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What is NSA: UP बोर्ड के छात्र जान लें NSA के बारे में, नकल भूल से भी ना करें, कितनी कड़ी मिल सकती है सजा
NSA Kya Hai: फरवरी में शुरू हो रहे 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को पूरी तरह से नकलविहीन बनाने की यूपी सरकार की इस कवायद की काफी चर्चा हो रही है।
NSA Kya Hai: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बोर्ड परीक्षाओं में नकल करने वालों से बेहद सख्ती से निपटने का फैसला किया है। नकल करते पकड़े गए छात्रों के विरूद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा कानून -1980 (एनएसए) लगेगा। फरवरी में शुरू हो रहे 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को पूरी तरह से नकलविहीन बनाने की यूपी सरकार की इस कवायद की काफी चर्चा हो रही है। रासुका को बेहद सख्त कानून माना जाता है। तो आइए जानते हैं इस कानून के बारे में –
क्या होती है रासुका ?
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी रासुका एक ऐसा कानून है जिसमें यह प्रावधान किया है कि यदि किसी व्यक्ति से कोई खास खतरा नजर आता है तो उस व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है। अगर प्रशासन को लगता है कि किसी व्यक्ति की वजह से देश की सुरक्षा और सद्भाव को खतरा हो सकता है, तो ऐसा होने से पहले ही उस शख्स को रासुका के तहत हिरासत में ले लिया जाता है।
इन कानून का इस्तेमाल पुलिस कमिश्नर, जिलाधिकारी या राज्य सरकार कर सकती है। यदि सरकार को लगे कि कोई व्यक्ति बिना किसी मतलब के देश में रह रहा है और उसे गिरफ्तार किए जाने की जरूरत है तो उसे भी अरेस्ट किया जा सकता है। संक्षेप में कहा जाए तो यह कानून किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार करने का अधिकार देता है।
एनएसए कानून के प्रावधान ?
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के मुताबिक, संदिग्ध व्यक्ति को तीन महीने के लिए बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है और इसकी अवधि बढ़ाई भी जा सकती है। इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अधिकतम 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। इससे अधिक समय किसी भी हालत में संदिग्ध को जेल में नहीं रखा जा सकता। हिरासत में रखने के लिए संदिग्ध पर आरोप तय करने की जरूरत नहीं होती है।
गिरफ्तारी के बाद राज्य सरकार को बताना पड़ता है कि इस व्यक्ति को जेल में रखा गया है और उसे किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है। हिरासत में लिया गया संदिग्ध केवल उच्च न्यायालय के एडवाइजरी बोर्ड के सामने अपील कर सकता है। उसे वकील भी नहीं मिलता। सरकारी वकील कोर्ट को मामले से अवगत कराते हैं।
कब बना था कानून ?
एनएसए जैसा कठोर कानून लाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जाता है। इंदिरा गांधी 1971 में प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट यानी मीसा लेकर आई थीं। इमरजेंसी के दौरान इसी कानून के जरिए उन्होंने अपने राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाला था। 1977 में आई जनता पार्टी की सरकार ने इस कानून को रद्द कर दिया था। 1980 में इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री बनीं। तब उनकी सरकार ने 23 सितंबर 1980 को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को संसद से पारित कराया। राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद 27 दिसंबर 1980 को ये कानून बन गया।