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Year Ender 2022: एलडीए के लिए विवादों से भरा रहा यह साल, ये विवाद रहे सुर्खियों में

Year Ender 2022: एलडीए के लिए यह साल ज्यादा बेहतर नहीं रहा और आपसी विवाद के कारण प्राधिकरण पूरे साल सुर्खियों में रहा। इस साल सबसे बड़ा विवाद एलडीए अध्यक्ष रंजन कुमार और चीफ इंजीनियर इंदु शेखर सिंह के बीच देखने को मिला।

Prashant Dixit
Written By Prashant Dixit
Published on: 24 Dec 2022 8:43 AM IST
LDA Year Ender 2022
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LDA Year Ender 2022 (Social Media)

Year Ender 2022: लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के लिए यह साल ज्यादा बेहतर नहीं रहा और आपसी विवाद के कारण प्राधिकरण पूरे साल सुर्खियों में रहा। इस साल सबसे बड़ा विवाद एलडीए अध्यक्ष कमिश्नर रंजन कुमार और पूर्व चीफ इंजीनियर इंदु शेखर सिंह के बीच देखने को मिला। इस मामले में सीएम योगी आदित्यनाथ के कार्यालय ने रिपोर्ट तलब की थी। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब एलडीए अध्यक्ष को एलडीए चीफ इंजीनियर ने 81 लाख बगले की मरम्मत के लिए देने से मना कर दिया था। जिसके बाद सरकार ने एलडीए के प्रमुख अधिकारियों को बदल दिया, इस ईयर इंडर रिपोर्ट में बात करेंगे इस साल के एलडीए के प्रमुख विवादों की।

एलडीए अध्यक्ष और चीफ इंजीनियर विवाद

लखनऊ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष कमिश्नर रंजन कुमार और पूर्व चीफ इंजीनियर इंदु शेखर सिंह में घमासान इस साल एलडीए का सबसे बड़ा विवाद रहा है। यह विवाद एलडीए के अध्यक्ष के अधिकारों को लेकर सामने आया था। एलडीए के अधिकारियों और कर्मचारियों में इस बात को लेकर असंतोष साफ दिखा कि कमिश्नर रंजन कुमार अथॉरिटी के कामों में बिना वजह हस्तक्षेप करते हैं। एलडीए सूत्रों ने बताया कि एलडीए अध्यक्ष के अधिकारों को लेकर कई बार विवाद हुआ है।

इसी वजह से शासन स्तर पर इसे लेकर एक आदेश और गाइडलाइन जारी की गई। एलडीए में मुख्य अभियंता रहे इंदु शेखर सिंह को रिटायरमेंट से सात दिन पहले हटाए जाने के बाद विवाद में लिप्त रहे लखनऊ मंडलायुक्त रंजन कुमार और एलडीए उपाध्यक्ष अक्षय कुमार त्रिपाठी को उनके पदों से हटा दिया गया था। रंजन कुमार और अक्षय कुमार त्रिपाठी को अब कम महत्व के पद पर तैनात किया गया है।

बंगले की मरम्मत के लिए 81 लाख की मांग

राजधानी लखनऊ में बटलर पैलेस स्थित मंडलायुक्त के बंगले में 81 लाख रुपये से मरम्मत करवाने को लेकर एलडीए के पूर्व चीफ इंजिनियर इंदु शेखर सिंह के साथ हुए विवाद के बाद मंडलायुक्त रंजन कुमार को हटा दिया था। नगर विकास विभाग में विशेष सचिव पद पर तैनात डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी को एलडीए का नया वीसी नियुक्त किया था। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस प्रकरण से नाराज हुए और सीएम कार्यालय ने इस पूरे मामले में रिपोर्ट तलब की। लखनऊ मंडलायुक्त रंजन कुमार ने बंगले की मरम्मत के लिए एलडीए से 81 लाख रुपये की मांग की।

जिसे इंदु शेखर ने अवस्थापना मद से रकम देने से इनकार कर दिया। इसके अगले ही दिन इंदु शेखर को एलडीए से हटाकर आवास बंधु भेज दिया गया था। इसके बाद इंदु शेखर ने कमिश्नर पर पिछले एक साल में अवस्थापना मद से होने वाले कार्यों की एक भी बैठक न करने और प्रबंध नगर योजना में चहेते आर्किटेक्ट को काम दिलवाने का आरोप लगाया था। यह एलडीए का विवाद कई महीने तक प्रदेश में सुर्खियों में छाया रहा था।

एलडीए का क्लर्क फर्जी रजिस्ट्री में शामिल

इस साल के जाते-जाते लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने गोमती नगर इलाके की 4 सरकारी जमीन की फर्जी दस्तावेज से बिक्री को लेकर एलडीए के 3 क्लर्क समेत 19 लोगों के खिलाफ अब तक 4 एफआईआर दर्ज कराई है। इन चार संपत्तियों की कीमत तीन करोड़ रुपये से अधिक की है। एलडीए के उप सचिव मधवेश कुमार द्वारा रामानंद राम, आलोक नाथ और कुलदीप कुमार के रूप में पहचाने गए आरोपी क्लर्कों के विरुद्ध अब तक एफआईआर दर्ज कराई गई है।

अन्य आरोपियों में रितु अग्रवाल, गिरजा प्रसाद यादव, विजय कुमार, शेष मणि, तारा देवी, नीरज सिंह, इंद्रजीत कुमार, शिव कुमार, मोहम्मद वसीम, हरि बहादुर सिंह, विजय पाल सिंह, विनय सिंह, संतराम मौर्य, जीत बहादुर, नितिन कटियार और भगवती प्रसाद शामिल हैं। इन सभी पर आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी, बैनामी संपत्ति का विवरण करने के लिए प्रेरित करना और अन्य आरोपों के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस विवाद को लेकर एलडीए फिर से इस साल के अंत में सुर्खियों में आ गया है।

एलडीए की लापरवाही से खड़ा हुआ विवाद

यूपी सरकार की ओर से उद्योग लगाने के लिए ऐशबाग इंडस्ट्रियल एरिया घोषित किया गया है। यहां गुरबख्श थापर को वर्ष 1921 में 90 साल की लीज पर साढे 5 बीघा जमीन उद्योग धंधों के लिए दी गई थी। इस लीज की शर्त में 30 साल बाद इसका नवीनीकरण कर 30-30 साल के लिए दो बार इसे आगे बढ़ाया जाएगा। पहली बार पट्टे का नवीनीकरण 1951 दूसरी दूसरी बार 1981 में कराया गया। इस जमीन की वर्तमान में कीमत एलडीए के मुताबिक 40 करोड़ रुपए है। जो इन 12 व्यापारियों द्वारा 2011 में लीज खत्म होने के बाद भी भूमि उपयोग में ली गई है।

इन उद्योगपतियों की लीज 2011 में खत्म होने के बाद भी एलडीए के अधिकारियों ने इस ज़मीन पर ध्यान नहीं दिया। इस लीज का समय समाप्त होने के बाद एलडीए के अफसरों की जिम्मेदारी बनती थी कि वह इस जमीन को अपने कब्जे में लें। जब एलडीए ने 500 करोड़ रूपये की जमीन पर अवैध कब्जेदार कौशल किशोर के खिलाफ सख्ती शुरू हुई तब इस जमीन पर भी एलडीए के जिम्मेदारों का ध्यान गया और उनके खिलाफ भी कार्रवाई शुरू हुई। यह एलडीए की लापरवाही कई महीने तक सुर्खियों में रही।



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