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Year Ender 2022: यूपी में कांग्रेस के लिए ये साल भी रहा निराशाजनक, संगठन में किए ये नए प्रयोग

Year Ender 2022 News: यह साल उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए अब तक बुरा रहा है। इस साल हुए यूपी विधान सभा चुनाव 2022 में कांग्रेस पार्टी ने अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए मात्र 2 सीट पर जीत दर्ज की और 2.5 प्रतिशत वोट मिला है।

Prashant Dixit
Published on: 24 Dec 2022 4:53 PM IST
Congress Year Ender 2022
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 प्रतीकात्मक चित्र (Social Media)

Year Ender 2022 News: यह साल उत्तर प्रदेश कांग्रेस के लिए अब तक बुरा रहा है। इस साल हुए यूपी विधान सभा चुनाव 2022 में कांग्रेस पार्टी ने अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए मात्र 2 सीट पर जीत दर्ज की और 2.5 प्रतिशत वोट मिला है। इस चुनाव में कांग्रेस ने 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए और नारा "लड़की हूं लड़ सकती हूं" खूब फेमस हुआ। इस विधान सभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 399 सीट पर उम्मीदवार उतरे जिसमें से 387 प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएं।

विधान सभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने यूपी में अपने संगठन को बदला और 1 अध्यक्ष के साथ में 6 प्रांतीय अध्यक्ष नियुक्त कर यूपी की राजनीती में नया प्रयोग किया। इस ईयर इंडर रिपोर्ट में बात करेंगे यूपी कांग्रेस के चुनाव में प्रदर्शन और संगठन के नए प्रयोग के बारे में।

यूपी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस का प्रर्दशन

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने अपने इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन किया और इस बार दो सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस को यूपी विधान सभा चुनाव में मात्र 2.5 फीसदी ही वोट मिला है। इस विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने 399 प्रत्याशी मैदान में उतारे और उसमें से 387 उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाएं है। जबकि 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने सपा के साथ गठबंधन करके लड़ा जिसमें कांग्रेस ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की और 6.5 फीसदी के करीब वोट मिले थे। हालांकि यूपी में कांग्रेस 1985 के बाद से कभी 50 सीटें नहीं जीत पाई और चुनाव दर चुनाव खराब प्रर्दशन जारी है।

विधान सभा में 1985 से कांग्रेस का प्रर्दशन

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 1985 के बाद से अब तक 50 का आंकड़ा नहीं पार कर पाई। आपको बता दें, कांग्रेस को वर्ष 2017 में 7 सीट, 2012 में 28 सीट, वर्ष 2007 में 22 सीट, वर्ष 2002 में 25 सीटें मिली थीं। जबकि 1991 में कांग्रेस को 46 और 1996 में 33 सीट ही हासिल हो पाई थीं। तो वहीं इससे पहले वर्ष 1985 चुनाव में कांग्रेस को 269 सीटें मिली और नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने थे। यानी दिल्ली की सत्ता का रास्ता देने वाले उत्तर प्रदेश में पिछले तीन दशक से ही कांग्रेस की सरकार नहीं बनी है। इससे पहले 90 के दशक में मंडल और कमंडल की राजनीति के बाद कांग्रेस की पकड़ लगातार उत्तर प्रदेश में कमजोर होती चली गई।

इन 2 प्रत्याशियों ने इस बार जीत की दर्ज

प्रतापगढ़ रामपुर खास विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का वर्चस्व बरकरार रहा है। इस बार कांग्रेस प्रत्याशी आराधना मिश्रा मोना ने भाजपा के नागेश प्रताप सिंह को 14,741 मतों से हराकर जीत की हैट्रिक लगाई है। आराधना मिश्रा को 84,334 मत मिले, तो वहीं भाजपा प्रत्याशी नागेश प्रताप सिंह को 69,593 मतों से ही संतोष करना पड़ा। यहां से कांग्रेस ने लगातार 12वीं जीत दर्ज की है। महाराजगंज जिले की फरेंदा सीट पर कांग्रेस को करीब 20 साल बाद इस बार जीत मिली। कांग्रेस पार्टी प्रत्याशी वीरेंद्र चौधरी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बजरंग बहादुर सिंह को 1,087 मतों के अंतर से पराजित किया था। कांग्रेस उम्मीदवार वीरेंद्र चौधरी को कुल 84,755 मत मिले, जबकि बजरंग बहादुर सिंह को 83,668 वोट हासिल हुए।

कांग्रेस हाईकमान ने किया नया प्रयोग

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस ने निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यूपी के संगठन में कई बड़े बदलाव के साथ नए प्रयोग किए हैं। यूपी में कांग्रेस हाईकमान ने जहां नया अध्यक्ष बनाने के साथ में ही पहली बार प्रांतीय स्तर पर भी 6 अध्यक्षों की नियुक्ति की है। कांग्रेस हाईकमान ने अनूठा प्रयोग करते हुए यूपी को 6 क्षेत्रों पूर्वांचल, अवध, प्रयाग, बुंदेलखंड, ब्रज और पश्चिम प्रांत में बांट कर 6 अध्यक्ष बनाए है। इस बार फिर से पार्टी ने दलित समाज से आने वाले बृजलाल खाबरी को राज्य कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है।

ज़िला महराजगंज के फरेंदा विधायक ओबीसी नेता विरेंद्र चौधरी को पूर्वांचल प्रांत की जिम्मेदारी दी है। तो वहीं प्रयागराज प्रांत की ज़िम्मेदारी पूर्व मंत्री भूमिहार नेता अजय राय को दी है। जबकि बुंदेलखंड और अवध प्रांत की जिम्मेदारी ब्राह्मण नेता पूर्व मंत्री नकुल दुबे और योगेश दीक्षित को दी गई है। जबकि पश्चिम प्रांत का अध्यक्ष बड़े मुस्लिम नेता नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी को नियुक्त किया है। तो वहीं ब्रज प्रांत में अनिल यादव (इटावा) को ज़िम्मेदारी दी गई है।



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Prashant Dixit

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