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पर्यावरण की समस्याएं आज पूरे विश्व के लिये चिन्ता का विषय: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

राज्यपाल ने कहा कि कोरोना संक्रमण ने मानव समाज के समक्ष जो असामान्य परिस्थितियां उत्पन्न की हैं, उनमें अन्य चुनौतियों के साथ पूरी दुनिया के लोग वेदना व भय से ग्रस्त हैं।

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Newstrack NetworkPublished By Shashi kant gautam
Published on: 5 Jun 2021 6:05 PM IST
Project Era Transformation Global Summit-2021
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प्रोजेक्ट युग परिवर्तन वैश्विक शिखर सम्मेलन-2021 में बोलती हुईं राज्यपाल आनंदी बेन पटेल 

World Environment Day: आज "विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)" के अवसर पर राजभवन से डिफाइण्ड वैलूज कन्सलटेंट प्रा. लि., दिल्ली द्वारा आयोजित 'प्रोजेक्ट युग परिवर्तन वैश्विक शिखर सम्मेलन-2021' विषयक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसमें उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि- "परिवर्तन प्रकृति का एक शास्वत नियम है। समय एवं आवश्यकताओं की दृष्टि से परिवर्तन होना सृष्टि से सामंजस्य बनाने की महत्वपूर्ण कड़ी है। कालान्तर में जो चीजें आवश्यक थी, वह आज नहीं हैं, इसी प्रकार जो आज है, वह भविष्य में आवश्यक होगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता है। राष्ट्रीय परिस्थितियों और स्थायी विकास प्राथमिकताओं के आधार पर हो रहे बदलाव और परिवर्तनों को सभी को स्वीकार करने के साथ उसमें अपना-अपना योगदान देना चाहिए।"

राज्यपाल ने कहा कि कोरोना संक्रमण ने मानव समाज के समक्ष जो असामान्य परिस्थितियां उत्पन्न की हैं, उनमें अन्य चुनौतियों के साथ पूरी दुनिया के लोग वेदना व भय से ग्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में हमारे बोलने, लिखने, सोचने और समझने में संकट से उपजे दास्तान ही हावी रहते हैं। इसके बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था के अन्तर्गत समाज में चिन्तन और विमर्श की निरंतरता बनी रहती है। राज्यपाल ने कहा कि आज का यह 'प्रोजेक्ट युग परिवर्तन वैश्विक शिखर सम्मेलन-2021' इसी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने कहा कि इस संसार में कोई संकट आसन्न नहीं है। हमारे अपने विचार ही हमारे मित्र हैं। इस दृष्टि से विचार ही वे बीज हैं, जिनका फल मनुष्य को मिलता है।

विज्ञान ने वरदान के साथ प्रदूषण को भी बढ़ा दिया है-राज्यपाल

उन्होंने कहा कि विज्ञान के वरदानों ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है। विज्ञान का प्रभाव मानव की मानसिक शांति, पारिवारिक जीवन एवं सामाजिकता वाले पक्ष पर भी पड़ा है। विज्ञान ने वरदान के साथ प्रदूषण को भी बढ़ा दिया है। उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस की चर्चा करते हुए कहा कि पर्यावरण की समस्याएं आज पूरे विश्व के लिये चिन्ता का विषय है। इस समस्या से न केवल मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, वनों, जंगलों, पहाड़ों, नदियों सभी के अस्तित्व के लिये भी घातक सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि अनियोजित विकास एवं मानव की लालची प्रवृत्ति ने जिस प्रकार प्रकृति का शोषण एवं दोहन किया है, उसका परिणाम यह है कि आज पूरी सृष्टि ही खतरे में पड़ गई है।

विज्ञान के वरदानों ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है-आनंदीबेन पटेल

राज्यपाल ने कहा कि कोरोना ने मानव के समक्ष समस्याएं तो उत्पन्न की हैं लेकिन अपने परिवेश और पर्यावरण के प्रति सचेत भी किया है। भारतीय जीवन पद्धति प्रकृति की रक्षा के विज्ञान पर आधारित है, जिसे विश्व ने भी माना है। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विज्ञान के वरदानों ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है। विज्ञान का प्रभाव मानव की मानसिक शांति, पारिवारिक जीवन एवं सामाजिकता वाले पक्ष पर भी पड़ा है। विज्ञान ने वरदान के साथ प्रदूषण को भी बढ़ा दिया है। उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस की चर्चा करते हुए कहा कि पर्यावरण की समस्याएं आज पूरे विश्व के लिये चिन्ता का विषय है।

मानव की लालची प्रवृत्ति के कारण आज पूरी सृष्टि ही खतरे में पड़ गई है-आनंदीबेन पटेल

इस समस्या से न केवल मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि यह पशु-पक्षियों, जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों, वनस्पतियों, वनों, जंगलों, पहाड़ों, नदियों सभी के अस्तित्व के लिये भी घातक सिद्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि अनियोजित विकास एवं मानव की लालची प्रवृत्ति ने जिस प्रकार प्रकृति का शोषण एवं दोहन किया है, उसका परिणाम यह है कि आज पूरी सृष्टि ही खतरे में पड़ गई है। राज्यपाल ने कहा कि कोरोना ने मानव के समक्ष समस्याएं तो उत्पन्न की हैं लेकिन अपने परिवेश और पर्यावरण के प्रति सचेत भी किया है। भारतीय जीवन पद्धति प्रकृति की रक्षा के विज्ञान पर आधारित है, जिसे विश्व ने भी माना है।



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Shashi kant gautam

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