TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

करोड़ों रुपए खर्च के बाद हाल बेहाल: काम अधूरा, लोकार्पण पूरा

raghvendra
Published on: 9 July 2023 3:55 PM IST
करोड़ों रुपए खर्च के बाद हाल बेहाल: काम अधूरा, लोकार्पण पूरा
X

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर: गोरखपुर में करोड़ों रुपए खर्च करके के कराए गए विकास कार्यों के झटपट लोकार्पण हो रहे हैं। उपलब्धियों को गिनाया जा रहा है। इन सबके बीच इस बात की अनदेखी हो रही है कि जिन विकास कार्यों का लोकार्पण किया जा रहा है क्या वे काम पूरे भी हुए हैं? क्या उनकी क्वालिटी संतोषजनक है? जल्दबाजी में ऐसे प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण हो रहा है जो अधूरे हैं। जिनका निर्माण घटिया है। उस फोरलेन का लोकार्पण किया गया है जिसकी गिट्टी महीने भर में उखड़ी जा रही है। ऐसे पुल का लोकार्पण हो रहा है जिसका एप्रोच धंस रहा है।

गोरखपुर में पिछले 30 महीनों में विकास कार्यों की लंबी फेहरिस्त नजर आती है। पर, ऐसे कार्यों की भी लंबी फेहरिस्त है जिनकी गुणवत्ता सवालों के घेरे में है। मिसाल के तौर पर, लोकसभा चुनाव से पहले अफसरों ने प्रधानमंत्री मोदी से गोरखपुर में 60 करोड़ से बने ऑटोमेटिक दुग्ध प्लांट का लोकार्पण कराया था। पराग के इस अत्याधुनिक प्लांट को लेकर दावा किया गया था कि इसकी क्षमता प्रतिदिन एक लाख लीटर दूध उत्पादन की है। अब हाल ये है कि नया प्लांट दूध के अभाव में ठीक से चालू नहीं हो पा रहा है। जरूरत के एक लाख लीटर दूध के सापेक्ष बमुश्किल 10 हजार लीटर दूध की ही उपलब्धता है। अफसरों ने नए प्लांट के बारे में न तो किसानों से संपर्क साधा न ही उन्हें समय से भुगतान का भरोसा ही दे सके। अत्याधुनिक प्लांट को चलाने के लिए तकनीकी रूप से दक्ष कर्मचारियों की तैनाती भी नहीं हो सकी। आलम यह है कि आज ये प्लांट बमुश्किल 12 करोड़ रुपए का ही दूध बेचता है। बाई प्रोडक्ट के नाम पर भी पराग के पास कुछ नहीं है। इसके उलट प्राइवेट दूध उत्पादक फैक्ट्रियों में प्रतिदिन डेढ़ लाख लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है।

अखिलेश यादव की सरकार ने सर्किट हाउस से एयरपोर्ट तक फोरलेन सडक़ निर्माण की घोषणा की थी। नई सरकार बनने के बाद फोरलेन सडक़ निर्माण और बिजली के खंभों की शिफ्टिंग आदि पर 120 करोड़ रुपए से अधिक का खर्चा हुआ। अफसरों ने बीते 4 अगस्त को मुख्यमंत्री से आधी-अधूरी सडक़ का लोकार्पण भी करा दिया। हालत ये है कि सडक़ के बीच से न तो अभी बिजली के पोल हटाने का काम पूरा हुआ है न ही डिवाइडर ही मानक के अनुरूप बन सका है। घटिया निर्माण का आलम यह है कि मोहद्दीपुर चौराहे से लेकर गुरुंग तिराहे तक सडक़ की गिट्टियां उखड़ गई हैं। गुरुंग तिराहे के चौड़ीकरण में बाधक बने पांच मकानों को अभी तक नहीं हटाया जा सका है। इन मकानों का मामला कोर्ट में पहुंच चुका है और हाल फिलहाल इस मामले में फैसला आने की उम्मीद नहीं दिख रही है। घटिया निर्माण का आलम ये है कि रामगढ़ झील पर बने पुल का एप्रोच भी धंस गया है। पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता एसपी सिंह का कहना है कि पोल शिफ्टिंग का काम पूरा कर लिया जाएगा। जल्द कानूनी दिक्कतों को दूर कर सडक़ चौड़ीकरण का काम पूरा कर लिया जाएगा।

लोकार्पण के बाद वेंटीलेटर पर अस्पताल

अगस्त 2017 को बीआरडी मेडिकल कालेज के ट्रॉमा सेंटर में 10 बेड के आईसीयू का लोकार्पण हुआ। हाल ये है कि लोकार्पण के 2 साल बाद भी पूरी व्यवस्था वेंटिलेटर पर दिख रही है। आईसीयू के लिए पूरे स्टाफ की तैनाती नहीं हो सकी है। टीबी के मरीजों के लिए बने 6 बेड के आईसीयू को ठप कर जैसे-तैसे ट्रामा सेंटर के आईसीयू को संचालित किया जा रहा है।

इस साल फरवरी में जिला महिला अस्पताल के बगल में 100 बेड के मैटरनिटी विंग का लोकार्पण किया गया था। उस वक्त दावा किया गया था कि यहां 24 घंटे सर्जरी से लेकर एनआईसीयू (न्यूयोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) की सुविधा उपलब्ध होगी। आज हकीकत ये है कि जिला अस्पताल की इमरजेंसी को बंद कर मैटरनिटी विंग की इमरजेंसी को संचालित किया जा रहा है। अभी तक केन्द्रीयकृत ऑक्सीजन प्रणाली भी ठीक से विकसित नहीं हो सकी है। अस्पताल में न तो जनरेटर की सुविधा है, न ही एक भी सफाईकर्मी की तैनाती है।

आधा-अधूरा म्यूजिकल फाउंटेन

पिछले दिनों रामगढ़ झील में करीब 10 करोड़ रुपए से विकसित म्यूजिकल फाउंटेन का लोकार्पण किया गया था। अभी तक ये तय नहीं हो सका है कि फाउंटेन को कौन संचालित करेगा। जल निगम के अधिशासी अभियंता रतन सेन सिंह ने पिछले दिनों दावा किया था कि झील में बोटिंग, म्यूजिकल फाउंटेन से लेकर खेल गतिविधियों को जापानी कंपनी तोशिबा संचालित करेगी। यह कंपनी फिलहाल कहां है, अधिकारी ये बताने की स्थिति में नहीं हैं।



\
raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story