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क्या होती है STF, SIT और LIU? जानिए ये इकाइयां कैसे करती हैं काम और अंतर

Difference Bw STF-SIT: पुलिस के अलावा किसी मामले की छानबीन और अपराधियों को पकड़ने के लिए कई अलग अलग तरह की विंग और इकाइयां तैयार की जाती हैं। जानिए ये कैसे काम करती है।

Snigdha Singh
Written By Snigdha Singh
Published on: 6 July 2024 4:48 PM IST (Updated on: 10 Aug 2024 6:26 PM IST)
Difference Bw STF-SIT
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Difference Bw STF-SIT

STF, SIT and LIU Difference: उत्तर प्रदेश पुलिस में कई अलग अलग तरह की इकाईयां होती हैं। इनके काम से लेकर सैलरी भी अलग अलग होती है। पुलिस में ये टीमें विशेष केस में अलग अलग तरह से काम करती हैं। किसी भी बड़े मामले में अपराधियों तक पहुँचने के लिए STF और मामले की तह तक पहुँचने के लिए SIT जैसी टीम गठित की जाती है। ये तीनों एक दूसरे के लिए भले ही काम करते हैं लेकिन इनमें बहुत अंतर होता है। आइए जानते हैं तीनों में क्या है फर्क?

क्या होती है STF

स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ), ये पुलिस विभाग की एक बेहद खास यूनिट होती है। उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग में एसटीएफ यूनिट का गठन विशेष कार्यों को पूरा करने के लिए किया गया था। प्रत्येक राज्य को एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाने और उसे भंग करने का अधिकार है। ये टीम मुख्य रूप से किसी विशेष उद्देश्य के लिए सक्षम पुलिस अधिकारियों का चयन कर बनाई जाती है। इस टीम को बनाने की वजह होती है कि एक महत्वपूर्ण आपराधिक या आपराधिक समूह को खत्म करना, या उग्रवाद या आतंकवाद विरोधी रणनीति के रूप में।



माफिया को खत्म करने के लिए यूपी में बनी थी एसटीएफ

वर्ष 1980 में पहली बार तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य में हाथीदांत शिकारी वीरप्पन से निपटने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई थी। उत्तर प्रदेश में 1998 में माफिया श्री प्रकाश शुक्ला को बाहर निकालने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स बनाई गई थी। श्री प्रकाश ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मारने के लिए सुपारी ली थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश में एसटीएफ ने कई बड़े अपराधियों को पकड़ा औऱ एनकाउंटर किया। इनमें विकास दुबे, अतीक अहमद का बेटा असद, पश्चिम का कुख्यात दुजाना जैसे अपराधियों के अपराध पर पूर्णविराम लगाया। उग्रवाद से निपटने के लिए, 1980 के दशक के अंत में पंजाब में इसी तरह की इकाइयाँ विकसित की गईं।

कब से आया SIT नाम, क्या है काम?

एसआईटी, इसका मतलब होता है Special Investigation Team। वर्ष 1984 के सिख दंगा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया है। ये टीम आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की जाती है। इसके अलावा ये टीम राज्य सरकार औऱ पुलिस विभाग द्वारा भी गठित की जा सकती है। इसमें अवकाश प्राप्त न्यायाधीश और कुछ विशेषज्ञ रखे जाते हैं। इसे ऐसी विशेष जांच एजेंसी माना जाता है, जो किसी भी दबाव में आए बगैर हाई प्रोफाइल मामलों या लोगों के खिलाफ जांच का काम करती है। इसकी जांच में हस्तक्षेप करने का अधिकार किसी के पास नहीं होता है। ये दल जांच एजेंसियों और प्रशासन के साथ जांच के मामले में सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकती है।



क्या होती है एलआईयू

एलआईयू (LIU) का मतलब Local Intelligence Unit यानी स्थानीय खुफिया इकाई। उत्तर प्रदेश पुलिस में ये खुफिया विभाग 1958 में शुरु किया गया। लेकिन उन दिनों इसे सुरक्षा शाखा कहा जाता था। जब इस इकाई की स्थापना हुई तब इसका उपयोग वीआईपी, वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा और संरक्षा का काम करती थी। धीरे-धीरे इसका काम बढ़ता गया और यह खुफिया विभाग बन गया। जानकारी के अनुसार 1958 में CID से अलग होने के बाद इसे खुफिया विभाग के तौर पर मान्यता दी गई। पुनर्गठन योजना में एलआईयू (LIU) का कार्यक्षेत्र तय किया गया। LIU के लिए अलग प्रशिक्षण की व्यवस्था भी है।



Snigdha Singh

Snigdha Singh

Leader – Content Generation Team

Hi! I am Snigdha Singh, leadership role in Newstrack. Leading the editorial desk team with ideation and news selection and also contributes with special articles and features as well. I started my journey in journalism in 2017 and has worked with leading publications such as Jagran, Hindustan and Rajasthan Patrika and served in Kanpur, Lucknow, Noida and Delhi during my journalistic pursuits.

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