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जौनपुर में दवा कालाबाजारी गिरोह की साजिश का शिकार बना यथार्थ मेडिकल स्टोर
सोशल मीडिया पर हजारों लोग यथार्थ के समर्थन में खड़े हैं
जौनपुर । जनपद में इन दिनों यथार्थ मेडिकल स्टोर रुहट्टा जौनपुर का मामला खासा चर्चा में है। सोशल मीडिया पर हजारों लोग उस मेडिकल स्टोर के समर्थन में खड़े हैं। सभी लोग उसके विरुद्ध कार्यवाही की निंदा भी कर रहे है। मूक बघिर प्रशासन कुछ चंद दवा के कालाबाजारी करने वालों के इशारे पर नाच रहा है। मोटी रकम के दम से केवल अपने जिद पर अड़ा है। उस मेडिकल स्टोर का दोष यह कि वह हर दवा पर सीधे 20 प्रतिशत की छूट दे रहा था। गरीब मध्यम वर्ग की जनता को लाभ मिल रहा था। यह बात दवा के नाम पर गरीब जनता के जेब पर डाका डालने वालों को रास नही आई। आइए हम आपको यथार्थ मेडिकल स्टोर की कार्यवाही के यथार्थ (सच्चाई ) से रूबरू कराते हैं।
यथार्थ मेडिकल स्टोर जौनपुर के दवा बाजार के सम्मानित कारोबारी मौर्या बंधुओं का है। दवा के बाजार में इन बंधुओं के पास कई नामी गिरामी कम्पनी की दवाओं के थोक विक्रेता का अधिकार पत्र (लाइसेंस) है। दवा के बाजार में इन बंधुओ का अपने व्यवहार और साख के बल पर दबदबा है। इन बंधुओं ने हाल ही में रुहट्टा में एक डिपार्टमेंटल स्टोर खोला। चूंकि दवा जगत में जबरदस्त पकड़ थी लिहाजा उसके एक हिस्से में दवा का भी काउंटर खोल दिया। दवा पर सीधे 20 प्रतिशत की छूट की घोषणा कर दी। उदघाटन होते ही दवा खरीदने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। इसी बीच कोरोना का प्रकोप बढ़ा तो वहां भीड़ चैगुनी हो गई। सीधे छूट के कारण वहां दवा लेने वाले निर्धारित मूल्य से 20 प्रतिशत कम दाम दवा पर पा रहे थे। गरीब मध्यम वर्ग को काफी लाभ हो रहा था। इतना ही नही कई महंगे इंजेक्शन और दवा पर 30 प्रतिशत तक की छूट यथार्थ मेडिकल दे रहा था। उधर इस छूट के कारण तमाम दवा के कालाबाजारी और प्रिंट रेट पर दवा देने वाले दुकानदार कोरोना काल मे भी मक्खियां मारने की नौबत में आ गए। सबसे ज्यादा आघात तो नकली दवा बेचने वालों को लगा। फिर सब यथार्थ मेडिकल के विरुद्ध सक्रिय और लामबंद हुए। इसके लिए दवा विक्रेताओं ने साजिश रची की कैसे इसको परेशान करके उसकी दुकान बंद कर सकते हैं। इसके लिए दवा विक्रेताओं का कथितं संगठन केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट फेडरेशन भी बाजार में मौजूद बेईमान चोर कालाबाजारी करने वाले दवा की दुकानदारों के साथ आ गया। फिर एक सुनियोजित षड्यंत्र रचा गया। जिसमें शामिल हुआ जौनपुर का बेईमान ड्रग इंस्पेक्टर अमित बंसल। यह इंस्पेक्टर दवा व्यवसाय करने वाले से हर माह मोटी रकम वसूल करता है और उनको नकली दवा और कालाबाजारी के लिए संरक्षण देता है। वह यहाँ के बेईमान दवा कारोबारी से मिलीभगत कर यथार्थ मेडिकल पर प्रतापगढ़ के ड्रग इंस्पेक्टर से छापा डलवाया। इस मामले के लिए जौनपुर प्रतापगढ़ के ड्रग इंस्पेक्टर जौनपुर के केमिस्ट ड्रगिस्ट फेडरेशन और एक दवा का कालाबाजारी करने वाला विक्रेता (जिसकी बिक्री यथार्थ मेडिकल खुलने के कारण खत्म हो गई थी) सबने एक गिरोह बना कर इस कुकर्म को अंजाम दिया।
यहा यह बताना भी आवश्यक है कि उक्त कारोबारी और ड्रगिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष रिश्तेदार भी है। रिश्तेदार को बचाने के लिए यह पूरा प्रोग्राम प्लान किया गया। उक्क्त कारोबारी भी काफी दागी किस्म का है। उसकी दवा बाजार से साख खत्म हो गई है। कइयों दवा के थोक विक्रेताओं के यहा से दवा का पैसा मार चुका है। यथार्थ मेडिकल परिवार के अनेक थोक प्रतिष्ठानों के कुल लगभग 10 लाख रुपए डकार लिया है। अब देने का नाम भी नही ले रहा हैं। इसके पूर्व भी कई व्यवसाय कर तमाम पार्टनरशिप कर उनका पैसा हड़प जाने का मास्टरमाइंड है। उसके कई कथित पार्टनर सड़क पर आ गए । महाबेईमान कारोबारी कथित रूप से बिखण्डित सोच का है। वह उद्घाटन के ही दिन से इस स्टोर के विरुद्ध षड्यंत्र कर रहा था। उसी की परिणीति थी यथार्थ मेडिकल स्टोर पर छापा।
छापे की सच्चाई
अब आप यथार्थ मेडिकल के छापे का भी सत्यता जाने। यह कहा गया कि ऑक्सीमीटर का दाम अधिक वसूल रहा था। दवा का रखरखाव सही नही था। फार्मासिस्ट नियमित मौजूद नही था। ये एसे आरोप है जो जौनपुर की हर दवा की दुकान पर पाए जा सकते है। ऑक्सीमीटर के दाम की बात देखी जाय तो हर दुकान से वहाँ सस्ता ही मिल रहा था। सबसे चैकाने वाली बात यह कि छापा केवल एक दुकान पर क्यो डाला गया। यथार्थ मेडिकल से मात्र 20 फीट की दूरी पर ठीक सामने वाले दवा की दुकान पर क्यो टीम नही गई। असलियत यह है कि उसी मेडिकल स्टोर ने गिरोह बना कर छापा डलवाया था। इतना ही नही यथार्थ से मात्र आधा किलोमीटर के इर्दगिर्द दर्जनों मेडिकल स्टोर थे वहां टीम क्यो नही छापा मारने गई। केवल एक मेडिकल स्टोर को टारगेट कर छापा क्यों मारा गया। यह उच्चस्तरीय जांच का विषय है। इसके दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही भी की जानी चाहिए।
अब बताते है ड्रग इंस्पेक्टर अमित बंसल के विषय में जो कि भाजपा के एक बड़े नेता के रिश्तेदार बनते है। शायद वह नेता जी इसको जानते भी नही होंगे। पर धौंस बनाने के लिए उनके नाम का उपयोग करता है। महीने में इनकी जबरदस्त काली कमाई है। दवा के कालाबाजारी करने वालो से महीना बंधा है। दवा के दाम पर कोई नियंत्रण नहीं है, मोटी कमाई कर रहे है। आम गरीब जनता उस भारी दाम पर दवा खरीदने को मजबूर है जनपद के जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा सुलझा हुआ और एक ईमानदार अधिकारी माने जाते हंै। वे इन तथ्यों से अवगत हो जाये तो यथार्थ मेडिकल के विरुद्ध साजिश रची कार्यवाही को अपने स्तर से देख सकते हैं और न्याय भी कर सकते हैं। इतना ही नही सभी मेडिकल स्टोर पर एसडीएम के नेतृत्व में एक टीम गठित कर छापा मारकर ड्रग लाइसेंस के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करें, तभी आम जनता को राहत मिलेगी।