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बनारस घराने के फेमस तबला वादक लच्छू महाराज पंचतत्व में विलीन
वाराणसी: सुप्रसिद्ध बनारस घराने के तबला वादक और एक्टर गोविंदा के मामा नारायण लच्छू महाराज शुक्रवार सुबह पंचतत्व में विलीन हो गए। छोटे भाई जय नरायन सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पहले घुघरानी गली स्थित पैतृक आवास से शव यात्रा निकली। दलेर मेंहदी के भाई शमशेर मेहंदी भी मणिकर्णिका घाट पहुंचे। दोपहर बाद बॉलीवुड एक्टर गोविंदा भी यहां पहुंच सकते हैं।
पं. लच्छू जी महाराज का 72 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से बुधवार रात निधन हो गया था। तबीयत खराब होने के बाद परिजनों ने उन्हें महमूरगंज स्थित एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराया था, लेकिन डॉक्टरों के कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका था।
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परिजनों के मुताबिक वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। लगभग दो दर्जन से अधिक देशों में अपने कला की प्रस्तुति दे चुके लच्छू जी महाराज न सिर्फ काशी का ही बल्कि अपने कला के दम पर विश्व में भारत का भी परचम लहरा चुके हैं।
- शमशेर मेंहदी ने बताया कि उन्हें लच्छू महाराज से मुंबई में कई बार तबले के गुण सीखने को मिले।
- वह कॉमर्शियल आर्टिस्ट नहीं, बल्कि संगीत के बड़े साधक थे।
- जब 10 साल पहले दलेर काशी आए थे, तो उन्हें दर्शन पूजन करना था।
- तब महाराज ने कहा था कि मंकी कैप लगा लो, वरना संगीत प्रेमी बनारसी भीड़ लगा लेंगे।
- इसके बाद दलेर ने मंकी कैप पहनकर पूरे काशी में घूमे थे।
लच्छू महाराज के भाइयों ने क्या कहा?
- लच्छू महाराज के भाई आरपी सिंह और जय नारायण सिंह ने बताया कि हम 12 भाई-बहन थे।
- गोविंदा बचपन में अकेले में बैठकर तबला सीखता था और महाराज जी के अभ्यास से काफी प्रभावित रहता था।
- ऐसे ही दलेर मेंहदी ने संगीत के गुण सीखें हैं।
- हम उन्हें हमेशा याद करते रहेंगे।