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महिला ने दो साल बाद जीती 35 रुपए की जंग, फोरम ने सर्विस सेंटर को दिखाई औकात

aman
By aman
Published on: 27 Sept 2016 5:53 PM IST
महिला ने दो साल बाद जीती 35 रुपए की जंग, फोरम ने सर्विस सेंटर को दिखाई औकात
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कानपुर: जिले की एक महिला वकील ने पैंतीस रुपए की बेईमानी के लिए दो साल तक मुकदमा लड़ा और अपनी हक की लड़ाई जीत कर ही दम लिया। दो साल पहले उसकी स्कूटी का इंजन आॅयल बदलने के लिए सर्विस सेंटर वालों ने उससे एमआरपी से पैंतीस रुपए अधिक वसूले थे। पीड़ित का आरोप था कि सेंटर पर उससे जबरन वसूली की गई थी।

यूं तो पैंतीस रुपए के लिए केस लड़ने की बात पर शायद आपको हंसी आ जाए। क्योंकि ये रकम उतनी बड़ी नहीं है जो किसी के लिए मायने रखती हो। लेकिन कानपुर की एक महिला ने यह बात साबित कर दिया कि गलत को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए चाहे रकम कितनी भी छोटी ही क्यों ना हो।

आगे की स्लाइड्स में पढ़ें पूरी खबर ...

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ये है मामला?

-कानपुर के शारदा नगर में रहती हैं ममता चतुर्वेदी।

-मामला 21 जून 2014 का है। जब ममता अपने दुपहिया वाहन को सर्विस के लिए कंपनी के अधिकृत सर्विस सेंटर तिरुपति मोटर्स ले गई।

- वहां उनकी गाड़ी का इंजन आॅयल बदला गया।

-इसके लिए उन्हें 250 रुपए का बिल थमाया गया।

-ममता ने आॅयल के डिब्बे पर एमआरपी 215 रुपए अंकित होने की बात कही।

-इसके बाद उनके साथ कर्मचारियों ने अभद्रता की।

-सर्विस सेंटर पर अकेली महिला होने के कारण डर से उन्होंने पैंतीस रुपए अधिक की रकम अदा कर दी।

kanpur-2मामला गया उपभोक्ता फोरम में

-ममता ने बताया कि जब मैंने पूछा कि 'डिब्बे पर 215 रुपए लिखा है तो मुझसे 250 रुपए क्यों ले रहे हैं।'

-तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने कहा, 'आप 250 नहीं देंगी तो स्कूटी नहीं ले जा पाएंगी।'

-इसके बाद वे सभी ममता से बहस करने लगे। दबाव में उन्होंने भी बिल भर दिया।

-लेकिन उनके विरुद्ध उपभोक्ता फोरम में परिवाद दाखिल किया।

-परिवाद में कहा, 'यह सर्विस सेंटर लोगों से ज्यादा रुपए ऐंठते हैं, यह उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन है।'

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फोरम ने सुनाया एकपक्षीय फैसला

-कोर्ट में दो साल तक तारीख पर तारीख मिलती रही।

-इस दौरान तिरुपति मोटर्स की तरफ से अदालत के समक्ष कोई उपस्थित नहीं हुआ।

-आखिरकार फोरम ने एकपक्षीय फैसला सुनाया।

-फैसले में सर्विस सेंटर को ममता को पैंतीस रुपए दस प्रतिशत सालाना ब्याज सहित वापस करने और जुर्माने के पांच हजार भी अदा करने का आदेश दिया।

क्या कहना है वकील का?

इस मामले पर वकील मनोज बोस ने बताया कि कोई उपभोक्ता पर दबाव बनाकर उससे अधिक कीमत नहीं वसूल सकता। ममता ने इस मामले को उपभोक्ता फोरम में रखा। इस पर पेनाल्टी भी लगाई गई है।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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