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UP BJP President: बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा, आंकड़े बता रहे ब्राम्हण को मिलेगी गद्दी

UP BJP Next President: यूपी में अगला प्रदेश अध्यक्ष कोई ब्राह्मण या दलित चेहरा हो सकता है.

Rahul Singh Rajpoot
Published on: 12 April 2022 3:38 AM GMT
UP BJP next president
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यूपी में बीजेपी का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा 

UP BJP Next President: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 2.0 के गठन के बाद जिस बात की सबसे ज्यादा चर्चा चल रही है वह अगला बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा? इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि यह फैसला आलाकमान को करना है और लखनऊ से लेकर दिल्ली तक इस पर मंथन भी जारी है। कहा जा रहा है कि अगला प्रदेश अध्यक्ष कोई ब्राह्मण या दलित चेहरा हो सकता है. इन दोनों बिरादरी के नेता अपनी दौड़ भाग भी तेज कर दिए हैं।

मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ओबीसी समाज से थे अब उनके कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उनका अध्यक्ष पद से हटना तय है. क्योंकि बीजेपी में एक व्यक्ति एक पद का फार्मूला चलता है. स्वतंत्र देव सिंह के पास अब भारी-भरकम जल शक्ति मंत्रालय है. हालांकि उनका कार्यकाल जुलाई तक है उससे पहले यूपी बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष नया बन जाएगा.

ये रहे चार नाम

अब उसके बारे में बताते हैं जिसकी चर्चा खूब हो रही है. बीजेपी के पिछले चार लोकसभा चुनाव के रिकॉर्ड को देखें तो उस दौरान यूपी में प्रदेश अध्यक्ष कोई ब्राह्मण चेहरा ही रहा है.

1- लोकसभा चुनाव 2004- केशरीनाथ त्रिपाठी

2- लोकसभा चुनाव 2009- रमापति राम त्रिपाठी

3- लोकसभा चुनाव 2014- लक्ष्मी कांत वाजपेयी

4- लोकसभा चुनाव 2019 - महेंद्र नाथ पाण्डेय

ऐसे में इस बार भी कहा जा रहा है कि जब लोकसभा चुनाव 2024 का होगा तो कोई ब्राह्मण ही इस गद्दी पर बैठेगा। क्योकि पिछले चार लोकसभा चुनाव में ऐसा होता रहा है. अब यह सवाल उठता है कि वह ब्राह्मण नेता कौन होगा जिसे यूपी की गद्दी मिल सकती है। तो कुछ लोग कह रहे हैं कोई ब्राह्मण सांसद हो सकता है तो ब्राह्मण सांसदों के मन में लड्डू फूटने लगे कि आखिर किसका नंबर आने वाला है. तो सबसे पहले कन्नौज से सांसद बने सुब्रत पाठक और बुलंदशहर से सतीश गौतम का नाम का नाम आया. हालांकि गौतम शब्द जहां आता है तो लोग यह समझने लगते हैं कि कोई दलित चेहरा होगा. लेकिन सतीश गौतम ब्राह्मण हैं वह गौतम लिखते हैं.

इस पर तर्क यह चल रहा है की पूर्वांचल से मुख्यमंत्री आते हैं, डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी पूर्वांचल से ही हैं तो कुछ पश्चिम को भी मिलना चाहिए. हालांकि इस बार योगी कैबिनेट में सबसे ज्यादा मंत्री से ही बनाए गए हैं, लेकिन मंत्री की बात छोड़ दीजिए कुछ बड़ा भी वहां जाना चाहिए ऐसी चर्चाएं चल रही है.

इन दो बड़े नेता का नाम आ रहा सामने

ऐसे में इन दोनों बड़े नाम सुब्रत पाठक और सतीश गौतम की है. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि नहीं वह सांसद नहीं होंगे क्योंकि वह सांसद तो है ही ऐसे में संगठन के किसी बड़े नेता को जिम्मेदारी मिल सकती है। उसमें बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष एमएलसी विजय बहादुर पाठक का नाम सामने आ गया, एक और उपाध्यक्ष हैं जो अवध क्षेत्र के संगठन मंत्री हुआ करते थे ब्रज बहादुर उपाध्यक्ष हालांकि इससे पहले वह अपने नाम के आगे जाति नहीं लगाते थे लेकिन अब वह भी उपाध्याय लिखने लगे हैं. वह अपने आप को ब्राह्मण नेता बताने की कोशिश कर रहे हैं।

एक और नाम की चर्चा है जो संगठन से जुड़े हुए हैं पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा का, इस बार उन्हें योगी कैबिनेट में जगह नहीं मिली है. उनके बारे में या कहा जा रहा है कि वह शर्मा हैं शर्मा नाम से वह ब्राह्मण वाली फिलिंग नहीं आती जो पाठक, शुक्ला, उपाध्याय, मिश्रा, तिवारी, त्रिपाठी में आती है. इस ब्राह्मण नेताओं को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं.

'मायावती अपने सबसे बुरे सियासी दौर में पहुंच गई'

आप दलित चेहरे की बात करते हैं, हालांकि बीजेपी में कोई सेट फार्मूला नहीं होता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह हमेशा ऐसे फैसले करते हैं जो चौंकाने वाले होते हैं. उन्हें कौन क्या कह रहा है इससे मतलब नहीं होता वह अपने फैसलों को लेकर अडिग होते हैं और आलोचनाओं से नहीं डरते हैं. जो फैसला सुना देते हैं वह सब मान्य भी होता है. पिछले कुछ चुनावों में दलितों का बीजेपी के प्रति झुकाव बढ़ा है और इसका सबसे ज्यादा खामियाजा मायावती को भुगतना पड़ा है. 2022 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी पिछले 30 सालों में सबसे बुरे दौर से गुजरी है. उसके सिर्फ एक विधायक जीते हैं, बसपा का जो कैडर वोट बैंक भाजपा के साथ चला गया है. इस चुनाव नतीजे के बाद लोगों ने भविष्यवाणी करनी शुरू कर दी कि बसपा का अस्तित्व खत्म हो रहा है.

मायावती जिस जाटव समुदाय से आती हैं उसके 14 प्रतिशत वोट इस बार बीजेपी के खाते में चला गया. जिससे मायावती अपने सबसे बुरे सियासी दौर में पहुंच गई. अब इस हिसाब से लगता है कि दलितों को ख़ुश करने के लिए मोदी- शाह किसी दलित को प्रदेश अध्यक्ष बना सकते हैं, तो दलित नेता भी दिल्ली की दौड़ लगाना शुरू कर दिए हैं और अपनी गोटियां सेट कर रहे हैं कि हो सकता है प्रदेश अध्यक्ष का सेहरा उनके ही सिर बध जाये. इस तरह से उत्तर प्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर ब्राह्मण और दलित चेहरे के नाम तेजी से चल रहे हैं.

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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