ: राजधानी में मानसून की पहली बारिश में ही नगर निगम की पोल खुल गई। घंटे भर की बारिश में सड़कों पर पानी भर गया। गोमतीनगर स्थित हाईकोर्ट की लखनऊ खंड पीठ की बिल्डिंग के सामने तालाब बन गया। वैसे भी यहां के विजयीपुर, गुलाम हुसैनपुरवा और चौथा कंचनपुर मटियारी इलाके के 37 तालाबों पर विकास प्राधिकरण की मेहरबानी के चलते बड़ी-बड़ी इमारतें तामील हो गई हैं। इनमें से ही एक तालाब पर आला हुक्मरानों ने हाईकोर्ट की इमारत भी तामील करवा दी है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि आरटीआई के तहत इसका खुलासा हुआ है।

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बिल्डरों-अफसरों के गठजोड़ पर अदालती आदेश भी बेअसर

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2001 में हिंच लाल तिवारी बनाम कमला देवी तिवारी मामले में तालाबों के बाबत फैसले में कहा था कि प्रदेश भर में सभी वाॅटर बॉडीज को 1954 की स्थिति में लाया जाए। प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि 25 जुलाई 2001 के बाद वाॅटर बॉडीज पर कोई अनाधिकृत कब्ज़ा न हो। जिन लोगों ने भी वाटर बॉडी पर निर्माण कर रखा है, वह छह महीने के अंदर हटा लें, नहीं तो उन्हीं के खर्चे से निर्माण हटवाया जाए। लेकिन अफसरों और बिल्डरों के गठजोड़ पर अदालत के इस आदेश का असर भी बेअसर साबित हुआ।

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आरटीआई में बताते रहे जमीन रिक्त, उधर निर्माण होता रहा

आरटीआई एक्टीविस्ट अशोक शंकरन ने इसके खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी। लेकिन उस आवाज का हुक्मरानों के कानों पर कोई असर नहीं हुआ। अफसरों ने भी अपना उल्लू सीधा करने के लिए फाइलों को खूब घुमाया। जब इन तालाबों पर निर्माण कार्य चल रहा था तब हैरतअंगेज तरीके से आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना पर कहा जाता रहा कि जमीन खाली है और उस पर तालाब है।

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आरटीआई के जवाब में दी यह जानकारी

दरअसल, 6 अगस्त 2006 को लखनऊ के तत्कालीन उपजिलाधिकारी सदर मनोज राय ने जन सूचना अधिकार में मांगी गई जानकारी के जवाब में कहा कि ग्राम विजयीपुर, परगना तहसील और जिला लखनऊ में स्थित गाटा संख्या 52 अभिलेखों में तालाब अंकित है। मौके पर रिक्त है। आबादी, निर्माण या अवैध कब्जा भी नहीं है। जबकि अंधी आंखें भी वह गगनचुंबी इमारतें आज भी देख सकती हैं।

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26 हजार तालाबों पर अवैध कब्जे

वहीं राज्य सरकार के सर्वे में चौंकाने वाला तथ्य उजागर होता है कि कभी प्रदेश में 1,26,000 तालाब हुआ करते थे। इनमें से 26 हजार पर अवैध कब्जे हैं। हालांकि, इनमें से ज्यादातर कब्जे नगर निगम की सीमा में हैं और इन्हें बाकायदा विकास प्राधिकरणों अथवा नगर निगमो ने भूमाफियाओ अथवा बिल्डरों के हवाले कर दिया। जानकारों का कहना है कि अखिलेश सरकार में इस तरह के ज्यादातर अवैध निर्माणों का लैंडयूज चेंज भी कराया गया। इसके लिए बाकायदा शासनादेश जारी हुआ था।

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