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योग गुरू रामदेव व स्वामी चिदानंद से भारी संख्या में योग सीख रहे जिज्ञासु

मोरार जी देसाई संस्थान से आये योगाचार्य राहुल सिंह चैहान जी ने योगनिद्रा का अद्भुत अभ्यास कराया। साथ ही विभिन्न योग संस्थानों से आये योग जिज्ञासुओं ने योग चिकित्सा, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास कराया।

Shivakant Shukla
Published on: 3 Feb 2019 6:42 PM IST
योग गुरू रामदेव व स्वामी चिदानंद से भारी संख्या में योग सीख रहे जिज्ञासु
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आशीष पाण्डेय,

कुंभ नगर: दिव्य कुंभ के अरैल क्षेत्र सेक्टर 18 में परमार्थ निकेतन शिविर के संगम, प्रांगण में प्रातःकाल सूर्यउदय के साथ योगगुरू स्वामी रामदेव एवं परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती के मार्गदर्शन में हजारों की संख्या में आये योग जिज्ञासुओं ने योग एवं प्राणायाम की विभिन्न विधाओं का अभ्यास किया।

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सात दिवसीय योग शिविर का आयोजन भारतीय योग संस्थान और परमार्थ निकेतन के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। इसमें भारत की 32 से अधिक विख्यात योग संस्थानों के योगाचार्यों ने सहभाग किया। प्रातःकालीन सत्र में योगगुरू स्वामी रामदेव ने अनुलोम विलोम, कपालभाति और योगाभ्यास कराया। आज के योग सत्र में भारत सहित आस्ट्रेलिया, पेरू, कोलम्बिया, अमेरिका, साइबेरिया, कनाडा, मलेशिया, नेपाल, नार्वे, स्पेन, इन्डोनेशिया, तिब्बत, कम्बोडिया, श्रीलंका, थाइलैंड, ब्राजील, जमर्नी, जापान, सिंगापुर, क्रोवाशिया, अर्जेन्टीना, मेक्सिको, हॉलैण्ड और विश्व के अन्य देशों के योग साधकों ने भाग लिया।

नाभि के अमृत को योग से जगाने वाला जाता है मृत्यु के पार : रामदेव

योगगुरू स्वामी रामदेव ने कहा कि श्री राममन्दिर निर्माण के साथ श्रीराम जैसा चरित्र भी राष्ट्र में निर्मित होना चाहिये। मेरे देश में चरित्र का निर्माण होना चाहिये, मेरे देश में चरित्र की महानता रहे यही तो योग का उद्घोष है। कुम्भ मंथन का पर्व है। कपालभाति और अनुलोम विलोम से भी मंथन होता है। उन्होने कहा कि हमारी नाभि में अमृत होता है, नाभि का अमृत जो योग से जगा लेते है वे मृत्यु के पार चले जाते है। रामदेव ने कहा कि वेद, धर्म ही हमारा धर्म है। योग को हमने कन्द्राओं, गुफाओं और ग्रंथों से बाहर निकालकर मैदान में लाकर सर्वसुलभ बना दिया। अतः योग करो और निरोग रहो।

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योग ने पूरे विश्व को संगम योग में जन्म दिया: चिदानंद

स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि गंगा, यमुना और सरस्वती के पावन संगम पर हम सभी योग कर रहे है। इस योग ने पूरे विश्व में संगम योग को जन्म दिया है। भारत को संगम के योग की आवश्यकता है। इस देश में संगम है तो भारत है, इस बात को हमें समझना होगा। संमग पैदा होता है एक सोच से और सोच आती है जागरूकता से। आईये संगम से एक संदेश लेकर जाये और संगम को एक संदेश देकर जाये संगम से संदेश और संगम को संदेश।

मोरार जी देसाई संस्थान से आये योगाचार्य राहुल सिंह चैहान जी ने योगनिद्रा का अद्भुत अभ्यास कराया। साथ ही विभिन्न योग संस्थानों से आये योग जिज्ञासुओं ने योग चिकित्सा, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास कराया।

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Shivakant Shukla

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