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मजदूरों की मौत पर 'ठाठ '
राजकुमार उपाध्याय
लखनऊ : मजूदरों के कफन के सौदे का खेल नौकरशाही में लम्बे समय से खेला जा रहा है। लाभार्थी मजूदरों की मौत की संख्या में इजाफा ऊंची कुर्सियों पर बैठे हुक्मरानों की सदाशयता का नतीजा नहीं है, बल्कि उनकी मौत पर मिलने वाली आर्थिक सहायता के बंदरबांट का है। इस खेल में मजदूरों की मौत के बाद उनका पंजीयन कराकर अनुग्रह राशि बांट ली जाती है।
हालांकि अभी सिर्फ सुल्तानपुर जिले में उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड के तहत संचालित मृत्यु एवं विकलांगता सहायता योजना में 40 लाख रुपए का घोटाला सामने आया है। घोटाले का खुलासा भी कुछ महिलाओं की शिकायत पर हुआ। विभागीय सूत्रों के मुताबिक इसी तर्ज पर आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, अलीगढ़, कासगंज, इलाहाबाद, संतकबीरनगर, बांदा, हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, गोण्डा, बलरामपुर, श्रावस्ती और बहराइच में मजदूरों की मौत पर इस योजना के तहत जिन लोगों को लाभ दिया गया है। इनमें ज्यादातर मामलों में सिर्फ कागजी खानापूर्ति की गई है। यदि तफ्तीश की जाए तो हर जिले में यह खेल मिल जाएगा।
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सुल्तानपुर में ऐसे हुआ घोटाला
सुल्तानपुर के सहायक श्रमायुक्त कार्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने दलालों की मिलीभगत से मजदूरों के कफन का पैसा खा लिया। यहां 40 लाख का घोटाला उजागर हुआ है। यदि श्रम महकमे में पंजीकृत किसी मजदूर की मौत हो जाती है तो उसे दो लाख की सहायता देने का प्रावधान है। यह पैसा मृतक के आश्रितों के खाते में जाता है। पर यहां पैसा मृतक के आश्रित के नाम से जारी तो हुआ पर उसके खाते में नहीं जाकर महकमे के खास लोगों के खाते में चला गया।
विशेष सचिव ने जताई घोटाले की आशंका
विभागीय अधिकारी ही जिलों में ऐसे घोटाले की आशंका जता रहे हैं। संगीता सिंह, विशेष सचिव श्रम/सचिव, उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने प्रदेश के सभी डीएम को पत्र लिखकर ऐसी आशंका व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि जिलों में होने वाली समीक्षा बैठकों में अधीनस्थ श्रम कार्यालय द्वारा बोर्ड की योजनाओं में किए जाने काम की व्यापक समीक्षा की जाए। संगीता सिंह ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि बोर्ड की योजनाओं की प्रभावी मानीटरिंग के लिए अपर जिलाधिकारी स्तर के किसी अधिकारी को नामित करें ताकि अपात्र व्यक्ति को अनुचित लाभ न मिले।
कैसे मिल सकता है योजना का लाभ
दुर्घटना के बाद लाभार्थी को हुई स्थायी अपंगता/ विकलांगता की दशा में निर्धारित प्रारूप-1 में आवेदन पत्र दो प्रतियों में दुर्घटना घटित होने की तिथि से 1 साल की अवधि में निकटतम श्रम कार्यालय एवं संबंधित तहसील में जमा कर सकते हैं। इसके अलावा संबंधित विकास खंड कार्यालय में खंड विकास अधिकारी को दिया जा सकता है। इसकी एक प्रति आवेदक को दी जाती है।
क्या है मृत्यु एवं विकलांगता सहायता योजना
योजना के तहत निर्माण कार्य करते समय यदि श्रमिक की मौत हो जाए या वह अपंग हो जाए तो पीडि़त श्रमिक या उसके आश्रित परिजनों को सहायक धनराशि देने का प्रावधान है। कार्य स्थल पर दुर्घटना की स्थिति में अपंग होने पर श्रमिक को तीन लाख और सामान्य मृत्यु या कार्यस्थल से बाहर दुर्घटना की स्थिति में श्रमिक की मृत्यु होने पर आश्रित को दो लाख रुपए देने का प्रावधान है। योजना के तहत सभी पंजीकृत लाभार्थी कर्मकार या उनके आश्रितों जैसे कि पति/पत्नी, अविवाहित पुत्रियां, अवयस्क पुत्र या आश्रित माता-पिता को सहायता दी जाती है। पंजीकृत निर्माण श्रमिक की किसी दुर्घटना में मौत हो जाने पर 1 लाख रुपए की तत्काल सहायता देने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त 4 लाख की धनराशि सावधि जमा के रूप में आश्रितों को दी जाती है। तीन लाख रुपए स्थायी पूर्ण अपंगता या विकलांगता की स्थिति में और दो लाख रुपये स्थायी आंशिक अपंगता या विकलांगता पर बतौर अनुग्रह के रुप में देने की योजना है। सामान्य मृत्यु के अन्य कारणों में आश्रितों को एक लाख रुपए की सहायती देने की योजना है।