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World Environment Day 2022: पेडों के कटान से हो रही तापमान में वृद्धि, पड़ेगा बुरा असर

Meerut Latest News : विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day 2022) के मौके पर मेरठ के तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में पर्यावरण सरंक्षण पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया।

Sushil Kumar
Written By Sushil Kumar
Published on: 5 Jun 2022 11:01 AM IST (Updated on: 5 Jun 2022 11:01 AM IST)
World Environment Day 2022
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World Environment Day 2022 environmental protection program in Tilak School of Journalism and Mass Communication Meerut (Image Credit : Social Media)

Meerut News : यदि हमने पर्यावरण के सरंक्षण पर ध्यान नहीं दिया और पर्यावरण प्रदूषण को दूर करने के लिए उपाय नहीं किए तो मानव सभ्यता के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो सकता है। आज वायु, जल व भू प्रदूषण बढता ही जा रहा है। कीटनाशक उर्वरक का प्रयोग जमीन की उर्वरा शक्ति को घटाने के साथ ही उसमें कई प्रकार के रसायन छोड देता है। जोकि फसलों और फलों में प्रकट होते हैं और उनके सेवन से कई प्रकार की बीमारियां भी पैदा होती हैं। यह बात विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day 2022) की पूर्व संध्या पर तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में पर्यावरण सरंक्षण पर एक व्याख्यान का आयोजन के दौरान वनस्पति विज्ञान के शिक्षक डॉ0 अशोक ने कही।

प्लास्टिक से बढता खतरा

डॉ0 अशोक कुमार ने कहा कि प्लास्टिक का बढता प्रचलन हम सभी के लिए खतरा है। पॉलीथिन को जिस प्रकार से गाय और भैंस खा रही है उनकी जान को भी खतरा पैदा हो रहा है। खाद्य पदार्थ की पैकिंग भी हम सभी के लिए खतरनाक हैं। एक अध्ययन से यह पता चला है कि मछलियों का सेवन भी हानिकारक हो रहा है, क्योंकि उनमें प्लास्टिक और पॉलीथिन के अपशिष्ट मिल रहे है और खतरनाक रसायन मछलियों को खाने वालों के लिए जान का खतरा बन रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से जल की बरबादी हो रही है वह भी चिंता का विषय है। आज के समय में जल की समस्या वैश्विक समस्या है। मांसाहारी भोजन के लिए अत्यधिक जल की आवश्यकता होती है। जल को संचय करने के लिए वैश्विक स्तर पर लोगों को मांसाहारी भोजन न करने की सलाह दी जा रही है।

जल का संचय आवश्यक

डॉ0 अशोक कुमार ने कहा कि भारत विश्व के 2,4 जमीनी हिस्से से पर स्थित है। जबकि जल की मात्रा हमारे पास 4 प्रतिशत है। जनसंख्या के दृष्टिकोण से हमारी 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसीलिए अन्य देशों की तुलना में हमारे लिए जल का संचय अत्यधिक आवश्यक है। जिस तरीके से हाईवे को बनाने के लिए पेडों का कटान किया जा रहा है, उससे स्थिति और गंभीर हो गई है। पेडों के कटान से जहां तापमान में वृद्धि हो रही है साथ ही इससे ग्लेशियर पर पिघल रहा है। जिस कारण से अचानक बाढ और तूफान हम सभी के लिए खतरा बन रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग से ओजोन की परत को नुकसान हो रहा है, जिससे पराबैंगनी किरणें हम लोगों तक सीधे पहुंच रही हैं। जिससे स्किन कैंसर की बीमारी का खतरा बढता जा रहा है।

मेरठ के तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में पर्यावरण सरंक्षण पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में आवश्यकता हैं पेडों को लगाने। जिससे ऑक्सीजन की मात्रा में वृद्धि हो सके और वातावरण में शुद्ध वायु हमें मिल सके। यदि हमें शुद्ध वायु मिलेगी तो अस्थमा या अन्य फेफडों की बीमारियों से बचा जा सके। इस अवसर पर विभाग के विद्यार्थी सावन कुमार ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 मनोज कुमार श्रीवास्तव ने किया। तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रो0 प्रशांत कुमार ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर अजय मित्तल, लव कुमार अमरीश पाठक आदि मौजूद रहे।



Bishwajeet Kumar

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