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महिला प्रधान ने ऐसे संवारा गांव का भविष्य, ये सविधाएं उपलब्ध करा बनाया माडर्न
यूपी के बाराबंकी जिले का एक गांव जहां की महिला ग्राम प्रधान ने गांव को मार्डन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, गांव में जगह-जगह पर सीसीटीवी कैमरे और इंटरनेट, वाईफाई और साफ-सुथरा पार्क जैसी हर सुविधा गांव में ही दे दी है।
बाराबंकी: यूपी के बाराबंकी जिले का एक गांव जहां की महिला ग्राम प्रधान ने गांव को मार्डन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, गांव में जगह-जगह पर सीसीटीवी कैमरे और इंटरनेट, वाईफाई और साफ-सुथरा पार्क जैसी हर सुविधा गांव में ही दे दी है।
महिला ग्राम प्रधान ने साइकिल बैंक की स्थापना करवाना पढ़ाई छोड़ चुकी बेटियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ सीसीटीवी कैमरे की सहायता से गांव के शोहदों की नाक में नकेल डालकर उन बच्चियों की मदद कर रही हैं जो दिन में भी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती थीं।
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हम बात कर रहे हैं लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले के विकास खंड मसौली में स्थित चंदवारा गांव की, जहां छेड़छाड़ के डर से तथा आर्थिक बदहाली और आने-जाने के सुरक्षित साधनों की कमी के चलते कई लड़कियां बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़कर घर बैठ गई थीं। इस गांव की प्रधान प्रकाशिनी जायसवाल ने ऐसी लड़कियों के लिए बहुत अच्छा काम किया है, जिसका अब गांव की सभी लड़कियों को फायदा मिल रहा है। उन्होंने इन बच्चियों के लिए एक साइकिल बैंक शुरू करवाया है।
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साइकिल बैंक का लाभ लेने वाली छात्रा दीपमाला ने बताया कि हम लोग पहले पैदल स्कूल जाते थे जिसकी वजह से हम देर से स्कूल पहुंचते थे और हमें वहां डांट पड़ती थी। डांट पड़ने पर काफी बुरा लगता था और एक समय ऐसा आया कि हमने स्कूल जाना बंद कर दिया। लेकिन फिर हमारी ग्राम प्रधान प्रकाशिनी जायसवाल ने एक साइकिल बैंक की स्थापना किया और हमारी जैसी लड़कियां जिन्होंने स्कूल जाना बंद कर दिया था, सभी ने अपनी आगे की पढ़ाई शुरू कर दी। अब हम लोग प्रतिदिन स्कूल जाते हैं और हमारा पढ़ाई में मन भी लगता है।
प्रकाशिनी जायसवाल की मेहनत से चंदवारा आज आदर्श गांव के रूप में अपनी पहचान बना चुका है। चंदवारा गांव की साफ-सफाई और यहां के स्कूल देखने लायक हैं। इस गांव को ओडीएफ घोषित किया जा चुकाहै। गांव के प्राइमरी विद्यालय किसी मॉडल स्कूल से कम नहीं हैं।
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पार्क तक की माडर्न सुविधाएं देने वाली गांव की महिला प्रधान की मेहनत किसी भी कीमत पर लड़कियों को शिक्षित बनाने की पहल रंग ला रही है। सुविधाओं की कमी के चलते अब गरीब बेटियां पढ़ाई से दूर नहीं रहेंगी। घर से दूर स्कूलों में जाने के लिए भी अब इनको किसी के सहारे की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इन बेटियों के गांव की प्रधान अपनी शानदार पहल से इनका भविष्य संवार रही हैं।
गांव की निवासी दीपमाला ने बताया कि गांव में आपराधिक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए हमारी प्रधान ने सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए हैं। गांव के छात्र रोहित बताते हैं कि उनकी प्रधान ने इंटरनेट, वाईफाई, पार्क जैसी हर सुविधा गांव में ही दे दी है जिससे हम लोगों को यह महसूस नहीं होती कि हम लोग गांव में रह रहे हैं कि शहर में, बिल्कुल शहर जैसा माहौल है।
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गांव के सरकारी स्कूल में शिक्षिका श्रुति सिंह के मुताबिक, ऐसी माडर्न सुविधा मिल जाने से यहां के बच्चों को किसी भी जरूरत के लिए बाहर नहीं जाना पड़ता। सारे काम गांव में ही हो जाते हैं। गांव में बच्चियों के लिए सुरक्षित माहौल है और बच्चों में पढ़ाई का अच्छा माहौल बना है।
वहीं, दूसरी तरफ, चंदवारा गांव को एकदम शहर की तरह माडर्न बनाने वाली ग्राम प्रधान प्रकाशिनी जायसवाल ने बताया कि जब हमने गांव में सर्वे कराया तो पता चला कि यहां बच्चियों की पढ़ाई एकदम रूकी हुई है। कुछ बच्चियां 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर में बैठ गईं तो कुछ ने 10वीं पास करने के बाद पढ़ाई बंद कर दी। जब हमने इन बच्चियों से बातचीत की तो पता चला कि वह पढ़ने की इच्छुक थीं, लेकिन आने-जाने की समस्या के चलते वह आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही थीं। फिर हमने कुछ समाजसेवियों की मदद ली और बच्चियों के लिए एक साइकिल बैंक बनाई।
उन्होंने कहा कि अब गांव की बच्चियों ने अपनी आगे की पढ़ाई फिर से शुरू कर दी और हमारे पास से साइकिलें लेकर जाती हैं। प्रकाशिनी जायसवाल ने कहा कि पढ़ाई से ही बच्चियों का भविष्य बनेगा। वह जब तक पढ़ना चाहेंगी हम उनकी मदद करते रहेंगे।
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प्रकाशिनी जायसवाल के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे लग जाने से गांव की लड़कियां अपने आप को सुरक्षित महसूस करती हैं। गांव की लड़कियां अब कभी भी कहीं भी जा सकती हैं। गांव में लड़कियों के साथ जो छेड़छाड़ की घटनाएं होती थीं, कैमरे लग जाने से वह भी अब नहीं होती। सीसीटीवी कैमरे के डर से ग्रामीण खुले में नशेबाजी नहीं कर पाते। उनके मन में डर है कि वह पकड़ जाएंगे।
प्रधान ने बताया कि इंटरनेट की सुविधा मिल जाने से गांव के बच्चों को बाहर नहीं जाना पड़ता। प्रकाशिनी जायसवाल ने बताया कि उनके गांव के लोग घर में ही शौचालय जाते हैं। बाहर जाने पर उनपर 200 रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। जिसके चलते गांव का माहौल भी काफी अच्छा और सुरक्षित बन गया है।