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Jawahar Bagh Violence: क्या है मथुरा गोली कांड, क्यों हुआ विवाद

Jawahar Bagh Violence: इस हिंसा में जहां दो पुलिस अधिकारी शहीद हो गए तो वहीं 27 कब्बाधारियों की भी मौत हो गई थी।

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Report Network
Published on: 8 Sept 2024 12:01 PM IST (Updated on: 8 Sept 2024 12:13 PM IST)
Jawahar Bagh Violence. Mathura
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Jawahar Bagh Violence. Mathura (Pic:Newstrack)

Jawahar Bagh Violence: 2 जून 2016 की उस काली शाम का वह मंजर कुछ लोगों के जीवन में ऐसा गम दे गया जिसे कभी भूलाया नहीं जा सकता। इसी दिन मथुरा का जवाहर बाग हिंसा की भीषण आग में जल उठा था। हर तरफ भगदड़, घबराहट, चीख पुकार, लोग किसी तरह अपनी जान बचाने की जद्दोजहद में थे। इस हिंसा में जहां दो पुलिस अधिकारी शहीद हो गए तो वहीं 27 कब्बाधारियों की भी मौत हो गई थी।

तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और थानाध्यक्ष संतोष यादव को जवाहर बाग को रामवृक्ष यादव के कब्जे से मुक्त कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन इस हिंसा में दोनों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

यहां एक बड़ी बात यह है कि इस हिंसा में मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव भी मारा गया, यह पुलिस अपने रिकॉर्ड में बता रही है। लेकिन कोई वैज्ञानिक आधार अभी तक नहीं है। पुलिस ने जिस शव को रामवृक्ष का बता उसका डीएनए लिया था, उसका मैच उसके बेटे के डीएनए से हो नहीं पाया था।

जनिए क्या था पूरा घटनाक्रम

-जवाहर बाग हिंसा का मुख्य आरोपी रामवृक्ष यादव गाजीपुर के गांव बाघपुर का रहने वाला था।

-2013 में रामवृक्ष ने स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह संगठन का गठन किया।

-11 जनवरी 2014 को मध्यप्रदेश के सागर जिले से उसने सत्याग्रह यात्रा शुरू की थी।

- फरवरी 2014 में रामवृक्ष यादव मथुरा पहुंचा और जवाहरबाग में दाखिल हुआ।

- 280 एकड़ के जवाहरबाग पर कब्जा कर लिया था।

-जवाहरबाग खाली कराने पहुंचे अफसरों को जवाहरबाग में बंधक बना लिया था।

-यही नहीं जवाहरबाग में उद्यान विभाग के कार्यालय पर भी अपना कब्जा कर लिया था।

- प्रशासन ने 1 जून 2016 को जवाहरबाग को खाली कराने के लिए प्लान बनाया था।

- 2 जून 2016 को जवाहरबाग खाली कराने पहुंचे थे तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी।

- 2 जून 2016 को हुई हिंसा में दो पुलिस अधिकारियों समेत 29 लोगों की मौत हो गई।

- 5 जून 2016 को मथुरा पहुंचे डीजीपी ने कहा था कि रामवृक्ष यादव मारा गया है।

- 6 जून को स्थानीय पुलिस ने भी दावा किया कि रामवृक्ष मारा गया है।

- 10 जून 2016 को शासन ने जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया।

- मार्च 2017 को हाईकोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश किए थे।

- जवाहरबाग हिंसा में 101 लोगों को जेल भेजा गया था।

- जेल में बंद तीन आरोपियों की बीमारी के चलते मौत हो गई।

- इस मामले में अभी तक 12 लोगों को जमानत मिल चुकी है।



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Ashish Kumar Pandey

Ashish Kumar Pandey

Senior Content Writer

I have 17 years of work experience in the field of Journalism (Newspaper & Digital). Started my journalism career on 1 April 2005 as a sub-editor from Dainik Bhaskar Jaipur. After that, on January 1, 2008, I worked as a sub editor in I- Next News Paper (Hindi Daily) till July 31, 2009. During this I handled the responsibility of the National Desk. From August 1, 2009 to September 13, 2010, worked in Amar Ujala on National Desk and City Desk in Bareilly and Moradabad as Senior Sub Editor. From 15 September 2010 to 31 October 2011, worked as Senior Sub Editor/Senior Reporter in Hindustan newspaper Bareilly. From November 1, 2011, worked in Gwalior on the post of Chief Sub Editor in Rajasthan Patrika Hindi daily newspaper. From July 1, 2017 to January 31, 2019, worked in Patrika Dotcom Hindi Web portal, Lucknow. Worked as News Editor in Amrit Prabhat from 1 February 2019 till 31 January 2021. During my career I got opportunity to work at General Desk, Sports, City Desk and have vast experience of journalism business. Whatever responsibilities were given, I accepted it with a challenge and performed it well. My Qualifications : - ‌MA Political Science from Gorakhpur University, Gorakhpur ‌PG Diploma in Mass Communication - Guru Jamveshwar University Hisar, Haryana My Interests: Reading, writing, playing, traveling. Interest in Media: Special interest in political news and also in the field of sports, crime, health etc.

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