×

कानून के बाद भी बढ़े तीन तलाक के मामले, यूपी सबसे आगे

महिला दिवस के मौके पर एक बार फिर देश में महिलाओं की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई है। महिलाओं पर बहस और उनकी वास्तविक स्थिति दोनों अलग विषय हैं।

raghvendra
Published on: 8 March 2021 6:06 AM GMT
कानून के बाद भी बढ़े तीन तलाक के मामले, यूपी सबसे आगे
X
Women Day

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र (Raghuvendra Prasad Mishra)

लखनऊ। महिला दिवस के मौके पर एक बार फिर देश में महिलाओं की स्थिति को लेकर बहस छिड़ गई है। महिलाओं पर बहस और उनकी वास्तविक स्थिति दोनों अलग विषय हैं। तभी तो सुरक्षा के लिहाज से महिलाओं की स्थिति दिन—बा—दिन बदतर होती जा रही है। समय के साथ—साथ समाज में व्याप्त कई कुप्रथाएं जैसे— बाल विवाह, सती प्रथा, दहेज उत्पीड़न आदि के खिलाफ आवाज उठीं और इसके खिलाफ कड़े कानून बने, जिसके चलते समाज में व्याप्त इस बड़ी समस्या से निजात पाया जा सका। इन सबके बावजूद भी तीन तीलाक जैसे घिनौने परंपरा के खिलाफ आवाज उठाने की हिमाकत किसी ने नहीं की।

परेशान करने वाले है तीन तलाक के आंकड़े

मुस्लिम वर्ग में व्याप्त तीन तलाक जैसी घिनौनी प्रक्रिया को सामप्त करने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के घाषणा पत्र में तीन तलाक को समाप्त करने की बात कही थी, जिसे सत्ता में आने के बाद उन्होंने पूरा भी किया। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि तीन तलाक के खिलाफ कानून बनने के बाद क्या इस पर रोक लग पाया है। इसका जवाब जानने के बाद आपको हैरानी होगी। क्योंकि आंकड़े जो हैं वह परेशान करने वाले हैं। कानून बनने के बावजूद भी तीन तलाक के मामलों के आने का सिलसिला अभी भी बदस्तूर जारी है।

Women Day

यूपी में तेजी से बढ़े मामले

कानून बनने के बाद भी उत्तर प्रदेश के कई ऐसे मामले हैं जहां तीन तलाक के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। आंकड़ों की मानें तो लखनऊ, मेरठ, बरेली और इलाहाबाद जिले ऐसे है जहां तीन तलाक के मामले बढ़े हैं। वहीं गोरखपुर, कानपुर और आगरा ऐसे जिले हैं जहां मामलों में कमी देखी गई है। तीन तलाक कानून के खिलाफ दर्ज केस में चार्जशीट फाइल करने में आगरा पुलिस सबसे आगे हैं। बता दें कि संसद की दोनों सदनों से मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 पारित होने के बाद। 30 जुलाई को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद तीन तलाक कानून ने कानूनी रूप ले लिया। मजे की बात यह रहा कि इस कानून के तहत 2 अगस्त, 2019 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में पहली एफआईआर दर्ज की गई थी।

इसे भी पढ़ें: Women’s Day: महिला डॉक्टर ने प्रग्नेंसी के दौरान किया ऐसा काम, सब कर रहे सलाम

परित्यकता महिलाओं के लिए यूपी में बने कानून

उत्तर प्रदेश में तीन तलाक पीड़ित और परित्यकता महिलाओं को राहत देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी पहल की है। यहां तीन तलाक पीड़ित और परित्यकता महिलाओं को छह हजार रुपये सालाना आर्थिक सहायता देने का प्रस्ताव पारित किया गया है। इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि पीड़ित महिलाओं को लाभ पाने के लिए आयसीमा की कोई बाध्यता नहीं है। पीड़ित महिलाओं को इसका लाभ पाने के लिए अत्याचार की एफआईआर या अदालत में भरण-पोषण का मुकदमा ही पर्याप्त होगा।

Women Day

फिलहाल इन आंकड़ों को देखकर यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मात्र कानून बना देने से हालात बदलने वाले नहीं है। जब तक इसके क्रियान्वयन की जवाबदेही तय नहीं की जाएगी, तब तक महिलाओं को इंसाफ मिलने की बात करना कोरी कल्पना करने से कम नहीं है। आज हम उस समाज में जी रहे हैं, जहां महिलाएं घर से लेकर बाहर तक खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। बावजूद इसके महिलाओं के हौसले बुलंद हैं और वह डटकर सामने के खतरों का मुकाबला कर रही हैं। तभी तो इन विषम परिस्थितियों के बावजूद महिलाएं हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।

इसे भी पढ़ें: लेखिका किक्की सिंह ने दी दिव्यांगता को मात, शरद पवार ने किया पुस्तक का लोकार्पण

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story