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विकास के मखमल पर टाट का पैबंद, ग्रामीणों की मजबूरी बना लकड़ी का पुल

Manali Rastogi
Published on: 19 Nov 2018 10:14 AM GMT
विकास के मखमल पर टाट का पैबंद, ग्रामीणों की मजबूरी बना लकड़ी का पुल
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बाराबंकी: केंद्र और प्रदेश की सरकारें गांव-देहात में सड़कों और पुलों का जाल बिछाने के बड़े-बड़े दावे करती हैं। योजनाओं की भरमार भी है। सड़कों का निर्माण भी हो रहा है। इसके बावजूद बाराबंकी जिले के ग्रामीण इलाके में मौजूद एक लकड़ी का पुल विकास का आइना दिखा रहा है। नदी के ऊपर बना दशकों पुराना लकड़ी का पुल लोगों के लिए जानलेवा बना हुआ है। क्योंकि इसी पुल के सहारे स्कूली बच्चे और ग्रामीण आते-जाते हैं और यहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।

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जहां एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकार हर तरफ विकास की बयार के दावे करती है, तो वहीं दूसरी तरफ जिले का एक गांव इस बात की तस्‍दीक करता है कि नेता केवल वोट मांगते समय लोगों को बड़े-बड़े सपने ही दिखाते हैं। क्योंकि जिले की तहसील रामसनेही घाट के शाहपुर गांव की हकीकत देखकर कोई भी यही कहेगा कि विकास नाम की चीज तो यहां से कोसों दूर है।

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दरअसल इस गांव से गुजरी कल्याणी नदी के ऊपर ग्रामीण दशकों से पुल की मांग करते-करते जब थक गए तो उनमें से एक शख्स के सब्र का बांध टूट गया। राम मगन नाम के इस शख्स ने पुल बनाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई और नदी के उपर एक लकड़ी का पुल बना डाला। यह पुल अब लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

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गांव की कल्याणी नदी लोगों का कल्याण तो कर रही है लेकिन सरकारें जनता का कल्याण करने को राजी नहीं। यह क्षेत्र बीजेपी विधायक सतीश शर्मा का है। इस क्षेत्र के ग्रामीणों को इसी बात का दुख है कि विधायक की पार्टी की सरकार होने के बावजूद वह लोग अब भी मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर हैं।

यहां के ग्रामीणों ने बताया कि उन लोगों ने नेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों से लगातार पुल की मांग की, लेकिन कहीं उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद लोगों की परेशानी को देखते हुए गांव के राम मगन ने अपने खर्चे और मेहनत से नदी पर एक लकड़ी के पुल का निर्माण किया।

वहीं जिस राम मगन ने यह पुल बनाया है, अब उसकी रोजी-रोटी भी इसी से चल रही है। यह पुल 50 से 60 गांवों को जिला मुख्‍यालय से जोड़ता है, जिसके चलते रोज करीब हजारों लोग उसपर से गुजरते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय के छात्र, किसान और अन्‍य ग्रामीण मजबूरी में अपनी जान जोखिम में जालकर इस पुल से गुजरते हैं, क्योंकि अगर वह घूमकर दूसरी तरफ से तहसील मुख्यालय की तरफ जाएंगे तो उन्हें करीब किलोमीटर घूमकर जाना पड़ेगा। जिसमें समय और पैसे दोनों ज्यादा खर्च होंगे।

लेकिन इस पुल ने यह दूरी काफी कम कर दी है। वहीं राम मगन ने बताया कि इस पुल से मोटरसाइकिल लेकर गुजरने वालों से 10 रुपए, साइकिल वालों से 5 रुपए और पैदल वालों से 3 रुपए लेते हैं। इसके अलावा जो लोग रोज इस पुल से आते-जाते हैं, उनसे 6 महीने में अनाज मिलता है। इस तरह से मिथलेश के परिवार का खर्च चलता है।

वहां इस समस्या को लेकर जब हमने दरियाबाद विधानसभा सीट से विधायक सतीश शर्मा से सवाल किया तो उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से इस तरह के जितने भी पुल हैं, जहां पर सालों से समस्याएं हैं। उनका मुख्यमंत्री नें संज्ञान लिया है। उसी क्रम में दरियाबाद विधानसभा में आने वाले इन पुलों को लेकर स्वीकृति मिलने वाली है। शाहपुर के पुल की समस्या को लेकर भी सीएम योगी को जानकारी दी गई है, बहुत जल्द इस समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा।

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