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लल्लू को कोठे पर जाकर मिली एड्स की सौगात, आप ना करना कभी ऐसी भूल
वाराणसी: 'विश्व कठपुतली दिवस' के मौके पर वाराणसी के एक संस्कृति समूह ‘सृजन कला मंच’ द्वारा एक संकल्प रैली का आयोजन किया गया। यह रैली एक सभा में उस वक्त तब्दील हो गई जब एक कठपुतली नाटक ‘लल्लू की भूल’ का मंचन किया गया। इस नाटक के माध्यम से लोगों को एड्स जैसी खतरनाक बिमारी के खिलाफ जागरूक किया गया।
नाटक की कहानी
इस नाटक में भयानक संक्रामक बीमारी एड्स के ऊपर प्रहार करते हुए संदेश देने की कोशिश की गयी कि कैसे एक आदमी गांव से शहर की ओर पलायन करता है। और शहर की चकाचौध जिंदगी ने उसे अंधा कर दिया। यहां वह कोठे पर जाता है कोठे जाने के बाद धीरे–धीरे बीमार होने लगता है। फिर वापस अपने गांव आ जाता है।
उसकी पत्नी दवा–दारू, ओझा बाबा के पास भी ले गई फिर भी उसमें कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद वह अपने पति को डॉक्टर के पास ले गई। वहां पर डॉक्टर के चेकअप से पता चला कि लल्लू को एड्स हो गया है। उसकी पत्नी को डाक्टर साहब कहते है कि आप अपना भी चेकअप कराए। एड्स का नाम सुनते ही सब भौचक्के रह गये। डाक्टर ने बताया कि उचित खान-पान एवं नियमित दवा के सेवन से आदमी लंबा एवं खुशहाल जीवन जी सकता है।
कब से मनाया जाता है विश्व कठपुतली दिवस
इस अवसर पर सृजन कला मंच के निदेशक मिथिलेश दुबे ने कहा कि विश्व कठपुतली दिवस की शुरुआत 21 मार्च 2003 में फ़्रांस में की गई थी। विश्व कठपुतली दिवस भारत सहित विश्व के अन्य देशो में भी धूमधाम से मनाया जाता है। इस कला को जीवित रखने का प्रयास हम सभी लोगो को करना चाहिए हमारा उद्देश्य इस अति प्राचीन लोक कला को जन–जन तक पहुचाना तथा आने वाली पीढ़ी को इससे अवगत करना है।
कौन-कौन रहा मौजूद
कठपुतली नाटक में निर्देशक मिथिलेश दुबे सहित हरीश पाल, भोला सिंह राठौर, सनी विश्वकर्मा, शशि कान्त, आजाद, जीतेन्द्र गुप्ता, सुजीत कुमार, अनिल गुप्ता, आदि कलाकारों ने प्रस्तुति दी। इस दौरान रवि शेखर, विनय सिंह, आरवी सिंह , एकता सिंह, दीपक मौर्य, राजेश श्रीवास्तव, प्रदीप सिंह, दिलीप दिली, हरीश आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन संजय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सामाजिक कार्यकर्त्ता बल्लभाचार्य पाण्डेय ने किया