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जानिए क्यों अयोध्या विवाद के पैनल से संतुष्ट नहीं हैं साधु संत?

राममंदिर मंदिर विवाद को लेकर सुलह समझौते को लेकर चल रहे प्रयासों को एक बार फिर झटका लग सकता है। क्योंकि साधु संत मामले के हल के लिए गठित किए पैनल से संतुष्ट नहीं दिख रहे।

Aditya Mishra
Published on: 3 Jun 2019 10:42 PM IST
जानिए क्यों अयोध्या विवाद के पैनल से संतुष्ट नहीं हैं साधु संत?
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प्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ : राममंदिर मंदिर विवाद को लेकर सुलह समझौते को लेकर चल रहे प्रयासों को एक बार फिर झटका लग सकता है। क्योंकि साधु संत मामले के हल के लिए गठित किए पैनल से संतुष्ट नहीं दिख रहे।

राम मंदिर मामले को लेकर अयोध्या में चल रही संतो की महत्वपूर्ण बैठक श्री राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ रामविलास दास वेदांती ने गठित किए गए पैनल पर कहा कि इसमे ऐसे लोगों को शामिल किया गया है जिनका अयोध्या से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें पैनल से हटाया जाना चाहिए।

पत्रकारों से बात करते हुए राम विलास वेदांती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले के लिए ऐसे लोगों को भेजा है जो इस देश के लिए खतरनाक है जिन्हें अयोध्या के इतिहास के बारे में जानकारी हों। जिन्हें अयोध्या के बारे में कुछ पता ही नहीं और सिर्फ भगवान राम की निंदा करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को समझौते की मुहिम में शामिल कर हिंदू धर्म का परिहास ना उड़ाया जाए।

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सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैया दास, रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ रामविलास दास वेदांती, रामवल्लभा कुंज के अधिकारी राजकुमार दास, दशरथ महल के बिंदुगद्दाचार्य, रंगमहल के महंत रामशरण दास, लक्ष्मणकिलाधीश महंत मैथिली शरण दास, बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेश दास शामिल हुए इसके अलावा विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष चंपत राय, केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह समेत कई नेता भी उपस्थिति थें।

इससे पहले भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पीएम मोदी से अनुरोध किया था कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में भूमि आवंटन करें और रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करें। मोदी को लिखे एक खत में स्वामी ने कहा कि सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिये जमीन आवंटन के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव सरकार ने 1993 में इसे अधिग्रहित कर लिया था।

स्वामी के अलावा द्वारका-शारदापीठ एवं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने फिर से नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद उसे पिछला वादा याद दिलाते हुए कहा कि अब इस सरकार को अयोध्या में भव्य और दिव्य राम मंदिर की स्थापना करने का वादा जरूर पूरा करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि बीजेपी के राम आदर्श महापुरुष हैं, जबकि हमारे राम आराध्य राम हैं। इसलिए संत चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण होना चाहिए।

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Aditya Mishra

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