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देवेंद्र चौधरी की वापसी के क्या हैं संकेत? काडर वापसी या बदलाव की आहट
Anurag Shukla
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत और नौकरशाही में कुछ भी अकस्मात नहीं होता। बात सत्ता केंद्रों से जुड़ी हो तो ये बात सोलह आने सच मानी जा सकती है। 1981 बैच के देवेंद्र चौधरी की वापसी इसकी सबसे ताजा नजीर पेश कर रही है। दरअसल, देवेंद्र चौधरी की मूल काडर में वापसी और मुख्य सचिव राजीव कुमार को लेकर अब सत्ता केंद्रों में चर्चा शुरू हो गई है।
कयास यह भी हैं, कि ये मूल काडर में वापसी राजीव कुमार और उनके मुख्य सचिव पद के लिए कुछ मायने रखते हैं। वैसे देवेंद्र चौधरी ने इस वापसी को निजी कारणों से होना बताया है।
क्यों लगाए जा रहे हैं कयास?
दरअसल, कमिश्नरी सिस्टम को लेकर राजीव कुमार के आदेश और फिर यू टर्न और अपने कई आदेशों को बदलने की कार्यशैली को लेकर अफसर अपने प्रमुख से नाखुश बताए जा रहे हैं। ऐसे में अचानक हुई देवेंद्र चौधरी की मूल काडर में वापसी ने इस आग को हवा दे दी है।
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केंद्र सरकार से भी है कुछ कनेक्शन
यूपी के सबसे बड़े अफसर के चयन में बहुत सोच-समझकर राजीव कुमार को यह ओहदा दिया गया था। इस ओहदे के मिलने के पीछे उनका पीएम मोदी की 'गुड बुक' में होना, एक कारण गिनाया जा रहा था। इन दिनों केंद्र सरकार में कैबिनेट सेक्रेटरी रैंक पर दो यूपी कैडर के आईएएस अनिल स्वरूप और राजीव कुमार का हक बन रहा है। इसके अलावा राजस्थान कैडर के एक अफसर भी दौड़ में है। ऐसे में राजीव कुमार अगर कैबिनेट सेक्रेटरी बन जाते हैं, तो अपने रिटायरमेंट के बाद उन्हें एक्सटेंशन भी मिल जाएगा। यही कारण है जो देवेंद्र चौधरी की वापसी और राजीव कुमार के विदाई की अटकलों को हवा दे रहे हैं।
देवेंद्र चौधरी ने निजी कारण बताया
देवेंद्र चौधरी ने इस तरह की किसी दौड़ या बदलाव से इनकार किया है। उनके मुताबिक, वे अपने रिटायरमेंट से तीन-चार महीने पहले ही लखनऊ आना चाहते थे जिससे वे रिटायरमेंट से पहले खुद को लखनऊ में सेटेल कर लें। ऐसे में वह निजी कारणों से ही मूल काडर में वापस आए हैं।
मिल सकती है अहम जिम्मेदारी
देवेंद्र चौधरी का आना दरअसल, यूपी के निवेश से जोड़कर भी देखा जा रहा है। फरवरी में उत्तर प्रदेश अपना निवेश को लेकर मेगा शो करने जा रहा है। माना जा रहा है, कि इस इनवेस्टर मीट में पीएम को भी आना है। यूपी सरकार इसे निवेश के द्वार खोलने वाले इवेंट की तरह पेश करने में जुटी है। ऐसे में देवेंद्र चौधरी की विशेषज्ञता का यूपी सरकार को लाभ मिलेगा। बहरहाल, सियासत में संकेतों के मायने होते हैं। कुछ नहीं, तो इस वापसी ने सत्ता के गलियारों का तापमान भीषण सर्दी में भी बढ़ा दिया है।