Nazul land Bill: क्या है यूपी का नजूल बिल, जिसके विरोध में राजा भैया ने भी दिया बयान, जानें सब कुछ

Nazul land Bill: नजूल बिल को लेकर उत्तर प्रदेश की सियासय में हंगामा मचा है। जानिए नजूल विधेयक क्या है जिसे सबसे मजबूत मुख्यमंत्रियों में गिने जाने वाले सीएम योगी भी एक बार में कानूनी जामा नहीं पहना पाए।

Sidheshwar Nath Pandey
Published on: 2 Aug 2024 9:53 AM GMT
Nazul land Bill
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Nazul land Bill (Pic: Social Media)

Nazul land Bill: उत्तर प्रदेश का राजनीति में हाल-फिलहाल के दिनों में नजूल संपत्ति और नजूल बिल की चर्चा तेज हो गई है। समाजवादी पार्टी इस मामले को लेकर आर-पार के मूड में दिख रही है। मीडिया रिपोर्टस की माने तो यूपी सरकार और भाजपा संगठन में इस मुद्दे को लेकर मतभेद है। हालांकि, सीएम योगी आदित्यनाथ ने नजूल जमीन विधेयक (Nazul land Bill) को विधानसभा में पेश कर पास करा लिया है। मगर विधानपरिषद में मामला कुछ दिन के लिए फंस गया। इससे सरकार और भाजपा संगठन के बीच खींच-तान को बल मिला है। साथ ही विपक्ष को हमला करने का एक और मौका।

विधानपरिषद में फंसा मामला

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य जब विधानपरिषद में यह विधेयक (Nazul land Bill) पेश कर रहे थे तभी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधानपरिषद के सदस्य भूपेंद्र चौधरी ने विधेयक प्रवर समिति को भेजने की मांग कर दी। जिसपर विधानपरिषद के सदस्यों ने सहमति जताई। अब दो महीने बाद प्रवर समिति की रिपोर्ट आएगी। इसके बाद ही इसपर फैसला लिया जा सकेगा। तब तक सरकार के साथ-साथ सभी को इसका इंतजार करना होगा। मगर नजूल जमीन विधेयक क्या है जिसे सबसे मजबूत मुख्यमंत्रियों में गिने जाने वाले सीएम योगी भी एक बार में कानूनी जामा नहीं पहना पाए, आइए समझते हैं।


क्या है नजूल जमीन

नजूल का शाब्दिक अर्थ होता है वह भूमि जिसपर सरकार का अधिकार हो। नजूल जमीन (Nazul land Bill) वह जमीन होती है जिनका लंबे वक्त तक कोई वारिस नहीं मिलता। इस स्थिति में उस जमीन पर स्वत: ही सरकार का हक हो जाता है। ये मामला अंग्रेजों की हुकूमत के दौरान शुरु हुआ। उस वक्त अंग्रेज आम लोगों की जमीन भी जबरन कब्जा कर लेते थे। हालांकि आजादी के बाद हिंदुस्तान की सरकार ने उन जमीनों को उनके वारिसों को लौटा दी थी। जिनके वारिस नहीं थे वह जमीन सरकार के हिस्से में चली गई। इसी जमीन को नजूल जमीन कहा गया। सरकार ने इन जमीनों पर निर्माण कार्य कराए। कहीं अस्पताल बना तो कहीं अदालतें। मगर आज ऐसे सैकड़ों लोग हैं जिनका बसेरा सरकारी जमीन पर ही है।

क्या है नजूल जमीन विधेयक

नजूल जमीन को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने विधानसभा में नजूल जमीन (Nazul land Bill) विधेयक पेश किया। बिल पास भी हो गया। अब यह बिल विधानपरिषद में दो महीने के लिए अटक गया है। अगर विधानपरिषद में यह बिल पास हो जाता है तो यह कानून बन जाएगा। इस कानून में सरकार को नजूल जमीन का पूर्ण स्वामित्व मिल जाएगा। यानी सरकार नजूल जमीन की पूरी तरह मालिक हो जाएगी। वह उस जमीन पर जो चाहे कर सकेगी। फिलहाल सरकार का कहना है कि वह इन जमीनों पर विकास कार्य करना चाहती है। इन जमीनों पर पहले से निजी व्यक्तियों और संस्था का अधिपत्य है। अगर बिल पास हुआ तो नजूल प्रॉपर्टी पर निजी व्यक्तियों का स्वामित्व नहीं होगा। कानून बन जाने के बाद ऐसा करना दंडनीय होगा।


क्यों हो रहा विरोध

इस बिल का विपक्ष के साथ ही सरकार के लोग भी विरोध कर रहे हैं। इसके पीछे कई कारण हैं। सबसे प्रमुख है स्वामित्तव का जाना। बता दें कि नजूल जमीन पर मालिकाना हक पाने के लिए तमाम लोगों ने अदालत में आवेदन किया है। अगर बिल (Nazul land Bill) पास होता है तो यह सारे आवेदन अस्वीकार कर दिए जाएंगे। कई लोगों ने नजूल जमीन पर अधिकार पाने के लिए रकम भी जमा कर दी है। फ्रीहोल्ड के लिए सरकार को पैसा देना होता है। हालांकि सरकार ने कहा है कि बिल पास होने की स्थिति में पैसे को ब्याज दर पर वापस कर देगी। मगर कोई नजूल जमीन फ्रीहोल्ड नहीं कराई जाएगी।

पट्टाधारकों के लिए परेशानी

उन लोगों के लिए भी परेशानी होगी जिन्होंने जमीन लीज पर ली है। 2025 में लीज की अवधि समाप्त होने के बाद जितने दिन पट्टाधारक का जमीन पर कब्जा होगा उतने दिन की किराया देना होगा। जिलाधिकारी को किराया वसूलने का अधिकार होगा। वहीं जिन लोगों ने नजूल भूमि (Nazul land Bill) पर कोई निर्माण किया है उन्हें भी खाली करना होगा। इसके लिए सरकार ने मुआवजा देने का प्रावधान भी किया है। मगर अपना घर कौन छोड़ना चाहता है। इन शर्तों का उल्लंघन करने पर डीएम की सिफारिश पर पट्टा अवधि और उसका क्षेत्रफल कम करने या निरस्त भी किया जा सकता है। हालांकि, इसमें पट्टाधारक को भी पक्ष रखने का मौका दिया जाएगा। डीएम की कार्रवाई के बाद 30 दिन के भीतर पट्टाधारक सरकार से अपील कर सकेंगे।


गरमाई सियासत

इस मामले को लेकर सियासत का पारा भी चढ़ रहा है। सरकारी जमीन पर तमाम राजनीतिक लोगों के काम हो रहे हैं। इसके साथ यह सरकार का विरोध करने के लिए एक राजनीतिक मुद्दा भी है। सपा का कहना है कि एक ओर मोदी सरकार गरीबों को घर दे रही है दूसरी ओर आप ऐसी जमीनों पर रह रहे लोगों को उजाड़ रहे हैं। इस पर भाजपा के विधायक भी विरोध कर रहे हैं। सिद्धार्थनाथ सिंह और हर्षवर्धन वाजपेयी सहित अनुप्रिया पटेल ने इसका विरोध किया। अुनप्रिया पटेल ने कहा नजूल संपत्ति विधेयक (Nazul land Bill) को गैर जरूरी और जन भावना के खिलाफ करार दिया है। कहा कि इसे बिना विचार विमर्श के जल्दबाजी में लाया गया। उन्होंने इससे संबंधित अधिकारियों को दंड देने की मांग की।


राजा भैया का उदाहरण

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक और कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया (Raja Bhaiya) ने विधानसभा में इस बिल (Nazul land Bill) के विरोध में बयान दिया। उन्होंने विरोध कर रहे भाजपा विधायकों का समर्थन किया। राजा भैया ने विधानसभा में चर्चा के दौरान कहा कि, "मैं विरोध कर रहे भाजपा विधायकों के समर्थन में हूं। उन्होंने उदाहरण दिया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट भी नजूल जमीन पर बनी है। तो क्या इसे भी हटा दिया जाएगा? उन्होंने कहा कि इस बिल के गंभीर परिणाम होंगे।

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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