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What is BTC Course: बी.टी.सी. (बेसिक ट्रेनिंग सार्टिफिकेट) इस पाठ्यक्रम में प्रवेश मिल जाने के बाद युवाओं को नौकरी की लगभग गारन्टी तो मिल ही जाती है साथ ही साथ नौकरी पाने की अधिकतम आयु सीमा 50 वर्ष हो जाती है।

Yogesh Mishra
Published on: 27 May 2023 3:55 PM GMT

What is BTC Course: सरकार ने सभी के लिए शिक्षा परियोजना के तहत जहाँ देश से बेरोजगारी मिटाने का संकल्प किया है और इस पर विश्व बैंक परियोजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर रही है । वहीं दूसरी साक्षर बेरोजगारों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से सरकार चिन्तित भी है। लाख प्रयासों के बावजूद रोजगार के उतने अवसर नहीं पैदा किये जा सके हैं जितनी कि जरूरत है। यही कारण है कि देश में बेरोजगारी की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। इस समय उच्च शिक्षा प्राप्त लाखों युवा रोजगार कार्यालयों में नौकरी की तलाश के लिये दर्ज हैं। अब तक निश्चित रूप से तय हो गया है कि महज परम्परागत शिक्षा के बूते पर रोजगार ढूंढ पाना आसान काम नहीं है।

वैसे इस दिशा में सरकार ने भी प्रोफेशनल एजूकेशन और प्रोफेशनल एजूकेशन के तमाम पाठ्यक्रम आरम्भ किये हैं। प्रोफेशनल एजूकेशन की तो आज कल काफी मांग है। तमाम ऐसे पाठ्यक्रम भी हैं जिन्हें पूरा करने के बाद रोजगार की गारन्टी सी हो जाती है। ऐसा ही एक पाठ्यक्रम है बी.टी.सी. (बेसिक ट्रेनिंग सार्टिफिकेट) इस पाठ्यक्रम में प्रवेश मिल जाने के बाद युवाओं को नौकरी की लगभग गारन्टी तो मिल ही जाती है साथ ही साथ नौकरी पाने की अधिकतम आयु सीमा 50 वर्ष हो जाती है।

फरवरी-मार्च में बी.टी.सी. की परीक्षाएं

बी.टी.सी. में प्रवेश के लिए फरवरी-मार्च के माह में प्रदेश के सभी जिलों में परीक्षाएं आयोजित होती हैं। यह परीक्षा निदेशक, बेसिक शिक्षा द्वारा विज्ञापित स्थितियों के आधार पर ली जाती है। परीक्षा में बैठने के लिए 30 रूपये का पोस्टल आर्डर शुल्क के रूप में अभ्यर्थी से लिया जाता है। आवेदन फार्म सभी जिलों के बेसिक शिक्षा के अधिकारी कार्यालय में जमा किये जाते हैं। पूरे प्रदेश में यह परीक्षा एक निश्चित तिथि को एक साथ ली जाती है। इस परीक्षा की कॉपियां मण्डलों में जांची जाती हैं। एक मण्डल की कॉपी को दूसरे मण्डल में भेज कर परीक्षण कराया जाता है।

इस परीक्षा के बाद ‘ग्रेडेशन लिस्ट’ बनती है। ‘ग्रेडेशन लिस्ट’ में दो ‘केटेगरी’ होती है। एक सामान्य वर्ग की और दूसरी विज्ञान वर्ग की। पूरे प्रदेश में बी.टी.सी. ट्रेनिंग के लिए कुल 44 सौ सीटें हैं। आरक्षण नियमानुसार देय होता है। न्यायालय से तलाकशुदा महिलाओं को प्रवेश में ‘वेटेज’ मिलता हैं, इसके साथ ही शिक्षक/कर्मचारियों के आश्रितों को भी ‘वेटेज’ देने की सुविधा है। लेकिन यह ‘वेटेज’ लेक्चरर से नीचे पदों पर कार्य करने वाले कर्मचारियों/शिक्षकों के आश्रितों को ही मिलता है। इसके लिए अनिवार्य योग्यता इण्टरमीडिएट है। इण्टरमीडिएट प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को नौ-छह एवं तीन शैक्षणिक गुणवत्ता अंक दिये जाते हैं। एन.सी.सी. के ‘बी’ सर्टिफिकेट होल्डर को 10 नम्बरों का ‘वेटेज’ प्रदान किया जाता है। जिला, मण्डल तथा राज्य स्तर के खिलाड़ियों को भी 3, 5 और 10 अंकों का ‘वेटेज’ मिलता है। लेकिन यह ‘वेटेज’ कुल मिलाकर 10 अंकों से अधिक नहीं हो सकता।

उपरोक्त ‘वेटेज’ और मण्डल स्तर पर तैयार की गयी ‘ग्रेडेशन लिस्ट’ के आधार पर एक पद पर एक जगह के लिए तीन लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है। साक्षात्कार जनपद-स्तर पर आयोजित होते हैं और बेसिक शिक्षा अधिकारी साक्षात्कार के लेते हैं। साक्षात्कार के अंक फिर मण्डल कार्यालय को भेजे जाते हैं और मण्डल कार्यालय पर ही अन्तिम वरिष्ठता सूची तैयार की जाती है। इस आधार पर चयनित अभ्यर्थियों को प्रवेश के लिए ‘डायट’ भेज दिया जाता है। मेरठ, आगरा, लखनऊ एवं वाराणसी मण्डलों में 50-50 सीटें उर्दू अभ्यर्थियों के लिए भी हैं।

प्रदेश के किसी भी जिले में अगर कोई अभ्यर्थी उर्दू के साथ बी.टी.सी. ट्रेनिंग करना चाहता है तो उनके आवेदन फार्म को इन्हीं मण्डलों में भेज दिया जाता है। इन मण्डलों के कुछ जिले उर्दूदा लोगों की ट्रेनिंग के लिए निर्धारित किये गये हैं। बी.टी.सी. ट्रेनिंग दो वर्ष की होती है। प्रदेश के सभी जनपदों में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षा 200 अंकों की होती है, जिसमें 100 अंक शिक्षण अभिरूचि एवं 100 अंक शिक्षण अभिगम के होते हैं। प्रवेश परीक्षा के प्रश्न-पत्र ‘आब्जेक्टिव टाइप’ होते हैं। शिक्षण अभिरूचि एवं शिक्षण अधिगम के प्रश्न पत्रों में 100-100 सवाल होते हैं। प्रत्येक प्रश्न एक-एक नम्बर को होता है और सभी प्रश्न अनिवार्य होते है।

प्राप्त अभ्यर्थी को नौकरी वर्ष क्रम के हिसाब से मिलती है

बी.टी.सी. की उपाधि प्राप्त अभ्यर्थी को नौकरी वर्ष क्रम के हिसाब से मिलती है। पर्वतीय संवर्ग में उसी वर्ष अभ्यर्थियों को नौकरी मिल जाती है। पर्वतीय संवर्ग में नैनीताल में 60, अल्मोड़ा में 110 पिथौरागढ़ में 100, पौड़ी में 240, टेहरी में 200, चमौली में 230, उत्तरकाशी में 180, देहरादून में 180 सीटें होती हैं। कुछ जनपदों को छोड़कर सभी जगहों पर लगभग उसी वर्ष बी.टी.सी. वाले अभ्यर्थी को नौकरी मिल जाती है। इस तरह कहा जा सकता है कि बी.टी.सी. की उपाधि प्राप्ति अभ्यर्थियों को रोजगार की लगभग गांरण्टी सी होती है।

एक जिले का अभ्यर्थी अगर दूसरे जिले में नौकरी करना चाहता है, तो उसे अपने मण्डल के मण्डलीय सहायक शिक्षा निदेशक, बेसिक द्वारा अनापति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद ही वह दूसरे जनपद में नौकरी के लिए आवेदन कर सकता है। परन्तु दूसरे जनपद में जाने के कारण उस अभ्यर्थी की वर्षवार सबसे नीचे तय होगी। दो वर्ष के इस पाठ्यक्रम में पाठ्यक्रम शिक्षण एवं व्यवहारिक शिक्षण की ट्रेनिंग दी जाती है। बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट प्राप्त अभ्यर्थी कक्षा एक से कक्षा आठ तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए रख जाते हैं। बी.टी.सी. में व्यवहारिक पाठ्यक्रमों पर खासा ध्यान दिया जाता है। बच्चों को मानसिकता के आधार पर उनके पाठ्यक्रम, खेल-खेल में शिक्षा, ‘ज्वायफुल लर्निंग’ एवं बाल मनोविज्ञान पर आधारित होती है। इसमें प्रवेश पाने के लिए आयु सीमा 18 से 26 वर्ष है। परित्यक्ता महिलाओं को अधिकतम आयु सीमा में पांच वर्ष की छूट भी प्रदान की जाती है।

आजकल शिक्षा के क्षेत्र में लगातार हो रहे विस्तार और साक्षर करने के लिए आयी ढेर सी योजनाओं तथा ‘सभी के लिए शिक्षा’ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए ट्रेंड अध्यापकों की मांग बेहद बढ़ गयी है। इन स्थितियों को देखते हुए जहां लोगों को बी0ए0 और एल.टी. के प्रति रूझान बढ़ा है वहीं आज भी रोजगार की सुनिश्चितता के दृष्टिकोण से बी.टी.सी. को कोई सानी नहीं है। रोजगार प्राप्ति के लिए बेसिक टेªनिंग सार्टिफिकेट एक महत्वपूर्ण एवं महात्वाकांक्षी पाठ्यक्रम है।

( यह लेख मूल रूप से 1993 में प्रकाशित हुआ था। )

Yogesh Mishra

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